PSEB Solutions for Class 10 English Literature Book Chapter 5 How Much Land Does A Man Need?
PSEB Solutions for Class 10 English Literature Book Chapter 5 How Much Land Does A Man Need?
PSEB 10th Class English Literature Book Solutions Chapter 5 How Much Land Does A Man Need?
How Much Land Does A Man Need? Summary & Translation in English
How Much Land Does A Man Need? Introduction:
This story by Leo Tolstoy is about the sin of greed. Man’s material needs on this earth are not many. Yet he troubles himself all his life. He wants more and more of wealth. He runs from one sin to the other till he meets his end. Tolstoy has illustrated this idea through the story of Pakhom. Pakhom had an insatiable greed for land.
The more land he had, the more greedy he grew. Once he said, “If I had plenty of land, I shouldn’t fear the devil himself.” On hearing this, the devil decided to try his strength against Pakhom. He thought that he would give Pakhom as much land as he desired, and thus get him into his power. In course of time, Pakhom came to have 125 acres of land, yet he was not satisfied.
He came to know about the land of Bashkir people. There he could get for 1000 roubles as much land as he could go round on his feet in one day. In his greed, he exerted himself too much. Yet he did not stop. He fell down dead just when he had completed the circuit. A grave was dug for him. Six feet from head to heels was all that Pakhom needed. Thus Tolstoy shows that greed brings man’s ruin.
How Much Land Does A Man Need? Summary & Translation in Hindi
How Much Land Does A Man Need? Introduction:
लियो टालस्टाए द्वारा लिखित यह कहानी लालच की बुराई के सम्बन्ध में है। इस धरती पर मनुष्य की भौतिक आवश्यकताएं अधिक नहीं होती हैं। फिर भी वह आयु-भर अपने आप को तड़पाता रहता है। वह अधिकाधिक दौलत प्राप्त करना चाहता है। वह एक पाप से दूसरे पाप की ओर भागा चला जाता है तथा अन्त में अपने अन्त को प्राप्त हो जाता है। टालस्टाए ने इस विचार को पाखोम् की कहानी द्वारा स्पष्ट किया है। पाखोम् के मन में ज़मीन प्राप्त करने के लिए न सन्तुष्ट हो सकने वाला लालच भरा हुआ था।
उसके पास जितनी अधिक ज़मीन होती जाती, वह उतना ही अधिक लालची होता जाता। एक बार उसने कहा, “यदि मेरे पास बहुत-सी ज़मीन हो जाए, तो मैं स्वयम् शैतान से भी नहीं डरूंगा।” यह सुनकर शैतान ने अपनी शक्ति उस पर आज़माने का निश्चय किया। उसने सोचा कि वह पाखोम् को जितनी भी ज़मीन वह चाहेगा, दे देगा और इस प्रकार उसे अपने शिकंजे में फंसा लेगा। कुछ समय के बाद पाखोम् के पास 125 एकड़ भूमि हो गई, परन्तु फिर भी वह सन्तुष्ट न हुआ। उसे बशकीर लोगों की जमीन के विषय में पता लगा।
वहां पर वह 1000 रूबल में उतनी ज़मीन प्राप्त कर सकता था जितनी ज़मीन का वह पैदल चल कर एक दिन में चक्कर काट सकता था। अपने लालच में उसने स्वयम् को बहुत थका लिया। परन्तु वह फिर भी नहीं रुका। ठीक उसी समय, जब उसने अपना चक्कर पूरा कर लिया था, वह मर कर गिर पड़ा। उसके लिए कब्र खोदी गई। सिर से पांव तक पाखोम् को केवल छः फुट की ज़रूरत थी। इस प्रकार टालस्टाए यह दिखाता है कि लालच मनुष्य का विनाश ले आता है।
How Much Land Does A Man Need? Summary & Translation in Hindi:
कहानी का विस्तृत सार
दो बहनें थीं। बड़ी का विवाह शहर में एक व्यापारी के साथ हुआ था। छोटी का विवाह गांव में एक किसान के साथ हुआ था। एक बार बड़ी बहन अपनी छोटी बहन से मिलने के लिए उसके गांव में आई। दोनों बहनें चाय पीते हुए बातें करने लगीं। बड़ी बहन ने शहरी जीवन के लाभों के बारे में डींगें मारनी शुरू कर दी। उसने कहा कि वे शहर में खाने और पहनने को बहुत अच्छी चीजें प्राप्त कर सकते थे। वहां मनोविनोद के बहुत- से साधन थे।
छोटी बहन को बहुत बुरा महसूस हुआ। उसने बदले में एक व्यापारी के जीवन में दोष निकालने शुरू कर दिए तथा उसकी अपेक्षा एक किसान के जीवन को बेहतर ठहराया। उसने यह स्वीकार किया कि शहरी लोग अधिक धन कमा सकते हैं, किन्तु उनका जीवन चिन्ताओं से भरा होता है। उसने कहा कि यद्यपि किसान का शरीर मोटा नहीं होता, किन्तु उसका जीवन लम्बा अवश्य होता है। उसने कहा, “हम कभी धनी तो नहीं बन सकते हैं, किन्तु हमारे पास खाने के लिए सदा पर्याप्त रहेगा।”
छोटी बहन का पति, जिसका नाम पाखोम् (Pakhom) था, पास बैठा दोनों बहनों की बातें सुन रहा था। अपनी पत्नी के मुंह से किसान के जीवन की जोरदार प्रशंसा सुन कर उसे बहुत गर्व महसूस हुआ। वह एक किसान के जीवन से पूरी तरह सन्तुष्ट था। यद्यपि किसान का जीवन व्यस्त तथा कठिन परिश्रम वाला होता है, किन्तु यह प्रत्येक प्रकार की बुराई से मुक्त होता है। पाखोम् ने अपने मन में सोचा, “हमारी एकमात्र कठिनाई यह है कि हमारे पास पर्याप्त भूमि नहीं है। यदि मेरे पास बहुत-सी ज़मीन होती, तो मैंने स्वयं शैतान से भी नहीं डरना था।” इस सारे समय के दौरान शैतान पाखोम् के पिछली ओर बैठा हुआ था। उसने वे सब बातें सुन ली जो वहां की जा रही थीं। उसे इस बात पर बहुत प्रसन्नता हुई कि किसान की बीवी ने अपने पति के मन में घमंड पैदा कर दिया था। शैतान ने पाखोम् पर अपनी शक्ति परखने का निश्चय कर लिया। उसने सोचा कि वह पाखोम् को बहुत-सी ज़मीन दे देगा और इस प्रकार उसे अपने पंजे में फंसा लेगा।
पाखोम् के गांव के समीप ही एक औरत रहती थी। उसके पास 300 एकड़ ज़मीन की जायदाद थी। वह एक बहुत भद्र और दयालु-हृदय स्त्री थी। एक शीत-ऋतु के दिनों में यह समाचार फैल गया कि वह औरत अपनी ज़मीन बेच रही थी। पाखोम् को बहुत ईर्ष्या महसूस हुई जब उसे पता चला कि उसका पड़ोसी पचास एकड़ जमीन खरीद रहा था। उसके पास केवल एक सौ रूबल (रूस में प्रचलित मुद्रा) थे। उसने अपनी एक घोड़ी और आधी मधुमक्खियां बेच दीं। उसने अपने लड़कों में से एक को कहीं नौकर लगवा दिया और उसका वेतन पेशगी ले लिया। शेष धन-राशि उसने अपने एक सम्बन्धी से उधार ले ली।
यह सब करने के बाद पाखोम् उस औरत के पास गया। उसने 40 एकड़ भूमि के एक टुकड़े के लिए उसके साथ सौदा कर लिया। उसने आधे पैसे नकद दे दिए और शेष राशि दो वर्ष के अन्दर चुकता करने का वचन दे दिया। इस प्रकार पाखोम् के पास अब अपनी निजी भूमि हो गई। उसने कहीं से बीज उधार ले लिए और ज़मीन में बो दिए। फसल बहुत अच्छी हुई और एक ही वर्ष के भीतर पाखोम् ने पूरा ऋण चुकता कर दिया।
एक दिन पाखोम् अपने घर में बैठा हुआ था कि वहां एक किसान आया। पाखोम्. ने किसान को अपने पास रात गुजारने की इजाजत दे दी। उसने किसान को भोजन भी खिलाया। किसान ने पाखोम् को बतलाया कि वह एक किसान था तथा वोल्गा नदी के दूसरी ओर से आया था। बहुत-से लोग वहां आ कर बस रहे थे। कोई भी व्यक्ति जिसके पास धन हो, वह दो शिलिंग प्रति एकड़ की दर से जितनी ज़मीन चाहे, खरीद सकता था। उसने बताया कि वहां ज़मीन इतनी उपजाऊ थी कि इस पर बोये हुए अनाज की फसल एक घोड़े जितनी ऊंची उग आती थी।
पाखोम के दिल में प्रबल इच्छा भर आई। उसने अपना मकान, अपने पश तथा अपनी सारी ज़मीन बेच डाली। वहां उसने नई भूमि खरीदी। यह भूमि अनाज की उपज के लिए बहुत अच्छी थी। पाखोम् ने वहां अपनी आवश्यकतानुसार इमारत खड़ी कर ली और पशु भी खरीद लिए। वह अब पहले की अपेक्षा दस गुणा धनी हो गया था।
आरम्भ में तो पाखोम् अपने नए जीवन से बहुत प्रसन्न था। किन्तु जब वह इस का आदी हो गया तो वह सोचने लग गया कि यहां भी उसके पास पर्याप्त ज़मीन नहीं थी। वह गेहूं बोने के लिए अधिक, तथा और अधिक जगह प्राप्त करना चाहता था। हर वर्ष वह अन्य लोगों से ज़मीन किराए पर ले लेता था। मौसम ठीक होने के कारण उसे फसलें बहुत अच्छी प्राप्त हुईं। उसने पैसे बचाने शुरू कर दिए। किन्तु पाखोम् हर वर्ष अन्य लोगों की ज़मीन किराए पर लेने की मजबूरी से तंग आ गया। उसने गेहूं बोने के लिए अधिक भूमि खरीदने का निश्चय कर लिया। अचानक उसे एक ऐसा किसान मिल गया जो अपनी 1300 एकड़ जमीन बेचना चाहता था। पाखोम् ने सौदा कर लिया और 1500 रूबल पर मूल्य निश्चित हो गया। इस में से कुछ राशि नकद तथा शेष राशि बाद में दी जानी थी।
ठीक जिस समय सौदा पक्का किया जाना था, उस गांव में से एक व्यापारी गुजरा। वह अपने घोड़ों के वास्ते चारा प्राप्त करने के लिए पाखोम् के यहां आ कर रुका। उसने पाखोम् के साथ बैठ कर चाय पी, और उन्होंने
एक-दूसरे से बातें कीं। व्यापारी ने पाखोम् को बतलाया कि वह बशकीर लोगों के प्रदेश से आ रहा था जहां उसने केवल 1000 रूबल में 13000 एकड़ जमीन खरीदी थी। पाखोम् ने तुरन्त बशकीर लोगों के प्रदेश जाने का निश्चय कर लिया। उसने अपनी पत्नी को घर की देखभाल करने के लिए छोड़ा, और एक नौकर को साथ लेकर अपनी यात्रा पर निकल पडा।
पाखोम् तथा उसका नौकर सात दिन तक यात्रा करते रहे। अन्त में वे बशकीर लोगों के प्रदेश में पहुंच गए। ज्योंहि बशकीर लोगों ने पाखोम को देखा वे अपने तम्बुओं में से बाहर निकल आए। वे बहुत प्रसन्न लग रहे थे। उन्होंने अपने अतिथि का बड़े स्नेह से स्वागत किया। पाखोम् ने कुछ उपहार अपने छकड़े में से निकाले और बशकीर लोगों में बांट दिए। इसी दौरान बशकीर मुखिया भी वहां आ पहुंचा। पाखोम् ने कुछ सुन्दर उपहार मुखिया को भी दिए। फिर उसने उन लोगों को अपने वहां आने का उद्देश्य समझाया। मुखिया ने पाखोम् से कहा कि वह 1000 रूबल प्रति दिन के हिसाब से जितनी ज़मीन चाहे, खरीद सकता था। पाखोम् को मुखिया की 1000 रूबल प्रति दिन के हिसाब वाली बात समझ में न आई।
उसने मुखिया से पूछा, “जमीन मापने की यह कौन-सी इकाई होती है ? इसमें कितने एकड होते हैं ?” मुखिया ने उत्तर दिया कि उन्हें एकड़ों में मापना नहीं आता था। इसलिए वे दिनों के हिसाब से ज़मीन बेचते थे। मुखिया ने अपनी बात को इस प्रकार से कह कर स्पष्ट किया, “तुम अपने पैरों से चल कर एक दिन में जितनी भी जगह का चक्कर काट लोगे, वह तुम्हारी हो जाएगी, इसकी कीमत 1000 रूबल प्रति दिन होगी। किन्तु इसमें एक शर्त है। यदि तुम उसी दिन उस स्थान पर वापस पहुंच नहीं पाते जहां से तुम चले थे तो तुम्हारे पैसे ज़ब्त कर लिए जाएंगे। तुम जितना बड़ा चक्कर चाहो, काट सकते हो किन्तु सूर्य डूबने से पहले तुम्हें उस स्थान पर लौटना होगा जहां से तुम चले थे। वह सारी ज़मीन, जिस का तुम चक्कर काट लोगे, तुम्हारी हो जायेगी।” __ पाखोम् को यह सब सुन कर बहुत प्रसन्नता हुई। यह फैसला हो गया कि अगली प्रातः पाखोम् चलना शुरू करेगा। पाखोम् इतना उत्तेजित था कि उस रात को वह सो न सका। वह अपने मन में यही हिसाब-किताब लगाता रहा कि वह कितनी जगह का चक्कर काट पाएगा। वह रात-भर जागता रहा और प्रभात होने से थोड़े ही समय पहले उसकी आंख लग गई। सुबह उसने तुरन्त अपने नौकर को जगाया और बशकीर लोगों को बुलाने के लिए चल पड़ा।
वे सभी एक पहाड़ी पर पहुंच गए। चारों और असीमित भूमि फैली थी जो अति उपजाऊ थी। मुखिया ने पाखोम् से कहा, “जितनी दूरी तक तुम्हारी आंखें देख रही हैं, यह सब जगह हमारी है। तुम इसका जो भी भाग चाहो, ले सकते हो।” पाखोम् की आंखें चमकने लगीं। मुखिया ने टोपी उतारी, इसे ज़मीन पर रखा तथा कहने लगा, “यह निशान होगा। यहां से शुरू हो जाओ और लौट कर यहीं पहुंच जाओ। जितनी भी जगह का तुम चक्कर काट लोगे, तुम्हारी हो जाएगी।”
पाखोम ने अपने पैसे निकाल कर टोपी पर रख दिए। ज्योंहि सूर्य क्षितिज से ऊपर उठा, उसने चलना शुरू कर दिया। उसने अपने साथ कुछ रोटी और पानी की एक सुराही ले ली। ज़मीन के हर मोड़ पर निशान खोदने के लिए उसने अपने साथ एक फावड़ा भी ले लिया। आरम्भ में पाखोम् न तो बहुत धीरे और न ही बहुत तेज़ चला। एक हज़ार गज़ चलने के बाद उसने एक गड्ढा खोदा। इस निशान को और अधिक नज़र आ सकने योग्य बनाने के लिए उसने वहां घास वाली मिट्टी की एक ढेरी बना दी। पाखोम् ने अब अपनी गति और तेज कर दी।
गरमी बढ़ रही थी। उसने अपना कोट उतार कर कन्धे पर रख लिया। पाखोम् तीन मील तक चलता गया। फिर उसने मुड़ कर पीछे देखा। वह पहाड़ी मुश्किल से ही दिखाई दे रही थी। इस पर खड़े लोग काली चींटियों जैसे लग रहे थे। पाखोम् ने एक गड्ढा खोदा और वहां घास वाली मिट्टी की एक और ढेरी बना दी।
पाखोम् को अब थकावट महसूस होने लगी।
उसने सूर्य की ओर देखा तो पता चला कि अब दोपहर हो गई थी। वह कुछ आराम करने के लिए बैठ गया। बाद दोपहर पाखोम् ने शेष दूरी सीधी रेखा में दौड़ कर पूरी करने का निश्चय कर लिया।
पाखोम् ने जल्दी से एक गड्ढा खोदा और फिर सीधा पहाड़ी की ओर चल पड़ा।
वह अब मुश्किल से ही चल पा रहा था। गर्मी की वजह से उस का बुरा हाल हो गया था। उसके पैर कट गये थे और उनमें घाव हो गए थे। उसकी टांगें जवाब देने लगीं और उसे यह भय हो गया कि कहीं थकावट से उसकी मौत न हो जाए। फिर भी पाखोम् रुका नहीं। उसने अपना कोट, अपने बूट, अपनी सुराही और अपनी टोपी – सब फेंक दिए। उसने अपने पास केवल फावड़ा ही रखा क्योंकि इससे उसे चलने में सहारा मिलता रहा था। जब वह पहाड़ी के समीप पहुंचा तो सूर्य डूबने ही वाला था। पाखोम् ने एक लम्बी सांस भरी और पहाड़ी के ऊपर की ओर दौड़ पड़ा।
पाखोम् चोटी पर पहुंच गया और उसने वहां पड़ी हुई टोपी देखी। वह आगे की ओर गिर पड़ा और उसके हाथ टोपी तक पहुंच गये। मुखिया ने चिल्ला कर कहा, “वाह, कितना अच्छा आदमी है। उसने बहुत सारी जगह हासिल कर ली है।”
पाखोम् का नौकर दौड़ता हुआ आगे आया। उसने अपने स्वामी को ऊपर उठाने की कोशिश की, किन्तु पाखोम् तो मर चुका था। उसके मुंह से खून बह रहा था।
नौकर ने फावड़ा लिया और इतनी बड़ी कब्र खोदी जिसमें पाखोम् को दफनाया जा सके।
फिर उसने अपने स्वामी को इस में दफना दिया। पाखोम् को अपने सिर से लेकर एड़ियों तक के लिए केवल छ: फुट जगह की ही ज़रूरत थी।
Objective Type Questions
Question 1.
The two women discussing about village and town life were
(i) friends
(ii) sisters
(iii) neighbours
(iv) enemies.
Answer:
(ii) sisters
Question 2.
The Bashkirs had plenty of ……………
(i) cattle
(ii) money
(iii) land
(iv) gold.
Answer:
(iii) land
Question 3.
How much land did Pakhom manage to buy from the estate owner ?
Answer:
Forty acres
Question 4.
Pakhom was a very …………… man.
(i) helpful
(ii) greedy
(iii) kind
(iv) selfish.
Answer:
(ii) greedy
Question 5.
Pakhom was dead in the end. (True/False)
Answer:
True
Question 6.
Pakhom borrowed some money from his brother-in-law. (True/False)
Answer:
True
Question 7.
Pakhom met a stranger who was a peasant. (True/False)
Answer:
True
Answer each of the following in one word / phrase / sentence :
Question 1.
Who is the writer of the story ?
Answer:
Leo Tolstoy.
Question 2.
What is the story about ?
Answer:
About the sin of greed.
Question 3.
Were the two women discussing about the town and village life ?
Answer:
Yes, they were.
Question 4.
How were the two women related to each other ?
Answer:
Both of them were sisters.
Question 5.
What did Pakhom decide ?
Answer:
To buy some more land.
Question 6.
Who purchased the estate-owner’s land ?
Answer:
Pakhom.
Question 7.
How did Pakhom arrange to buy the land ?
Answer:
By selling his colt and half of his bees.
Question 8.
Who told Pakhom something about the land of Bashkirs ?
Answer:
A trader.
Question 9.
Who were Bashkirs ?
Answer:
They were very simple people.
Question 10.
What sum was agreed upon to sell land to Pakhom ?
Answer:
One thousand roubles.
Complete the following:
1. The elder woman spoke ……….. .. town life.
2. Pakhom thought if he had plenty of land, he would not fear …………..
3. The Devil decided to give Pakhom ….
4. The stranger told that he had come from beyond …………..
5. One of Pakhom’s neighbours bought ……………… acres of land.
6. Pakhom was supposed to come back to the starting point before the sun had …
7. Pakhom met a stranger one day. The stranger was a ………..
Answer:
1. in favour of
2. the Devil
3. enough
4. the Volga
5. fifty
6. set
7. peasant.
Write True or False against each statement :
1. Pakhom did not have enough land.
Answer:
True
2. The younger woman praised town life.
Answer:
False
3. Pakhom purchased the estate-owner’s land.
Answer:
True
4. The Bashkirs lived in palaces.
Answer:
False
5. The Bashkirs did not sell their land by acres.
Answer:
True
6. Man never feels satisfied till his death.
Answer:
True
Choose the correct option for each of the following:
1. Man wants more and more of ……………..
(a) greed
(b) wealth
(c) education
(d) satisfaction.
2. What were the two women discussing ?
(a) The town life and village life.
(b) Domestic problems
(c) Military life.
(d) Kashmir issue.
3. Pakhom borrowed money from his …..
(a) maternal uncle
(b) neighbour
(c) colleague
(d) brother-in-law.
4. Pakhom wanted from the Bashkirs ……………
(a) their land
(b) their clothes
(c) their guns
(d) their horses.
PSEB Solutions for Class 10 English Literature Book Chapter 5 How Much Land Does A Man Need?
Question 1.
What did the two women discuss ? Were they related to each other ?
Answer:
The two women discussed about town life and village life. Both of them were sisters. The elder one spoke in praise of town life. The younger one praised country life.
उन दोनों औरतों ने शहरी जीवन और ग्रामीण जीवन के बारे में विचार-विमर्श किया। वे दोनों बहनें थीं। बड़ी ने शहरी जीवन की प्रशंसा की। छोटी ने ग्रामीण जीवन की प्रशंसा की।
Question 2.
What did one woman say in defence of rural life ? What was the counter argument ?
Answer:
She said that rural life could be rough, but it was free from anxiety. Villagers might never grow rich, but they always had enough to eat. But the other woman boasted of the town life.
उसने कहा कि ग्रामीण जीवन कठिनाई-पूर्ण हो सकता है, परन्तु यह चिन्ता मुक्त होता है। ग्रामीण. लोग चाहे कभी धनी न बन सकें, परन्तु उनके पास खाने के लिए सदा काफी रहता है। परन्तु दूसरी औरत ने शहरी जीवन की डींग मारी।
Question 3.
Pakhom listened to the women’s chatter. He started brooding and reached a conclusion. What was the conclusion ?
Answer:
Pakhom did not have enough land. He thought that if he had plenty of land, he would not fear the Devil himself. And he decided to buy some more land.
पाखोम् के पास पर्याप्त ज़मीन नहीं थी। उसने सोचा कि यदि उसके पास काफ़ी ज़मीन हो जाए तो वह स्वयम् शैतान से भी नहीं डरेगा। और उसने कुछ और ज़मीन खरीदने का मन बनाया।
Question 4.
What did the Devil decide when he heard Pakhom’s musings?
Answer:
The Devil decided to give Pakhom enough land. And by means of that land, he decided to get Pakhom into his power.
शैतान ने पाखोम् को काफी ज़मीन देने का फैसला किया। और इस भूमि के द्वारा उसने पाखोम् को अपने पंजे में करने का फैसला किया।
Question 5.
The estate-owner, on whose land Pakhom was a tenant, sold her land. Who bought the land ?
Answer:
One of Pakhom’s neighbours bought fifty acres of the land. Pakhom also arranged to buy forty acres of that land.
पाखोम् के एक पड़ोसी ने उस ज़मीन के पचास एकड़ खरीद लिए। पाखोम ने भी चालीस एकड़ खरीदने का प्रबन्ध कर लिया।
Question 6.
How did Pakhom manage to put together the money for buying the land ?
Answer:
Pakhom sold his colt and one half of his bees. He hired out one of his sons as a labourer and took his wages in advance. He also borrowed some money from his brother-in-law.
पाखोम् ने अपना बछेड़ा (घोड़े का बच्चा) और आधी मधुमक्खियां बेच दी। उसने अपने पुत्र को कहीं मज़दूर लगवा दिया और उसका वेतन पेशगी ले लिया। उसने अपने बहनोई से भी कुछ पैसा उधार लिया।
Question 7.
Pakhom met a stranger one day. Who was this stranger ? What information did he give to Pakhom ?
Answer:
This stranger was a peasant. He told Pakhom that he had come from beyond the Volga. He said that the land there was very fertile. The rye sown on it grew as high as a horse.
यह अजनबी एक किसान था। उसने पाखोम् को बताया कि वह वोल्गा नदी के पार से आया था। उसने कहा कि वहां पर की जमीन बहुत उपजाऊ थी। इस पर उगाई गई राई एक घोड़े जितनी ऊंची हो जाती थी।
Question 8.
A trader told Pakhom something about the land of Bashkirs. What was it ?
Answer:
He told Pakhom that the Bashkirs had plenty of land. It was near a river and was very fertile. They sold it at a very low price – 13,000 acres for only 1,000 roubles.
उसने पाखोम् को बताया कि बशकीर लोगों के पास काफ़ी ज़मीन थी। यह एक नदी के नज़दीक थी और बहुत उपजाऊ थी। वे इसे बहुत कम कीमत पर बेच देते थे -.13,000 एकड़ केवल 1,000 रूबल में।
Question 9.
Who were the Bashkirs ? How did Pakhom make friends with them ?
Answer:
The Bashkirs were very simple people. They lived in tents. They had plenty of land. Pakhom made friends with them by giving them various gifts.
बशकीर लोग बहुत सीधे-सादे थे। वे तम्बुओं में रहते थे। उनके पास काफ़ी ज़मीन थी। पाखोम् ने उन्हें विभिन्न उपहार देकर उनसे मित्रता कर ली।
Question 10.
Bashkirs wanted to repay Pakhom for his gifts. What did Pakhom want from them ?
Answer:
Pakhom wanted from them their land. It was for this purpose only that he had come there.
पाखोम् उनसे उनकी ज़मीन चाहता था। वह केवल इसी उद्देश्य के लिए वहां पर आया था।
Question 11.
‘Our price is always the same : one thousand roubles a day, the chief said. What did he mean ?
Answer:
The Bashkirs did not sell their land by acres. They sold it by the day. It meant one could have for one thousand roubles as much land as one could walk round in one day.
बशकीर लोग अपनी ज़मीन एकड़ों के हिसाब से नहीं बेचते थे। वे इसे दिन के हिसाब से बेचते थे। इसका मतलब था कि व्यक्ति एक हज़ार रूबल में उतनी ज़मीन प्राप्त कर सकता था, जितनी ज़मीन का वह पैदल चल कर एक दिन में चक्कर काट सकता था।
Question 12.
On what condition did the chief agree to sell land to Pakhom ?
Answer:
For one thousand roubles, Pakhom could have as much land as he could walk round in a day. But there was one condition. He had to come back to the starting point before sunset.
एक हज़ार रूबल देकर पाखोम् एक दिन में जितनी भी जगह का चलकर चक्कर काट सकता था, उसे प्राप्त कर सकता था। परन्तु वहां एक शर्त थी। उसे सूर्यास्त से पहले उसी जगह पर वापस आना था, जहां से वह चला था।
Question 13.
What is the moral of the story ?
Answer:
Man’s physical needs on this earth are not many. Yet he keeps hungering for them all his life. He never feels satisfied till he meets his end.
इस धरती पर मनुष्य की भौतिक आवश्यकताएं अधिक नहीं होती हैं। फिर भी वह सारा जीवन उनके लिए तड़पता रहता है। वह सन्तुष्ट नहीं होता जब तक उसकी मृत्यु नहीं हो जाती।
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