JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 17 प्रत्यय
JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 17 प्रत्यय
JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 17 प्रत्यय
Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 10th Class Hindi Solutions
प्रत्यय
परिभाषा – जो शब्दांश किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन ला दें, उन्हें प्रत्यय कहते हैं। ये सभी उपसर्गों की तरह अविकारी या अव्यय शब्द या शब्दांश हैं, पर ये शब्दों के पीछे लगते हैं।
जैसे –
मनुष्य + त्व = मनुष्यत्व
शिशु + ता = शिशुता
समाज + इक = सामाजिक
भल + आई = भलाई ।
प्रत्यय के भेद-
प्रत्यय साधारणतया तीन प्रकार के होते हैं-
1. कारक या विभक्ति प्रत्यय ।
2. कृदंत प्रत्यय ।
3. संज्ञा या तद्धित प्रत्यय |
1. विभक्ति प्रत्यय – संज्ञा या सर्वनाम शब्दों के साथ ने, को, से, के लिए, का, के, की, में, पर आदि प्रत्ययों का प्रयोग होता है। ये कारकों के चिह्न होने के कारण विभक्ति प्रत्यय कहलाते हैं।
2. कृदंत प्रत्यय – क्रिया या धातु के अन्त में प्रयुक्त होने वाले प्रत्ययों को कृत् प्रत्यय कहा जाता है और उनके मेल से बने शब्द को कृदंत (कृत + अंत) । ये प्रत्यय क्रिया और धातु के शब्दों को नया रूप देते हैं। कृत् प्रत्यय से संज्ञा और विशेषण बनते हैं ।
जैसे— डूबता, होनहार, उड़ती आदि शब्द कृदंत हैं, जो डूबना, होना और उड़ना क्रियाओं से बने हैं।
कृदंत के भेद –
कृदंत के चार मुख्य भेद हैं –
1. वर्तमानकालिक कृदन्त
2. भूतकालिक कृदन्त
3. भविष्यकालिक कृदन्त
4. पूर्वकालिक कृदन्त
1. वर्तमानकालिक कृदन्त – धातु के अन्त में ता प्रत्यय जोड़ने से वर्तमान कालिक कृदन्त का रूप बनता है।
2. भूतकालिक कृदन्त – सामान्य भूतकाल की क्रिया का जब विशेषण के रूप में प्रयोग होता है तब उसे भूतकालिक कृदन्त की संज्ञा दी जाती है;
जैसे-
सुनी, देखी, आई आदि कृदन्त सुनना, देखना और आना क्रियाओं से बने हैं। इनका प्रयोग प्रायः विशेषण के रूप में होता है।
3. भविष्यकालिक कृदन्त – जिन क्रियाओं के अन्त में वाला या हारा प्रत्यय लगता है, वे भविष्यकालिक कृदन्त कहलाते हैं।
जैसे-
होनहार, सोने वाले, जागने वाले आदि ।
4. पूर्वकालिक कृदन्त – जो शब्द वाक्य की मुख्य क्रिया के पूर्व आने वाली क्रिया समाप्ति बताते हैं, वे पूर्वकालिक कृदन्त कहलाते हैं;
जैसे-
देकर, लेकर आदि ।
तद्धित प्रत्यय – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रियाविशेषण में लगने वाले प्रत्यय तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। तद्धित प्रत्यय के मुख्य भेद निम्नलिखित हैं-
1. कर्तृवाचक तद्धित
2. भाववाचक तद्धित
3. विशेषण प्रत्यय
4. लघुतावाचक तद्धित
1. कर्तृवाचक तद्धित
जो शब्द क्रिया के अतिरिक्त अन्य शब्दों में प्रत्यय लगने से बनते हैं और संज्ञा बनकर वाक्यों में कर्ता के रूप में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें कर्तृवाचक तद्धित कहते हैं । ये शब्द प्रायः जातिवाचक और व्यक्तिवाचक संज्ञाओं से बनते हैं।
2. भाववाचक तद्धित
संज्ञा, विशेषण या क्रिया शब्दों में प्रत्यय लगाने से जो शब्द बनते हैं, वे भाववाचक तद्धित होते हैं। भाववाचक संज्ञाएं निम्नलिखित रीतियों से बनाई जाती हैं-
1. जातिवाचक संज्ञा से
प्रश्न 1. प्रत्यय किसे कहते हैं ?
उत्तर – उत्तर के लिए प्रत्यय की परिभाषा देखें।
प्रश्न 2. उपसर्ग तथा प्रत्यय में अन्तर स्पष्ट करें।
उत्तर – प्रत्यय शब्दों के अंत में तथा उपसर्ग शब्दों के आरम्भ में लगकर, उनके अर्थ में नवीनता अथवा परिवर्तन ला देते हैं ।
समाज के पीछे इक प्रत्यय लगाने से सामाजिक तथा बल से पूर्व स लगाने से सबल बन जाता है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित उपसर्गों से नए शब्दों का निर्माण कीजिए-
(क) आ, दुर्, अव, परा, अधि, अभि, उद्, परि, उप, प्र, प्रति, सु, प्राक् तत् ।
(ख) अनु, वि, अप, अन ।
उत्तर –
प्रश्न 4. निम्नांकित उपसर्ग अथवा प्रत्यय लगाकर शब्द बनाइए और उन शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
अनु, आ, उप, अव, हारा, पन, वान्, क ।
उत्तर – उपसर्ग – अनुगामी, आजीवन, उपमंत्री, अवकाश ।
प्रत्यय – लकड़हारा, बचपन, दयावान्, पाठक।
वाक्य – हमें महान् प्रतिभाओं का अनुगामी बनना चाहिए ।
वह आजीवन समाज सेवा करता रहा।
वे उपमंत्री का कार्यभार संभाल रहे हैं ।
मुझे दो दिन का अवकाश चाहिए ।
लकड़हारा लकड़ियां काटकर अपना जीवन निर्वाह करता है ।
प्रेमचंद का बचपन कष्टमय परिस्थितियों में बीता।
दयावान् का सर्वत्र सम्मान होता है।
पाठक को अच्छी पुस्तकें पढ़नी चाहिएं।
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