JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 6 समास

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 6 समास

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Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 10th Class Hindi Solutions

समास

समान – परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल का नाम समास है। जैसे- राजा का पुत्र = राजपुत्र ।
समास के भेद – (i) अव्ययी भाव, (ii) तत्पुरुष (iii) द्वन्द्व (iv) बहुव्रीहि ।

1. अव्ययी भाव

जिस समास का पहला खण्ड प्रधान हो वह अव्ययी भाव समास होता है। पहला खण्ड अव्यय होता है।
जैसे –
क्षण-क्षण = प्रतिक्षण
आजीवन = जीवन भर
आजन्म = जन्म भर
भरपेट = पेट भर कर
आमरण = मरण तक
हर समय = हर समय में
बीचों-बीच = बीच-बीच में
साफ-साफ = बिल्कुल साफ
यथाशक्ति = शक्ति के अनुसार
यथामति = मति के अनुसार
यथाविधि = विधि के अनुसार
हाथों-हाथ = हाथ-हाथ में
प्रतिक्षण = क्षण-क्षण
प्रतिदिन = दिन-दिन के प्रति
प्रत्यक्ष = आँखों के सामने

पुरुष

जिस समास में दूसरा खण्ड प्रधान होता है उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे- राजा का महल
तत्पुरुष समास के भेद इस प्रकार हैं-

(i) कर्म तत्पुरुष

स्वर्गगत = स्वर्ग को गत
ग्रामगत = ग्राम को गत
शरणागत = शरण को आगत
शरणापन्न = शरण को (में) आपन्न, गत
सुख प्राप्त = सुख को प्राप्त

(ii) करण तत्पुरुष

रेखांकित = रेखा से अंकित
तुलसीकृत = तुलसी द्वारा कृत
हस्तलिखित = हाथ से लिखित
रेलयात्रा = रेल द्वारा यात्रा
मदान्ध = मद से अन्ध
दईमारा = दैव से मारा
मुंहमांगा = मुंह से मांगा
हृदयहीन = हृदय से हीन
गुणयुक्त = गुणों से युक्त
मनमानी = मन से मानी

(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष

हवन सामग्री = हवन के लिए सामग्री
रसोईघर = रसोई के लिए घर
सत्याग्रह = सत्य के लिए आग्रह
युद्धक्षेत्र = युद्ध के लिए क्षेत्र
छात्रावास = छात्रों के लिए आवास
देशभक्ति = देश के लिए भक्ति ज
हथकड़ी = हाथों के लिए कड़ी
यज्ञघृत = यज्ञ के लिए घृत
राहखर्च = राह के लिए खर्च
परीक्षाभवन = परीक्षा के लिए भवन

(iv) अपादान तत्पुरुष

जन्म रोगी = जन्म से रोगी
नरकभय = नरक से भय
स्वर्गपतित = स्वर्ग से पतित
जीवनमुक्त = जीवन से मुक्त
धर्मभ्रष्ट = धर्म से भ्रष्ट
पदच्युत = पद से च्युत
धनहीन = धन से हीन
ऋणमुक्त = ऋण से मुक्त

(v) सम्बन्ध तत्पुरुष

विश्वासपात्र = विश्वास का पात्र
घुड़दौड़ = घोड़ों की दौड़
माखनचोर = माखन का चोर
रामकहानी = राम की कहानी
राजकन्या = राजा की कन्या
बैलगाड़ी = बैलों की गाड़ी
भूमिपति = भूमि का पति
अमचूर = आमों का चूर
प्रेमसागर = प्रेम का सागर
दुग्धधार = दुग्ध की धार
राष्ट्रपति = राष्ट्र का पति
जन्मभूमि = जन्म की भूमि
राजपुत्र = राजा का पुत्र
राजसभा = राजा की सभा
राम दरबार = राम का दरबार
शासनपद्धति = शासन की पद्धति
पनचक्की = पानी की चक्की
पितृभक्त = पिता का भक्त
पर्णशाला = पर्णों की शाला
मार्तण्डमण्डल = मार्तण्ड का मण्डल

(vi) अधिकरण तत्पुरुष

आत्मविश्वास = आत्मा पर विश्वास
नराधम = नरों में अधम
नीतिनिपुण = नीति में निपुण
आप बीती = आप पर बीती
धर्मवीर = धर्म में वीर
रसमग्न = रस में मग्न
ग्रामवास = ग्राम में वास
व्यवहारकुशल = व्यवहार में कुशल

(vii) अलुक समास

सरसिज = सरोवर में पैदा होने वाला
अन्तेवासी = पास में रहने वाला
खेचर = आकाश में चरने वाला
वनचर = वन मेंचरने वाला
युधिष्टिर = युद्ध में स्थिर

(viii) मध्य पढ़ लोपी समास

दहीबड़ा = दही में डूबा हुआ बड़ा
गुड़धान = गुड़मिश्रित धान
घृतान्न = घृत में मिश्रित अन्न
पानी बताशा = पानी में डूबा हुआ बताशा

(ix) उपपद समास

शास्त्रज्ञ = शास्त्र को जानने वाला
पंकज = पंक में पैदा होने वाला
जलद = जल देने वाला
मिठबोला = मीठा बोलने वाला
गिरडकट = गिरह की काटने वाला
जलज = जल में पैदा होने वाला

(x) नवत्पुरुष

अछूत = जो छूत न हो
अनपढ़ = जो पढ़ा न हो
अपार = न पार
अनीश्वर = ईश्वर न होना
अनिच्छा = इच्छा का न होना
अपठित = जी पटित न हो
अनहोनी = जो न होनी ही
अनधिकार = अधिकार का न होना
अविश्वास = नाविश्वास
अपरिचत = न परिचित

(xi) कर्मधारय

वचनामृत = वचन रूपी अमृत
चन्द्रमुख = चन्द्र जैसा मुख
घनश्याम = घन जैसा श्याम
नीलकण्ठ = नील जैसा कण्ठ
विद्याधन = विद्या रूपी धन
कमलनयन = कमल जैसे नयन
महावीर = महान् वीर
महादेव = महान् देव
लाल मिर्च = लाल मिर्च
सज्जन = सत् (अच्छा) जन
भलामानुष = भला जो मनुष्य
कमलचरण = कमल जैसे वरण
वज्रग = वज्र जैसे अंग
आशा-किरण = आशा रूपी किरण
आशालता = आशा रूपी लता
भवसागर = भवरूपी सागर
लाल-कुर्ती = लाल कुर्ती
परमानन्द = परम आनन्द
पीताम्बर = पीत अम्बर
परमात्मा = परम आत्मा
कृष्ण सर्प = कृष्ण सांप

3. द्विगु

पहला पद संख्यावाचक

द्विगु = दो गौओं का समूह
सप्तसिन्धु = सात सिन्धुओं का समूह
शताब्दी = सौ अब्दों ( सालों का समूह)
त्रिफला = तीनों फलों का समूह
चवन्नी = चार आनों का समूह
नवरत्न = नौ रत्नों का समूह
चौमासा = चार मासों का समूह
अष्टाध्यायी = आठ अध्यायों का समूह
नवग्रह = नौ ग्रहों का समूह
त्रिलोकी = तीन लोकों का समूह
पंसेरी = पांच सेरों का समूह
दोपहर = दो पहरों का समूह
चौराहा = चार रास्तों का समूह
सतसई = सात सौ पदों का समूह

4 द्वन्द्व

जिसमें दोनों खण्ड प्रधान हों। विग्रह करने पर जिसमें ‘और’ ‘ अथवा ‘ का प्रयोग होता है। जैसे-
माता-पिता = माता और पिता
धर्माधर्म = धर्म और अधर्म
सुख-दुःख = सुख और दुःख
अन्नजल = अन्न और जल
जलवायु = जल और वायु
तन-मन = तन और मन
गरीब-अमीर = गरीब और अमीर
हाथ-पांव = हाथ और पांव
खान-पान = खान और पान
भाई-बहन = भाई और बहन
हाथी-घोड़े = हाथी और घोड़े
दिन-रात = दिन और रात
पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
खट्टा-मीठा = खट्टा और मीठा
दाल-रोटी = दाल और रोटी
धेला-पैसा = धेला और पैसा
राम-लक्ष्मण = राम और लक्ष्मण
नर-नारी = नर और नारी

5. बहुब्रीहि

जिस समास का कोई भी खण्ड प्रदान न हो बल्कि समस्त शब्द अपने खण्डों ने किसी अन्य पद का विशेषण हो अर्थात् जिससे किसी अन्य अर्थ का बोध हो ।
दशानन = दश आननों वाला (रावण)
विशाल हृदय = विशाल है हृदय जिसका
जितेन्द्रिय = इन्द्रियों को जीतने वाला
कनफटा = फटे कानों वाला
लाल कुर्ती = लाल कुर्ती वाला
चन्द्रमुखी = चन्द्र जैसे मुख वाली
चक्रपाणि = चक्र है पाणि में जिसके
हंसमुख = हंसी है मुख पर जिसके
पंचानन = पांच आननों वाला
मृगलोचनी = मृग के समान लोचन (आंखों) वाली
गिरिधर = गिरि (पहाड़) को धारण करने वाला
पीताम्बर = पीले आंबरों वाला (श्रीकृष्ण )
बारहसिंगा = बारह सींग वाला
चतुर्भुज = चार भुजाओं वाला
महात्मा = महान् आत्मा वाला
पतझड़ = जिसमें पत्ते झड़ जाते हैं
चन्द्रानन = चन्द्र जैसा आनन
दशग्रीव= दश ग्रीवाओं वाला
बड़बोला = बड़े बोलों वाला
दशमुख = दश हैं मुख जिसके
महापुरुष = महान् जो पुरुष
देवता – स्वरूप = देवता जैसा है स्वरूप
गजाननृगज (हाथी) के समान है आनन ( मुंह) जिसका
प्रश्न 1. समास के कितने भेद हैं ? सभी परिभाषाएं लिखकर उदाहरण द्वारा इन्हें स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – परिभाषा और उदाहरण पीछे दिए जा चुके हैं।
प्रश्न 2. (i) समास किसे कहते हैं ? किन्हीं दो समासों के नाम लिखिए।
(ii) अव्ययीभाव और द्वन्द्व समास के दो-दो उदाहरण दीजिए ।
उत्तर – (i) परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक शब्दों के मेल को समास कहते हैं।
राजा का पुत्र = राजपुत्र – सम्बन्ध तत्पुरुष
दाल-भात = दाल और भात – द्वन्द्व
(ii) अव्ययी भाव – यथाशक्ति, प्रतिदिन ।
द्वन्द्व – माता-पिता, सुख-दुःख ।
प्रश्न 3. सन्धि और समास का अन्तर स्पष्ट करके उदाहरण दीजिए।
उत्तर – दो वर्णो के विकार या परिवर्तन सहित मेल को सन्धि कहते हैं। परस्पर सम्बन्ध रखने वाले दो या दो से अधिक पदों के मेल को समास कहते हैं। सन्धि में अक्षरों का रूप बदल जाता है, समास में शब्दों का रूप नहीं बदलता । सन्धि में कभी विसर्गों का लोप होता है, समाज में कभी विभक्ति का लोप होता है। जैसे— अतः + एव = अतएव, राजा का मन्त्री = राजमन्त्री
सन्धि का विच्छेद होता है, पर समास का विग्रह होता है ।
विद्यार्थी = विद्या + अर्थी (विच्छेद)
राजकन्या = राजा की कन्या ( विग्रह )
प्रश्न 4. कर्मधारय और बहुब्रीहि तथा द्विगु और बहुब्रीहि का अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर – (i) कर्मधारय समास विशेषण और विशेष्य, उपमान और उपमेय में होता है। बहुब्रीहि समाज में समस्त पदों को छोड़कर अन्य तीसरा ही अर्थ प्रधान होता है।
उदाहरण – नीलाम्बर – यहां नीला विशेषण तथा अम्बर विशेष्य है। अतः यह कर्मधारय समास का उदाहरण है।
दशानन – दश हैं आनन जिसके अर्थात् रावण । यहां दश और आनन दोनों शब्दों के मिलकर अन्य अर्थ का बोध करा रहे हैं। अतः यह बहुब्रीहि समास का उदाहरण है।
(ii) द्विगु समास में पहला पद संख्यावाचक होता है और समस्त पद से समुदाय का बोध होता है। जैसे- दशाब्दी = दस वर्षों का समूह, पंचसेरी = पांच सेरों का समूह बहुब्रीहि में भी पहला खण्ड संख्यावाचक हो सकता है। पर उसके योग से जो समस्त शब्द बनता है वह किसी अन्य अथवा तीसरे अर्थ का बोधक भी है। जैसे- चतुर्भुज – यदि इसका अर्थ चार भुजाओं का समूह लें तो द्विगु समास है पर चार हैं भुजाएं जिसकी अर्थ लेने से बहुब्रीहि समास बन जाएगा।

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