JKBOSE 9th Class Hindi Grammar Chapter 5 शब्द, परिभाषा: शब्दावली का वर्गीकरण

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Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 9th Class Hindi Grammar

Jammu & Kashmir State Board class 9th Hindi Grammar

J&K State Board class 9 Hindi Grammar

 शब्द परिभाषा
शब्द— भावों एवं विचारों की अभिव्यक्ति का सर्वोत्तम साधन भाषा है। अभिव्यक्ति के मूल के शब्द होते हैं। आवश्यकतानुसार शब्दों का चयन कर हम अपने तथ्यों को स्पष्ट । करते हैं। ये शब्द सार्थक होते हैं और अभिव्यक्ति में इनका अपना विशिष्ट महत्त्व होता है।
शब्द – भण्डार
किसी भाषा में का शब्द प्रयुक्त हो रहे अथवा हो सकने वाले सभी शब्दों के समूह को उस भाषा भण्डार कहते हैं।
किसी भाषा में प्रयुक्त होने वाले समस्त शब्द-भण्डार की गणना करना संभव नहीं।। अभिव्यक्ति में नित्य नए-नए परिवर्तन आते रहते हैं। अतः निरन्तर प्रयोग में न आने के कारण कुछ शब्द हटते जाते हैं और सभ्यता के विकास तथा आवश्यकतानुसार नए-नए शब्द बढ़ते जाते हैं। तथा — टी० वी०, दूरदर्शन, किलो, लीटर, मीटर, पोलीथिन, ग्राम, आकाशवाणी आदि शब्द बढ़े हैं। लुप्त होने वाले शब्दों में अथवा शहरी व्यक्तियों के प्रयोग में न आने वाले शब्दों में रत्ती, तोला, छटांक, सेन, मन आदि शब्दों को लिया जा सकता है।
शब्दावली का वर्गीकरण 
शब्द और शब्दावली वर्गीकरण निम्नलिखित दृष्टियों से किया जा सकता है—
(क) अर्थ की दृष्टि से
(ख) इतिहास या स्रोत की दृष्टि से
(क) अर्थ की दृष्टि से वर्गीकरण
अर्थ की दृष्टि से निम्नलिखित चार भेद किए जाते हैं—
 1. एकार्थी— जिन शब्दों का प्रयोग केवल एक अर्थ में ही होता है, उन्हें एकार्थी शब् कहते हैं; जैसे- पुस्तक, पेड़, घर, घोड़ा, पत्थर आदि ।
2. अनेकार्थी— जो शब्द एक से अधिक अर्थ बताने में समर्थ हैं, उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं l
जैसे- काल – समय, मृत्यु । अर्क- सूर्य, आक का पौधा पत्र-पत्ता, चिट्ठी। अम्बर- आकाश, वस्त्र कर-हाथ, टैक्स, हाथी का सूंड ।
3. पर्यायवाची या समानार्थी— जिन शब्दों के अर्थों में समानता हो, उन्हें पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहते हैं जैसे;—
कमल-जलज, नीरज, अम्बुज, सरोज। आदमी – नर, मनुष्य, मानव। आँख – नेत्र, नयन, चक्षु। पहाड़ पर्वत, अचल, गिरि । समुद्र – सागर, जलधि, रत्नाकर बादल – नीरद, मेष, जलद, अम्बुद आग- अग्नि, ज्वाला, हुताशन ।
4. विलोम— विपरीत अर्थ प्रकट करने वाले शब्दों को विपरीतार्थी अथवा विलोम कहते हैं जैसे—
आशा — निराशा
हँसना — रोना
जीवन — मृत्यु
गुण  — दोष
अंधेरा — उजाला
चेतन — जड़
आस्तिक — नास्तिक
पाप — पुण्य
5. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द— जब अनेक शब्दों अथवा वाक्यांश के लिए एक शब्द प्रयोग किया जाता है, उसे अनेक शब्दों के लिए एक शब्द का प्रयोग कहते हैं जैसे— ‘जिसका ईश्वर में विश्वास हो के लिए एक शब्द होगा – ‘आस्तिक’ ।
(ख) इतिहास की दृष्टि से वर्गीकरण
इतिहास या स्रोत की दृष्टि से शब्दों के चार भेद हैं।
1. तत्सम— जो शब्द संस्कृत के मूल रूपों के समान ही हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें तत्सम कहते हैं ; जैसे—नेत्र, जल, पवन, सूर्य, आत्मा, माता, भवन, नयन, आशा, सर्प, पुत्र, हास, कार्य, यदि आदि ।
2. तद्भव— जो शब्द संस्कृत के मूल रूपों से बिगड़ कर हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं, तद्भव कहते हैं; जैसे- दुग्ध से दूध, घोटक से घोड़ा, आम्र से आम, अन्ध से अन्धा, कर्म से काम, माता से माँ, सर्प से साँप, सप्त से सात, रत्न से रतन, भक्त से भगत ।
3. देशज— लोकभाषाओं से आए हुए शब्द देशज कहलाते हैं। कदाचित् ये शब्द बोलचाल से बने हैं ; जैसे- पेड़, खिड़की, अटकल, तेन्दुआ, लोटा, डिबिया, जूता, खोट, फुनगी आदि।
4. विदेशज— जो शब्द विदेशी भाषाओं से लिए गए हैं, उन्हें विदेशज कहते हैं।
(i) अंग्रेजी— डॉक्टर, नर्स, स्टेशन, प्लेटफार्म, पेंसल, बटन, फीस आदि ।
(ii) फ़ारसी— दुकान, ईमान, जहर, किशमिश, उम्मीद, फर्श, जहाज आदि ।
(iii) अरबी— कीमत, फ़ैसला, कायदा, तरफ, नहर, कसरत, नशा, वकील, वजन, कानून, तकदीर, खराब, कत्ल आदि ।
(iv) तुर्की— तगमा, तोप, लाश, चाकू, उर्दू, कैंची, बेगम, गलीचा, बावर्ची, बहादुर आदि ।
(v) पुर्तगाली— तम्बाकू, पेड़ा, गिरजा, कमीज, तौलिया, बाल्टी, मेज, कमरा, अल्मारी आदि ।
(vi) फ्रांसीसी— कारतूस, कूपन, अंगरेज आदि।
5. संकर— दो भाषाओं के शब्दों के मिश्रण से बने शब्द संकर कहलाते हैं।
(i) जाँचकर्ता-जाँच (हिन्दी) कर्ता (संस्कृत)
(ii) सजाप्राप्त-सजा (फ़ारसी) प्राप्त (संस्कृत)
(iii) रेलगाड़ी -रेल (अंग्रेजी) गाड़ी (हिन्दी)
(iv) अगनबोट- अगन (हिन्दी) बोट (अंग्रेजी)
(v) टिकटघर-टिकट (अंग्रेजी) घर (हिन्दी)
(vi) ऑप्रेशन कक्ष – ऑप्रेशन (अंग्रेजी) कक्ष (संस्कृत)
प्रश्न और अभ्यास
प्रश्न 1. शब्द क्या है ? किसी भाषा की शब्द गणना क्यों आसान नहीं है ?
उत्तर— भाषा की अभिव्यक्ति के मूल में शब्द रहते हैं। शब्दों के व्यवस्थित रूप से ह वाक्य बनते हैं। शब्दों के अभाव में अभिव्यक्ति संभव नहीं है।
किसी भाषा के समस्त शब्द भंडार की गणना करना इसलिए संभव नहीं है क्योंकि निरन्तर प्रयोग में आने वाले शब्द हटते रहते हैं और सभ्यता के विकास तथा आवश्यकतानुसार नए-नए शब्द आते रहते हैं।
प्रश्न 2. अर्थ की दृष्टि से शब्दों के चारों भेदों के नाम लिखिए और उनके दोदो उदाहरण दीजिए।
उत्तर— अर्थ की दृष्टि से शब्दों के चार भेद हैं—
(क) एकार्थी— महात्मा गांधी, जनवरी।
(ख) अनेकार्थी— अलि = भाँरा, सखी । अंक = गोद, चिह्न, अब्ज – कमल, शंख।
(ग) पर्यायवाची— जल नीर, पानी । घोड़ा = अश्व, तुरंग ।
(घ) विलोम— सुख = दुःख | विष = अमृत ।
(क) अर्थ की दृष्टि से
1. एकार्थी शब्द
निंदा सम्राट् अनुराग अपराध
अहंकार उत्तम पाप कलंक
आसक्ति अर्चन स्वागत निधन
आराधना प्रणय पत्नी प्रण्य
ऋषि तंद्रा मित्र यातना
निपुण सुषुप्ति अभिनेत्र श्रद्ध
भ्रांति जेनेफर महात्मा गांधी मुंबई
चैत्र मार्च कोलकातार मेश
2. अनेकार्थक शब्द
शब्द अर्थ
अंक गोद, चिह्न, नाटक का अंक, संख्या, भाग्य, अध्याय ।
अंग भाग, एक देश, शरीर का कोई हिस्सा।
अनन्त अन्तहीन, आकाश, विष्णु ।
अर्क सूर्य, काढ़ा, आक का पौधा ।
अर्थ धन, मतलब, कारण, लिए, प्रयोजन ।
अक्ष आँख, सर्प, ज्ञान, धुनी, रथ, आत्मा, कील, मंडल।
अज मेष राशि, बकरा, दशरथ के पिता ब्रह्मा, शिव, जीव ।
 अहि सूर्य, साप, कष्ट ।
3. पर्यायवाची शब्द
शब्द पर्याय
अंग अंश, अवयव, भाग, हिस्सा ।
अधम पतित, दुष्ट, नीच, निकृष्ट ।
असुर दानव, दनुज, दैत्य, राक्षस, तमीचर, रजनीचर ।
अनुचर दास, सेवक, चाकर, नौकर, किंकर, भृत्य ।
अमृत सुधा, अमिय, पीयूष ।
4. विलोम
विलोम शब्दों को विपरीतार्थक, विपर्यय अथवा प्रतियोगी शब्द भी कहते हैं।
शब्द विलोम शब्द
अग्रज अनुज
अथ इति
अनुराग विराग
अवनति उन्नति
अग्नि जल
5. अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
वाक्य खंड/अनेक शब्द एक शब्द
जिसका आदि न हो अनादि
जिसका अंत न हो अनन्त
जिसका ईश्वर में विश्वास हो आस्तिक
जो पहले पैदा हुआ हो ज्येष्ठ, अग्रज
जिसे अक्षरों का ज्ञान हो साक्षर
जिसका ईश्वर में विश्वास न हो नास्तिक
जो बाद में पैदा हुआ हो कनिष्ठ, अनुज
 जिसे अक्षरों का ज्ञान न हो निरक्षर
जो कभी मर न सके अमर

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