JKBOSE 9th Class Hindi Grammar Chapter 7 संज्ञा

JKBOSE 9th Class Hindi Grammar Chapter 7 संज्ञा

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Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 9th Class Hindi Grammar

Jammu & Kashmir State Board class 9th Hindi Grammar

J&K State Board class 9 Hindi Grammar

1. परिभाषा
किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या गुण का बोध कराने वाले विकारी शब्द को संज्ञा कहते
जैसे— रमेश — व्यक्ति का नाम
दिल्ली, लुधियाना — स्थान का नाम
आम — वस्तु का नाम
सुन्दर — गुण का नाम
2. संज्ञा के भेद
संज्ञा के मुख्य रूप से तीन भेद हैं—
.1. व्यक्तिवाचक संज्ञा 2. जातिवाचक संज्ञा 3. भाववाचक संज्ञा ।
व्यक्तिवाचक संज्ञा — जिस संज्ञा से किसी एक ही पदार्थ, स्थान या व्यक्ति का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं
जैसे— महेश, गंगा, काशी आदि ।
जातिवाचक संज्ञा— जिस संज्ञा से किसी जाति के सम्पूर्ण पदार्थों, स्थानों और व्यक्तियों आदि का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं ।
जैसे— पुस्तक, नगर, नदी, मनुष्य, गाय आदि ।
जातिवाचक संज्ञा के अन्तर्गत निम्नलिखित दो भेद भी आते हैं—
(क) द्रव्यवाचक संज्ञा— जिस संज्ञा शब्द से उस सामग्री या पदार्थ का बोध होता हो, जिसमें कोई वस्तु बनी है, ऐसी संज्ञा को पदार्थ वाचक या द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे—
सोना, चांदी (आभूषणों के लिए)
लकड़ी (फर्नीचर आदि के लिए)
तांबा, लोहा, स्टील आदि (बर्तनों के लिए)
ये संज्ञा शब्द अगणनीय होने के कारण एकवचन हैं।
(ख) समूहवाचक संज्ञा— बहुत से संज्ञा शब्द ऐसे हैं, जो एक व्यक्ति के सूचक न होकर समूह अथवा समुदाय के सूचक हैं। उस समुदाय वाचक शब्द में अनेक व्यक्ति (सदस्य के रूप में) अथवा वस्तुएं शामिल होती हैं। ऐसी संज्ञा शब्दों को समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।
यथा— परिवार, कक्षा, पुलिस, सेना, सभा तथा समिति आदि संगठन समूह हैं। भीड़, झुण्ड, बूंद आदि असंगठित समूह हैं। ये सब एक इकाई के रूप में प्रकट होने के कारण एकवचन में होते हैं।
भाववाचक संज्ञा— जिस संज्ञा से किसी भाव, गुण, दोष तथा स्वभाव आदि का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे— बुढ़ापा, सुख, मानवता, चंचलता, पंडिताई आदि ।
भाववाचक संज्ञाओं की रचना
भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा से, विशेषण से और क्रिया में प्रत्यय लगा कर होता है।
जातिवाचक संज्ञा से—                            विशेषण से—                                      क्रिया से—  
बूढ़ा — बुढ़ापा                                        चतुर —  चतुराई                                   सजना — सजावट
बच्चा — बचपन                                      सर्द — सर्दी                                          चलना – चाल
मित्र — मित्रता                                        मीठा — मिठास                                    घबराना – घबराहट
द्रव्यवाचक—  जिस संज्ञा से किसी धातु अथवा द्रव्य का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- सोना, चांदी, पीतल, ताम्बा, लोहा, पारा आदि ।
समुदायवाचक – जिस संज्ञा से समूह का बोध हो, उसे समुदायवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे- सेना, दल, सभा, कक्षा समिति ।
व्यक्तिवाचक संज्ञाएं जातिवाचक बन जाती हैं— जब व्यक्तिवाचक संज्ञाएं किसी एक ही वस्तु, स्थान, व्यक्ति आदि का बोध न करा कर अनेक का बोध कराएं तब वे जातिवाचक बन जाती हैं।
जैसे- जिस देश में भगतसिंह जैसे लोग पैदा हो जाते हैं, वह कभी पराधीन नहीं होता। यहां भगतसिंह एक व्यक्ति का बोध न करा कर देश के लिए बलिदान देने वाले सभी लोगों का बोध करा रहा है। अतः यहां व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक बन गई है।
जातिवाचक संज्ञाएं व्यक्तिवाचक बन जाती हैं
जब जातिवाचक संज्ञाएं किसी जाति के सभी पदार्थों का बोध न करा कर किसी एक ही पदार्थ का बोध कराएं तो वे व्यक्तिवाचक बन जाती हैं ।
जैसे- गांधी देश की महान् विभूति थे। यहां गांधी जातियों के सभी व्यक्तियों का बोध न करा कर केवल महात्मा गांधी एक ही व्यक्ति का बोध कराती है। अतः यहां जातिवाचक संज्ञा व्यक्तिवाचक बन गई है।
भाववाचक संज्ञाएं जातिवाचक बन जाती हैं — जब भाववाचक संज्ञाएं पदार्थों के धर्मों (गुणों) का बोध कर पदार्थों का बोध कराती हैं तब वे जातिवाचक बन जाती हैं ।
जैसे- सब पहरावे गठरी में बांध लो। यह पहरावे धर्म का बोध न करा कर पहनने वाले वस्त्रों का बोध कराता है। अतः यहां पहरावे जातिवाचक संज्ञा बन गया है ।
3. वचन
प्रश्न 1. वचन किसे कहते हैं ? उसके भेद लिखो।
उत्तर— शब्दों के जिस रूप से किसी व्यक्ति, पदार्थ आदि के एक या अनेक होने का पता चले, उसे वचन कहते हैं। वचन के दो भेद हैं—
1. एकवचन— शब्द के जिस रूप से किसी व्यक्ति या पदार्थ आदि के एक होने का बोध हो, उसे एकवचन कहते हैं, जैसे- लड़का, पुस्तक, नदी ।
2. बहुवचन— शब्दों के जिस रूप से व्यक्तियों, पदार्थों आदि के अनेक होने का बोध हो, उसे बहुवचन कहते हैं, जैसे- लड़के, पुस्तकें, नदियाँ ।
वचन संबंधी कुछ नियम
हिंदी में एक के लिए एकवचन और एक से अधिक के लिए बहुवचन का प्रयोग होता है। इस सामान्य नियम के अतिरिक्त वचन के संबंध में कुछ अन्य नियम भी ध्यान देने योग्य हैं—
(1) सम्मान या आदर के अर्थ में एक व्यक्ति के लिए भी बहुवचन का प्रयोग होता है। जैसे— (क) गाँधी जी छूआछूत के विरोधी थे । (ख) श्री रामचंद्र वीर थे ।
इन वाक्यों में एक ही व्यक्ति का वर्णन है, परंतु आदर प्रदर्शन के लिए बहुवचन का प्रयोग किया गया है। इसे आदरार्थक बहुवचन कहते हैं ।
(2) हस्ताक्षर, प्राण, दर्शन, होश, लोग शब्द प्राय: बहुवचन में ही प्रयुक्त होते हैं । यथा— (क) आपके हस्ताक्षर तो विचित्र हैं। (ख) आपके दर्शन तो दुर्लभ हैं।
(3) जनता, वर्षा और पानी शब्द एकवचन में प्रयुक्त होते हैं । यथा— (क) सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। (ख) इतनी वर्षा हुई कि सारे नगर में पानी भर गया ।
(4) कुछ एकवचन संज्ञा शब्दों के साथ गुण, लोग, जन, समूह, वृंद शब्द जोड़कर उनका बहुवचन में प्रयोग किया जाता है। जैसे—(क) छात्रगण परीक्षा की तैयारी में व्यस्त हैं। (ख) मज़दूर लोग काम पर जा रहे हैं।
जिन शब्दों के अंत में जाति, सेना या दल शब्द प्रयुक्त होते हैं उनका प्रयोग एकवचन में होता है। यथा – (क) स्त्री जाति संघर्ष में लगी है । (ख) सेवा-दल महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहा है।
(5) व्यक्तिवाचक और भाववाचक संज्ञाएँ एकवचन में प्रयुक्त होती हैं। जैसे— (क) सरला आठवीं कक्षा में पढ़ती है। (ख) सत्य की ही विजय होती है।
वचन-परिवर्तन
1. अकारांत पुल्लिंग शब्दों के ‘आ’ को ‘ए’ में बदलकर एकवचन से बहुवचन बनते हैं; जैसे—
एकवचन बहुवचन
कुत्ता कुत्ते
लड़का लड़के
बच्चा बच्चे
शीशा शीशे
कपड़ा कपड़े
2. अकारांत स्त्रीलिंग शब्द के अंत में ‘अ’ को ‘ए’ में बदल कर एकवचन से बहुवचन बनाते हैं; जैसे—
एकवचन बहुवचन
कलम कलमें
पुस्तक पुस्तकें
आँख आँखें
मेज़ मेजें
बात बाते
3. इकारांत और इकारांत स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंतिम ‘ई’ को ह्रस्व करके अंत में ‘याँ’ जोड़कर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है; जैसे—
एकवचन बहुवचन
रीति रीतियाँ
तिथि तिथियाँ
नीति नीतियाँ
नारी नारियाँ
शक्ति शक्तियाँ
4. जिन स्त्रीलिंग शब्दों के अंत में ‘या’ होता है, उनमें ‘या’ पर चंद्र बिंदु ( * ) लगाकर एकवचन से बहुवचन बनाया जाता है; जैसे—
एकवचन बहुवचन
गुड़िया गुड़ियाँ
कुटिया कुटियाँ
बुढ़िया बुढ़ियाँ
चुहिया चुहियाँ
चिड़िया चिड़ियाँ
प्रश्न 1. निम्नलिखित वाक्यों में संज्ञा शब्दों को बहुवचन में बदलिए। अन्य संभावित परिवर्तन भी कीजिए।
उत्तर—
(1) आज का युवा कल का निर्माता है। आज के युवा कल के निर्माता है।
(2) मैं आपके साथ चलता हूँ। हम आपके साथ चलते हैं।
(3) लड़का पुस्तक पढ़ता है। लड़के पुस्तकें पढ़ते हैं।
(4) लड़की चर्खा चलाती है। लड़कियाँ चर्खा चलाती हैं।
(5) उसने पुस्तक पढ़ी । उन्होंने पुस्तकें पढ़ी ।
 4. लिंग    
प्रश्न 1. लिंग किसे कहते हैं ? उसके भेद बताओ।
उत्तर—  संज्ञा के जिस रूप से स्त्री या पुरुष जाति का बोध ही उसे लिंग कहते हैं। हिंदी में दो लिंग हैं—
1. पुल्लिंग— संज्ञा के जिस रूप में पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुल्लिंग कहते हैं। जैसे-लड़का, शेर, धोबी।
2. स्त्रीलिंग— संज्ञा के जिस रूप में स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। जैसे-लड़की, शेरनी, धोबिन ।
प्रश्न 2. लिंग की पहचान आप कैसे करेंगे ?
उत्तर— निम्नलिखित नियमों के द्वारा हम लिंगों की पहचान कर सकते हैं—
पुल्लिंगों की पहचान 
नियम – (1) जिन शब्दों के अंत में ‘अ’ आता हो, वे प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसेमन, तन, वन, शेर, मेज़, राम, कृष्ण।
(2) जिन शब्दों के अंत में पा, पन, त्व आए वे प्राय: पुल्लिंग होते हैं। जैसे- मोटापा, बचपन, सतीत्व, देवत्व, नृत्य।
(3) पर्वतों के नाम प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे- हिमालय, विंध्याचल, मलयाचल; कैलाश।
(4) महीनों के नाम भी पुल्लिंग होते हैं। जैसे- चैत्र, आषाढ़, जनवरी, मार्च।
(5) देशों के नाम भी प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे- भारत, रूस, अमेरिका, जापान ।
(6) नक्षत्रों के नाम भी प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे- शनि, सूर्य, मंगल, शुक्र ।
(7) धातुओं के नाम भी प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे-पारा, ताँबा, पीतल सोना।
(8) द्रवों के नाम भी पुल्लिंग होते हैं। जैसे- दूध, दही, तेल, घी।
(9) पेड़ों के नाम भी प्रायः पुल्लिंग होते हैं। जैसे-केला, पपीता, नारियल, अमरूद, आम।
स्त्रीलिंग की पहचान
नियम – (1) नदियों के नाम प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- गंगा, यमुना, ताप्ती, नर्मदा
(2) भाषाओं के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे—संस्कृत, पंजाबी, राजस्थानी, हिंदी, रूसी।
(3) तिथियों के नाम स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे—अमावस, पूर्णिमा, एकादशी, द्वादशी।
(4) जिन शब्दों के अंत में ‘इया’ आता है, वे स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे—बिटिया, नदिया, बुढ़िया, डिबिया
(5) ईकारांत शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे- रोटी, चिट्ठी, पुत्री, दादी, नानी।
(6) जिन शब्दों के अंत में हव, वट, ता, आई, या आस, आए वे निर्जीव वस्तुओं के वाचक शब्द स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे— कड़वाहट, आहट, बनावट, शत्रुता, मूर्खता, मिठाई, छाया, प्यास ।
(7) जिन शब्दों के अंत में ‘आनी’ लगा हो, वे प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं। जैसेइंद्राणी, जेठानी, ठकुरानी, राजरानी ।
(8) जिन शब्दों के अंत में ‘इन’ आए, वे स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे— धोबिन, तेलिन ।
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