JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 3 मुहावरे

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 3 मुहावरे

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 3 मुहावरे

Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 10th Class Hindi Solutions

मुहावरे—अर्थ एवं उसका वाक्यों में प्रयोग

मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश है जो सामान्य अर्थ का बोध न करा कर विशेष अर्थ का बोध कराता है। वाक्य में इसका प्रयोग क्रिया के समान होता है। जैसे—’आकाश-पाताल एक करना’ । इस वाक्यांश का सामान्य अर्थ है ‘ पृथ्वी और आकाश को मिलाना’ लेकिन ऐसा सम्भव नहीं है। अतः इसका लक्षण शब्द-शक्ति से विशेष अर्थ होगा- ‘बहुत परिश्रम करना’ । इसी प्रकार ‘अंगारे बरसना’ का अर्थ होगा ‘बहुत तेज़ धूप पड़ना’ ।

अंग-अंग ढीला होना ( बहुत थकावट का अनुभव करना) – आठ घण्टे लगातार परिश्रम करने के कारण उसका अंग-अंग ढीला हो गया ।

अंग छूना (कसम खाना ) – कैकेयी ने अंग छू कर कहा कि राम को वन भेजने में भरत का कोई दोष नहीं ।

अंगूठा दिखाना (इन्कार करना) – जब मैंने अपने मित्र से सहायता मांगी तो उसने अंगूठा दिखा दिया ।

अक्ल का दुश्मन (मूर्ख) – उसे समझाने की कोशिश करना व्यर्थ है । वह तो अक्ल का दुश्मन है।

अंगारों पर पैर रखना ( जान बूझ कर हानिकारक कार्य करना ) – अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान होने के कारण उसे अंगारों पर पैर नहीं रखने चाहिए।

अंगारे बरसना ( कड़ी धूप पड़ना) – मई-जून की दोपहरी में अंगारे बरसाते हैं ।

अंड-वंड बकना (भला-बुरा कहना ) – तुम उसकी अनुपस्थिति में अंड- वंड बक रहे हो । यदि उसे पता चल गया तो होश ठिकाने लगा देगा।

अन्त बिगाड़ना (कार्य का अन्तिम फल बिगाड़ देना) – अब तक तो तुमने ईमानदारी से काम किया है। भला अब रिश्वत लेकर अपना अन्त क्यों बिगाड़ रहे हो ।

अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा ) – मोहन अपने बूढ़े माता-पिता के लिए अंधे की लकड़ी है।

अन्धेरे घर का उजाला (इकलौता बेटा) – सुरेश अपने माँ-बाप के अंधेरे घर का उजाला है ।

अंधे को दीपक दिखाना (नासमझ को उपदेश देना) – भगवान् कृष्ण दुर्योधन के दुष्टतापूर्ण से समझ गए थे कि उसे उपदेश देना अंधे को दीपक दिखाना है ।

अन्त पाना (रहस्य पाना ) – ईश्वर का अन्त पाना सम्भव नहीं ।

अगर-मगर करना (टालमटोल करना) – उसने मेरा एक हजार रुपया देना है। जब भी मांगता हूं अगर-मगर करने लगता है।

अपना उल्लू सीधा करना (अपना मतलब निकालना ) – स्वार्थी मित्रों से बच कर रहना  चाहिए। उन्हें तो अपना उल्लू सीधा करना आता है।

अपने पांव पर आप कुल्हाड़ी मारना (अपनी हानि आप करना) जो अपने समय का सदुपयोग नहीं करते वे अपने पांव पर आप कुल्हाड़ी मारते हैं ।

अपना सा मुंह लेकर रह जाना (बहुत लज्जित होना) – जब सब के सामने उसकी चोरी की पोल खुली तो वह अपना सा मुंह लेकर रह गया।

अपनी खिचड़ी अलग पकाना (सबसे अलग रहना ) – गणेश न तो अपने सहपाठियों के साथ खेलता है और न ही उनसे बात करता है। वह हर काम में अपनी खिचड़ी अलग पकाता है ।

अक्ल पर पत्थर पड़ना (बुद्धि भ्रष्ट होना) – विद्वान् होते हुए भी रावण की अक्ल पर पत्थर पड़ गए थे अन्यथा वह सीता का अपहरण न करता।

अरण्य – रोदन (व्यर्थ की पुकार अथवा बेअसर रोना-धोना) – अत्याचारी शासक के शासनकाल में ग़रीबों की पुकार अरण्य – रोदन होकर रह जाती है ।

अक्ल के घोड़े दौड़ाना (समस्या का समाधान ढूंढ़ने के लिए सोच-विचार करना) – सभी अधिकारी इस विकट समस्या का हल ढूंढ़ने के लिए अपनी-अपनी अक्ल के घोड़े दौड़ा रहे हैं ।

आँख का कांटा (खटकने वाला व्यक्ति) – मज़दूरों का उग्र नेता उस मिल मालिक की आँख का कांटा बन गया  है।

आँखें खुलना (होश आना, सावधान होना, ज्ञान प्राप्त होना) – उस महात्मा के प्रवचन सुनकर मेरी आँखें खुल गईं।

आँखों पर ठीकरी रखना ( बेशर्म बन जाना ) वह उधार लेकर उसे हज़म करना खूब जानता है। लगता है, उसने आँखों पर ठीकरी रख ली है ।

आँखें चुराना (नज़र बचाना, सामने आने पर छिपना) – उसने मेरे पच्चास रुपये देने हैं। अतः जब भी सामने आता है, आँखें चुराकर निकल जाता है।

आँखों में खून उतरना (अधिक क्रोध करना) – बेटे के कुकर्म की बात सुनकर पिता की आँखों में खून उतर आया।

आँखें दिखाना (डराना) – नौकर जब भी मालिक से अपना वेतन बढ़ाने की प्रार्थना करता है, मालिक उसे आँखें दिखाने लगता है और नौकरी से निकाल देने की धमकी देता है ।

आँख मारना (इशारा करना ) – यदि मैं उसे आँख मार कर मना न करता तो वह सारा रहस्य प्रकट कर देता ।

आँखें फेर लेना (बदल जाना, मर जाना) – स्वार्थी लोग मतलब पूरा हो जाने के बाद आँखें फेर लेते हैं।

आँखों का उजाला (अत्यन्त प्रिय) – सन्तान माता-पिता की आँखों का उजाला होता है।

आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना) – प्रधानमन्त्री के आने पर नगरवासियों ने अपनी आँखें बिछा दीं।

आँख की किरकिरी (खटकने वाली वस्तु अथवा जो अच्छा न लगे) – दुराचारी बेटा अपने सदाचारी पिता की आँख की किरकिरी बन गया है ।

आँखों के आगे अन्धेरा छा जाना ( दिखाई न देना, बहुत निराश होना) – दुर्घटना में अपने बेटे की मृत्यु का समाचार सुनकर माँ की आँखों के आगे अन्धेरा छा गया।

आँखों पर पर्दा पड़ना ( भले-बुरे का ज्ञान न होना) – लोभ के कारण वह दिन-प्रतिदिन भ्रष्टाचार की ओर बढ़ता जा रहा है। लगता है, उसकी आँखों पर पर्दा पड़ गया है ।

आँखों में चर्बी छा जाना (बहुत घमण्ड करना) – व्यापार में अत्यधिक लाभ होने के कारण सेठ जी की आँखों में चर्बी छा गई है।

आँखों में धूल झोंकना ( धोखा देना) – चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंक कर भाग गया।

आँखों में समाना (बहुत प्रिय लगना, सदा ध्यान में रहना) – अच्छा शासक अपनी प्रजा की आँखों में समा जाता है।

आँसू पोंछना (धीरज बंधाना, सहानुभूति दिखाना ) – हमें दीन-दुःखियों के आँसू पोंछने चाहिए।

आंचल पसारना (मांगना, दीन बनना ) – स्वाभिमानी व्यक्ति किसी के आगे आंचल नहीं पसारता ।

आकाश पाताल एक करना ( बहुत परिश्रम करना) – परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए उसने आकाशपाताल एक कर दिया।

आकाश-पाताल का अन्तर होना (बहुत अन्तर होना) – राम और श्याम में आकाश-पाताल का अन्तर है । एक का गुण-गान होता है तो दूसरे की निन्दा ।

आकाश से बातें करना ( बहुत ऊँचा होना) – हिमालय पर्वत की चोटियां आकाश से बातें करती हैं।

आग उगलना (कड़वे वचन बोलना, तेज़ गोलाबारी करना) – शीला की कठोर बातें सुनकर गीता भी आग उगलने लगी अथवा शत्रु को आगे बढ़ते देखकर हमारी तोपों ने आग उगलना प्रारम्भ कर दिया ।

आग लगाकर तमाशा देखना ( लड़ाई-झगड़ा कराकर प्रसन्न होना) – दुष्ट लोग मित्रों में आग लगाकर तमाशा देखते हैं।

आग से खेलना (खतरा मोल लेना) – श्री सुभाषचन्द्र बोस आग से खेलना जानते थे तभी तो उन्होंने अंग्रेजी साम्राज्य से टक्कर ली ।

आगे-पीछे फिरना ( खुशामद करना ) – स्वावलम्बी व्यक्ति किसी के आगे-पीछे नहीं फिरता।

आटे दाल का भाव मालूम होना (कष्ट का अनुभव होना) – शादी के बाद उसे आटे-दाल का भाव मालूम हो गया।

आड़े हाथों लेना (त्रुटियां प्रकट करना, खरी-खोटी सुनाना ) – लाख समझाने पर भी जब वह चुप न हुआ तो मैंने उसे आड़े हाथों लिया ।

आधा तीतर आधा बटेर ( एक विचार का न होना) – आज के युग में बहुत से राजनीतिक नेता आधा तीतर वटेर वाली कहावत चरितार्थ कर रहे हैं ।

आपे से बाहर होना ( काबू में न रहना, क्रोध में आना ) – खान गाली सुनते ही आपे से बाहर हो गया ।

आव देखा न ताव (बिना सोचे-विचारे) – मज़दूरों ने न आव देखा न ताव, वे सब सेठ जी को गालियां निकालने लगे।

आसन डोलना (राज्य जाने का खतरा पैदा होना, दृढ़ निश्चय से डांवाडोल होना) – भ्रष्टाचार में लीन होने के कारण उस अधिकारी का आसन डोलने लगा है। धन के आगे ईमान का भी आसन डोल जाता है ।

आसमान टूट पड़ना (बहुत बड़ी मुसीबत आना ) – मैं सच्चाई से विमुख नहीं हो सकता । भले ही मुझ पर आसमान टूट पड़े।

आस्तीन का सांप (कपटी मित्र ) – उससे सावधान रहना । वह तो आस्तीन का सांप है।

आटा गीला होना (मुसीबत में और मुसीबत आना ) – इस निर्धन अवस्था में उसकी नौकरी छूट जाना आटा गीला होने के समान हैं।

ईंट से ईंट बजाना (नष्ट-भ्रष्ट करना ) – हनुमान ने लंका की ईंट से ईंट बजा दी ।

ईंट का जवाब पत्थर से देना (दृढ़ता से शत्रु का मुकाबला करना) – भारत शत्रु देश की ईंट का जवाब पत्थर से देना जानता है ।

ईद का चाँद होना ( बहुत देर के बाद मिलना ) – भई, शादी के बाद तो तुम ईद का चाँद बन गए हो ।

उंगली उठना (निन्दित होना) – दुराचारी लोगों पर शीघ्र ही उंगली उठने लगती है।

उंगली उठाना (निन्दा करना, हानि पहुंचाने की कोशिश करना ) – बुरे व्यक्ति पर सभी उंगली उठाते हैं। जब तक मैं जीवित हूं, तुम्हारे ऊपर कोई उंगली नहीं उठा सकता ।

उंगली पर नचाना (अपनी इच्छानुसार काम लेना) – पश्चिमी वातावरण से प्रभावित भारतीय नारी अपने सीधे-सादे पति को उंगली पर नचाती है ।

उगल देना ( भेद प्रकट कर देना) – पुलिस की कठोर मार पड़ने पर चोर ने सब कुछ उगल दिया ।

उठ जाना (मर जाना, समाप्त हो जाना) – अल्प आयु में ही भारतेन्दु जी इस संसार से उठ गए । एक न एक दिन सबको उठ जाना है ।

उड़ती चिड़िया पहचानना ( दूसरे की असलियत जान लेना अथवा किसी के मन की बात जाना लेना) – तुम उसे धोखा नहीं दे सकते, वह तो उड़ती चिड़िया पहचानता है।

उधेड़-बुन (सोच-विचार) – उधेड़-बुन में पड़ने की अपेक्षा किसी कार्य में उत्साहपूर्वक लग जाना ही अच्छा होता है।

उन्नीस-बीस का अन्तर ( थोड़ा अन्तर) – दोनों भाइयों के आचरण में उन्नीस-बीस का अन्तर है।

उल्टी गंगा बहाना (नियम के विरुद्ध काम करना ) – गीता के प्रकाण्ड पंडित को कर्म-योग का उपदेश देना उल्टी गंगा बहाना है ।

एक आँख से देखना (एक समान समझना ) – हमारे महाविद्यालय के प्राचार्य सभी छात्रों को एक आँख से देखते है।

एक लड़की से हांकना (अच्छे-बुरे के साथ एक-जैसा व्यवहार करना ) – हमारे नगर के पुलिस अधिकारी सभी को एक लकड़ी से हांकते हैं ।

ऐड़ी चोटी का जोर लगाना (पूरा प्रयत्न करना) – सम्राट् अकबर ने ऐड़ी-चोटी का जोर लगा दिया पर वह राणा प्रताप को अपने अधीन न कर सका।

कंचन बरसना (बहुत लाभ होना अथवा धन प्राप्त होना) – जब से उन्होंने नई मिल खोली है, उनके यहां कंचन बरस रहा है।

कठपुतली होना (दूसरों के इशारे पर चलना) – भारत को कोई भी देश अपने धन-वैभव के बल पर कठपुतली नहीं बना सकता।

कफन सिर पर बांधना (मरने की परवाह न करना) – सैनिक सिर पर कफन बांधकर युद्ध भूमि में प्रवेश करते हैं।

कमर कसना ( तैयार होना) – देश से भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए समाज सेवकों ने कमर कस ली है।

कमर टूटना (सहायक न रहना, निराशा आना) – महंगाई ने निर्धन लोगों की कमर तोड़ दी है। जवान बेटे की मृत्यु से बूढ़े पिता की कमर टूट गई।

कलम तोड़ना (बहुत अच्छा लिखना) – प्रेमचन्द जी ने ‘गोदान’ लिख कर कलम तोड़ दी है।

कलेजा थामकर रह जाना (दुःख को बेबसी को सहन कर लेना) – अपने बेटे की मृत्यु का समाचार सुनकर माँ कलेजा थाम कर रह गई।

कलेजा मुंह को आना (अत्यधिक दुःखी होना) – अपने इकलौते बेटे की मृत्यु का समाचार सुनकर उसका कलेजा मुंह को आ गया ।

कलेजे पर सांप लोटना ( ईर्ष्या से जलना) – मेरे प्रथम आने का समाचार सुन कर उसके कलेजे पर सांप लोटने लगा।

कागज़ी घोड़े दौड़ाना (केवल लिखा-पढ़ी करना ) – देश की उन्नति के लिए सरकार को कागज़ी घोड़े दौड़ाने की अपेक्षा लोगों को ठोस कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

कान कतरना (कान काटना, बहुत चालाक होना) – उसको छोटा मत समझो वह बड़े-बड़ों के कान कतरता है।

कान का कच्चा (जो हर एक के कहने में आए ) – हमारे अधिकारी वैसे तो सज्जन हैं, पर कान के कच्चे हैं।

कान खड़े होना (आश्चर्य से सुनने के लिए उत्सुक होना) – नेता के मंच पर आते ही उनका भाषण सुनने के लिए सब के कान खड़े हो गए ।

कान खोलना (सावधान करना ) – आश्चर्य जी ने सुरेश के दोष बतला कर सब विद्यार्थियों के कान खोल दिए ।

कान पर जूं तक न रेंगना (कुछ असर न होना) – मैंने उसे बहुत समझाया कि यह मार्ग उचित नहीं, पर उसके कान पर जूं तक न रेंगी ।

कान भरना (चुगली करना ) – राकेश ने मेरे विरुद्ध आचार्य जी के कान भर कर मुझे 5 रुपये जुर्माना करवा दिया ।

काफूर होना (दूर होना ) – दवाई खाते ही उसका सारा दर्द काफूर हो गया ।

काम आना ( युद्ध में मारा जाना, लाभदायक सिद्ध होना) – भारत-पाक युद्ध में बहुत से सैनिक काम आए। माँ ने पेट काट कर जो रुपया सम्भाल कर रखा था, वह शीला की शादी पर काम आया ।

काला अक्षर भैंस बराबर ( बिल्कुल अनपढ़ ) – तुम उसको पत्र पढ़ने के लिए कह रहे हो, वह तो काला अक्षर भैंस बराबर है।

काटे बिछाना ( रुकावट पैदा करना) – दूसरों के मार्ग में कांटे नहीं बिछाने चाहिएं।

किस खेत की मूली होना (तुच्छ अथवा प्रभावहीन) – महेन्द्र किस खेत की मूली है जो इतनी बढ़-चढ़कर बातें है।

कुआं खोदना (हानि पहुंचाने की कोशिश करना) – जो दूसरों के लिए कुआं खोदते हैं, वे एक दिन स्वयं उसमें गिरते हैं।

कुछ उठा न रखना (कुछ असर न छोड़ना) – मैंने उसकी मदद करने में कुछ उठा नहीं रखा।

कुछ पल का मेहमान (मृत्यु के समीप होना ) – वह रोगी तो कुछ पल का मेहमान है।

कोल्हू का बैल (बहुत अधिक मेहनत करने वाला) – मज़दूर लोग कोल्हू के बैल की तरह काम करते हैं फिर भी उनका आर्थिक संकट दूर नहीं होता ।

कौड़ी को न पूछना (कुछ भी कद्र न होनी ) – दुराचारी एवं अयोग्य व्यक्ति को कोई कौड़ी को भी नहीं पूछता।

खाक छानना ( बेकार फिरना) – बेकारी के इस युग में पढ़े-लिखे लोग भी खाक छानते फिर रहे हैं।

खाला जी का घर ( आसान काम ) – परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करना खाला जी का घर नहीं है ।

खून पसीना एक करना ( बहुत परिश्रम करना) – पिता की खून पसीना एक करके कमाई हुई दौलत को उसका बेटा जुए में लूटा रहा है।

खून का प्यासा (जानी दुश्मन ) – डाकू तो सेठजी के खून का प्यासा है।

खेत रहना (युद्ध में मारा जाना) – भारत-पाक युद्ध में अनेक सैनिक खेत रहे ।

खटाई में पड़ना (किसी काम का बीच में रुक जाना या अधूरा रह जाना) – कर्मचारियों के वेतन बढ़ाने का मामला एक बार फिर खटाई में पड़ गया है ।

गढ़े मुर्दे उखाड़ना (पुरानी बातें फिर से दोहराना ) – जो कुछ हो चुका है उसे भूल जाओ, गढ़े मुर्दे उखाड़ने से कुछ लाभ न होगा ।

गर्दन उठाना (विरोध में उठना) – सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि किसी देश द्रोही ने गर्दन उठाने की कोशिश की तो उसे कुचल दिया जाएगा।

गर्दन पर सवार होना (अपनी बात मनवाने के लिए बुरी तरह पीछे पड़ना) – यदि उससे काम निकलवाना चाहते हो तो उसकी गर्दन पर सवार हो जाओ ।

गले का ढोल होना (पीछा न छोड़ने वाली बात होना) – इस संस्था का प्रबन्ध करना मेरे लिए गले का ढोल बन गया है।

गले का हार होना (प्रिय होना ) – उसका एक मात्र बेटा उसके गले का हार है ।

गांठ का पूरा होना (मालदार) – दुकानदार तो ऐसे ग्राहकों की प्रतीक्षा में रहते हैं जो गांठ के पूरे हों।

गांठ का पक्का (धन सम्भाल कर रखने वाला) – पैसा जोड़ने के लिए गांठ का पक्का बनना पड़ता है।

गांठ बांधना (अच्छी तरह याद रखना ) – मेरी यह बात गांठ में बांध लो कि अन्त में सच्चाई की ही विजय होती है।

गागर में सागर भरना ( थोड़े शब्दों में बहुत अधिक कहना) – बिहारी ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।

गाल बजाना (डींग मारना, घमण्ड से बोलना) — राम ने श्याम को चुनौती देते हुए कहा, “गाल क्यों बजाते हो यदि साहस है तो सामने जाओ।”

गिरगिट की तरह रंग बदलना ( किसी बात पर स्थिर न रहना) – उस पर भरोसा मत करना, वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता है ।

गुड़ गोबर कर देना (बना बनाया काम बिगाड़ देना) – हम चल – चित्र देखने के लिए जा ही रहे थे कि इस बीच चाचा जी ने आकर गुड़ गोबर कर दिया ।

गुदड़ी का लाल (छिपा हुआ गुणवान् व्यक्ति) — श्री लाल बहादुर शास्त्री गुदड़ी के लाल थे।

गूलर का फूल’ (अप्राप्य वस्तु) – निर्धनों के लिए सुख-सुविधा गूलर का फूल बन गई है।

गोबर गणेश (सीधा-सादा होना) – हमारा नौकर तो गोबर गणेश है। उसे इतना भी पता नहीं चलता कि घर में कौन आया था।

घड़ियां गिनना (उत्सुकता से प्रतीक्षा करना) – अयोध्यावासी श्री रामचन्द्र जी के आने की घड़ियां गिनते रहते थे।

घर में गंगा बहना (घर में अथवा सहज में ही योग्य व्यक्ति का मिल जाना) – आपके पिता जी तो हिन्दी-संस्कृत के विद्वान् हैं। अतः आपके घर में ही गंगा बहती है।

घाट-घाट का पानी पीना (अनुभवी होना) – राजेश को चकमा देना सरल काम नहीं है। उसने भी घाट-घाट का पानी पी रखा है।

घात में रहना (किसी को हानि पहुंचाने की ताक में रहना ) – शत्रु से बचकर रहना चाहिए वह हमेशा घात में रहता है।

घाव पर नमक छिड़कना (दुःखी को और दुःखी करना) – महंगाई के इस युग में निर्धन कर्मचारियों के भत्ते बन्द करना घाव पर नमक छिड़कना है।

घाव हरा होना (भूला हुआ दुःख ताज़ा होना) – मृत बेटे की स्मृति ने माँ का घाव हरा कर दिया ।

घास खोदना (व्यर्थ में समय नष्ट करना, तुच्छ काम करना) – परिणाम देखकर तो यह पता चलता है कि वह पढ़ने की अपेक्षा सारा वर्ष घास खोदता रहा।

घी के दिये जलाना ( बहुत प्रसन्न होना ) – अपनी विजय का समाचार सुनकर भारतवासियों ने घी के दिये जलाए ।

घोड़े बेचकर सोना (निश्चित होकर सोना) – अरे भई, आज नौ बजे परीक्षा प्रारम्भ हो रही है और तुम घोड़े बेचकर सो रहे हो ।

चकमा देना (धोखा देना) – चोर पुलिस को चकमा देकर भाग गया।

चम्पत होना (भाग जाना) – माली को अपनी तरफ आते देखकर सब लड़के चम्पत हो गए।

चलती गाड़ी में रोड़ा अटकाना ( होते हुए काम में रुकावट डालना ) – संस्था का कार्य ठीक प्रकार से चल रहा था कि किसी ने प्रधान के चुनाव का प्रश्न उठाकर चलती गाड़ी में रोड़ा अटका दिया ।

चाँद पर थूकना (बड़े व्यक्ति का अपमान करने का प्रयत्न करने पर स्वयं ही हानि उठाना) – गांधी जी की निन्दा करना चाँद पर थूकने के समान है।

चांदी का जूता होना (रुपये की रिश्वत ) – सरकारी कार्यालयों में काम करवाने का सबसे अच्छा उपाय चांदी का जूता है।

चांदी होना ( बहुत धन प्राप्त होना ) – इन दिनों सीमेंट एवं लोहे के व्यापारियों की चांदी है ।

चादर देखकर पांव पसारना (अपनी योग्यता के अनुसार खर्च करना) – चादर देखकर पांव पसारने वाले लोग कभी आर्थिक संकट का सामना नहीं करते ।

चार चांद लगाना (सुन्दरता या मान बढ़ाना) – गीता ने दशम कक्षा की परीक्षा में पंजाब भर में प्रथम स्थान प्राप्त कर अपने विद्यालय को चार चांद लगा दिए हैं ।

चिकना घड़ा होना (जिस पर कुछ असर न हो) — राम तो निर्लज्जता के कारण चिकना घड़ा बन गया है। उस पर किसी उपदेश का असर ही नहीं पड़ता।

चिराग तले अंधेरा होना (गुण के साथ दोष व्यवस्था करने वाले के पास ही उल्टा काम होना) — राम पढ़ाई में और आचार-व्यवहार में तो बहुत अच्छा है, लेकिन शरीर से दुर्बल है । यह तो चिराग तले अंधेरा वाली बात है। दो चौकीदारों के होते हुए चोरी हो जाना चिराग तले अंधेरा है।

चूड़ियां पहनना (कायर बनना ) – यदि तुम शत्रु का सामना नहीं कर सकते तो घर जाकर चूड़ियां पहन लो ।

चेहरे पर हवाइयां उड़ना (घबरा जाना ) – जब सबने उसे पुलिस के हवाले करने का निर्णय किया तो उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं।

चोली दामन का साथ ( गहरा सम्बन्ध ) – नाटक और रंगमंच का चोली दामन का साथ है।

चींटी के पर लगना (छोटे या तुच्छ को भी जोश आना तथा नाश के लक्षण प्रकट होना) – अब तो वह भी अपने अधिकारों के सामने अंट- संट बकने लगा है। लगता है, चींटी के पर लग गए हैं।

छक्के छुड़ाना (बुरी तरह पराजित करना) – भारत-पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए ।

छक्के छूटना (घबरा जाना, हारकर निराश हो जाना) – शिवाजी के आकस्मिक आक्रमण से औरंगज़ेब के छक्के छूट गए।

छठी का दूध याद आना ( बहुत घबरा जाना) – भारतीय वायु सेना के आक्रमण ने पाकिस्तानियों को छठी का दूध याद दिला दिया।

छाती पर मूंग दलना ( सामने ही ढिठाई करना ) – सारा दिन माँ की छाती पर मूंग दलने की अपेक्षा अच्छा है कि कुछ काम करें।

छाती पर सांप लोटना ( ईर्ष्या से जलना) – विदेश में भारत का मान बढ़ते देख कर शत्रु देश की छाती पर सांप लोटने लगा।

जलती आग में घी डालना (क्रोध अथवा झगड़े को बढ़ाना) – मान सिंह ने सम्राट् अकबर से राणा प्रताप के विषय में झूठी बातें कह कर जलती आग में घी डालने का काम किया ।

जली-कटी सुनाना (बहुत कड़वी बातें कहना ) – जली – कटी सुनाने से झगड़ा बढ़ता है । शान्ति से बात करनी चाहिए।

जान हथेली पर रखना (बलिदान देने के लिए तैयार रहना ) – सरदार भगत सिंह ने जान हथेली पर रखकर अंग्रेज़ी साम्राज्य से टक्कर ली ।

ज़हर की पुड़िया (अत्यधिक हानिकारक ) – वह दुष्ट तो ज़हर की पुड़िया है उससे बचकर रहना ।

ज़मीन पर पैर न रखना ( फूला न समाना ) – जब से वह परीक्षा में प्रथम आया है ज़मीन पर पैर नहीं रखता।

जूती चाटना (बहुत खुशामद करना ) – तुच्छ लोग अफसरों की जूती चाटना अपनी शान समझते हैं।

झख मारना (व्यर्थ समय बिताना ) – तुम सारा दिन झख मारते रहते हो, कुछ लाभदायक काम भी किया करो ।

जामे से बाहर होना ( क्रोध में आना ) – जुम्मन गाली सुनते ही जामे से बाहर हो गया ।

टस से मस न होना (अपना हठ अथवा निश्चय न छोड़ना) – मैंने उसे अनेक बार समझाया है कि बुरे लड़कों का साथ छोड़ दो, पर वह टस से मस नहीं होता ।

टेढ़ी खीर होना ( बहुत कठिन काम होना) – सम्राट् अकबर समझ गए थे कि राणा प्रताप जैसे योद्धा को सन्धि के लिए तैयार करना टेढ़ी खीर है ।

टोपी उछालना या पगड़ी उछालना (अपमान करना) – बड़ों का आदर करना चाहिए, उनकी टोपी उछालना अच्छी बात नहीं ।

ठोकरें खाना ( मारा-मारा फिरना) – बेकारी के कारण शिक्षित व्यक्ति भी ठोकर खा रहे हैं ।

डंका बजाना (प्रभाव होना) – भारत-पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अपनी विजय का डंका बजा दिया।

डूबती नैया पार लगाना (विपत्ति अथवा कठिनाई से उबारना ) – हे भगवान् ! हमारी डूबती नैया पार लगा दो।

तलवे चाटना (खुशामद करना) – नौकरों को अपनी नौकरी बनाए रखने लिए मालिकों के तलवे चाटने पड़ते हैं।

तिल का ताड़ बनाना (ज़रा सी बात को बढ़ा देना) – बहुत से समाचार पत्र तिल का ताड़ बनाने में कुशल होते हैं।

तिल धरने की जगह न होना ( बहुत भीड़ होना ) – प्रधानमन्त्री का भाषण सुनने के लिए इतनी अधिक भीड़ थी कि तिल धरने की जगह न थी ।

तीन तेरह होना (भाग जाना) – प्रधानाचार्य को अपनी तरफ आते देखकर सभी छात्र तीन तेरह हो गए ।

तीन पांच करना (हील हुज्जत करना) – यदि तुमने वहां जाकर तीन पांच करने की कोशिश की तो अच्छा न होगा।

तूती बोलना (प्रसिद्ध अथवा प्रभाव होना) – आजकल सारे देश में कांग्रेस सरकार की तूती बोलती है ।

तेवर बदलना (क्रोध से चेहरे का आकार बदलना) – उसने तेवर बदल कर कहा कि मैं तुम्हारी धमकियों से नहीं डरता ।

थाली का बैंगन (अस्थिर विचारों वाला, एक पक्ष का न होना) – राकेश पर विश्वास नहीं किया जा सकता वह तो थाली का बैंगन है ।

थूक कर चाटना (वचन देकर बदलना) —त्याग-पत्र देकर वापस लेने की कोशिश कर रहे हो । यह तो थूक कर चाटने के समान है।

दाँत काटी रोटी होना ( गहरी मित्रता होना ) – उन दोनों मित्रों में दाँत काटी रोटी है ।

दाँत खट्टे करना ( हराना ) – भारतीय सेना ने युद्ध में पाक सेना के दाँत खट्टे कर दिए।

दाँत दिखाना (दीन बनना) – मालिक को गुस्से से देखकर नौकर दांत दिखाने लगा।

दिन फिरना (स्थिति में परिवर्तन आना) – मनुष्य को दुःख में घबराना नहीं चाहिए, दिन फिरते देर नहीं लगती।

दाँतों तले उंगली दबाना (आश्चर्यचकित होना) – उस बालिका का भाषण सुनकर सब ने दाँतों तले उंगली दबा ली।

दाल न गलना ( काम न बनना) – आजकल बिना रिश्वत दिए दाल नहीं गलती ।

दूध का दूध पानी का पानी ( पूरा-पूरा न्याय करना) – न्यायाधीश ने अपने निर्णय में दूध का दूध पानी का पानी कर दिया।

दूर की हांकना (गप्प मारना ) – हमारे चाचा जी ऐसी दूर की हांकते हैं कि सब हैरान हो जाते हैं।

दो नावों पर पैर रखना ( दो पक्षों में होना ) – दो नावों पर पैर रखने वाले लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए ।

दूध की मक्खी (खटकने वाला) – तुम चिन्ता क्यों करते हो । यदि वह हमारी महफिल में आया तो मैं उसे दूध की मक्खी की तरह निकाल दूंगा ।

दो टूक बात करना (साफ़-साफ़ बात करना) – अगर-मगर करने की अपेक्षा दो टूक बात करना अधिक अच्छा होता है।

धूप में बाल सफ़ेद न होना ( अनुभवी होना ) – देखो, मेरा कहना मान लो, मैंने धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए ।

नमक मिर्च लगाना ( बात को बढ़ा कर कहना ) – बात कुछ भी नहीं थी लेकिन शीला ने नमक मिर्च लगा कर बताई ।

नाक कटना (मान नष्ट होना ) – बेटे के कुकर्मों ने पिता की नाक कटवा दी । यदि तुम इस उत्सव में शामिल हुए तो मेरी नाक कट जाएगी।

नाक पर मक्खी न बैठने देना (अपने पर ज़रा सा भी दोष न आने देना) – वे सारा काम सुचारु ढंग से करते हैं। नाक पर मक्खी नहीं बैठने देते।

नाक में दम करना ( बहुत तंग करना ) – छात्रों ने नए प्राध्यापक की नाक में दम कर रखा ।

नाम पर धब्बा लगना ( बदनामी होना) – उसकी काली करतूत के कारण सारे परिवार के नाम पर धब्बा लग गया।

नाकों चने चबवाना ( बुरी तरह तंग करना) – शिवाजी ने अपनी रण-कुशलता से औरंगज़ेब को नाकों चने चबवा दिए ।

नानी याद आना (कष्ट का अनुभव होना) – पर्वत की चढ़ाई चढ़ते समय सबको नानी याद आ गई ।

निन्यानवे के फेर में पड़ना (धन जमा करने की चिन्ता में रहना ) – जो लोग निन्यानवे के फेर में पड़ जाते हैं, वे समाज सेवा नहीं कर सकते ।

नौ दो ग्यारह होना ( भाग जाना ) – चोर पुलिस को देखते ही नौ दो ग्यारह हो गया।

पगड़ी सम्भालना (मान-मर्यादा की रक्षा के लिए तैयार हो जाना ) – मनुष्य को हर कीमत पर अपनी पगड़ी सम्भालनी चाहिए।

पैंतरा बदलना (विचार बदलना, स्थिर न रहना ) – वह पैंतरा बदलना खूब जानता है। मेरे सामने कुछ कहता है आपके सामने कुछ।

पत्थर की लकीर होना (पक्की बात होना) – सरदार पटेल का कहना पत्थर की लकीर होना था ।

पांचों उंगलियां घी में होना ( बहुत लाभ होना) – वस्तुओं के भाव चढ़ जाने से व्यापारियों की पांचों उंगलियां घी में होती हैं ।

पानी का बुलबुला होना (शीघ्र नष्ट हो जाने वाला) – मानव जीवन पानी का बुलबुला है।

पानी-पानी होना (बहुत लज्जित हो जाना) – अपना रहस्य प्रकट होता देखकर वह पानी-पानी हो गया ।

पानी में आग लगाना ( बहुत असम्भव काम कर दिखाना) – उन महात्मा जी को क्रोध दिलाना पानी में आग लगाना है।

पापड़ बेलना (कई काम करना) – उसने बहुत पापड़ बेले हैं, पर उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली।

पहाड़ टूट पड़ना (बहुत बड़ा संकट आना) – उस पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा।

पीठ फेरना (विमुख होना) – उसकी बुरी आदतों से तंग आकर सबने उससे पीठ फेर ली है।

पेट में चूहे कूदना ( बहुत भूख लगना) – सारा दिन कुछ न खाने के कारण मेरे पेट में चूहे कूद रहे हैं।

पेट में दाढ़ी होना (छोटे होने पर भी भीतर से चालाक होना) – उसे बच्चा मत समझो, उसके तो पेट में दाढ़ी है।

पौं बारह होना ( भरपूर लाभ होना) – चांदी के व्यापार से हमारे पौ बारह हो गए हैं।

पेट काटना (बचत करना, कम खाना) – शीला अपनी बेटी की शादी करने के लिए पेट काट कर रुपया जोड़ रही है।

फूटी आंख न भाना (ज़रा सा भी अच्छा न लगना) – दुष्ट एवं दुराचारी व्यक्ति मुझे फूटी आंख नहीं भाते।

फूंक-फूंक कर कदम रखना (बहुत सावधानी से काम करना) – फूंक-फूंक कर कदम रखने पर भी यहां बदनामी का खतरा बना रहता है ।

बगुला भगत होना (ऊपर से अच्छा दिखाई देना पर हृदय से कपटी होना) – आज के युग में बगुला भगतों की कमी नहीं ।

बगलें झांकना (कुछ उत्तर न सूझने पर इधर-उधर देखना) – जब अध्यापक ने उस से प्रश्न का उत्तर पूछा तो वह बगलें झांकने लगा ।

बड़े घर की हवा खाना (जेल जाना) – यदि तुमने चोरी का धंधा न छोड़ा तो एक दिन बड़े घर की हवा खाओगे।

बन्दर घुड़की होना ( दिखावे का झूठा डर होना) – मैं तुम्हारी बन्दर घुड़की से नहीं डरता।

बबूल होकर आम की आशा करना (बुरे कार्य का अच्छा फल प्राप्त करने की व्यर्थ आशा रखना)—स्वार्थी बनकर समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त करना बबूल बोकर आम की आशा करना है।

बरस पड़ना (गुस्से में बोलना) – अपने बेटे की शिकायत सुनकर पिता उस पर बरस पड़े।

बहती गंगा में हाथ धोना (अनुकूल अवसर पाकर लाभ उठाना) — आज सायं दरेसी मैदान में महात्मा जी का प्रवचन होगा और आप भी वहां चल कर बहती गंगा में हाथ धो लें।

बढ़-चढ़ कर बातें करना (डींग मारना, शेखी बघारना) – बढ़-चढ़ कर बातें करना ही जानते हो या कुछ कर भी सकते हो ।

बाएं हाथ का खेल (आसान काम ) – नदी पार करना मेरे लिए बाएं हाथ का खेल है।

बात का धनी होना (वचन या निश्चय का पक्का होना) – महान् व्यक्ति बात के धनी होते हैं।

बाल की खाल निकालना (नुक्ताचीनी करना, ज़रूरत से अधिक तर्क-वितर्क करना) – लोकसभा में विरोधी दल के सदस्य बाल की खाल निकालते हैं।

बाल-बाल बचना ( पूरी तरह से बच जाना ) – वह दुर्घटना में बाल-बाल बच गया।

बाल भी बांका न होना ( ज़रा सी भी हानि न पहुंचना ) – जब तक मैं जीवित हूं तुम्हारा बाल भी बांका न होने दूंगा ।

बालू की भीत होना (बहुत कच्चा होना) – उस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। उसकी सब युक्तियां बालू की भीत हैं।

बीड़ा उठाना (ज़िम्मेदारी लेना) – जिन्होंने देश की उन्नति का बीड़ा उठाया है, वे आराम से नहीं बैठ सकते।

बोलबाला होना (प्रभाव या प्रसिद्ध होना) – आजकल सारे देश में कांग्रेस पार्टी का बोलबाला है।

बातों में आना (किसी के कहने पर शीघ्र विश्वास कर लेना) – उसकी बातों में आकर अपने मित्र से मुंह मोड़ना अच्छी बात नहीं ।

भीगी बिल्ली बनना (कायर बन जाना) – पुलिस को अपनी तरफ आते देखकर सभी ग्रामीण भीगी बिल्ली बन गए।

बांसों उछलना (बहुत प्रसन्न होना) – वह अपनी सफलता का समाचार सुनकर बांसों उछलने लगा।

मीठी छुरी ( ऊपर से मीठा बोलकर हानि पहुंचाना) – अरे ! उसके पीछे मत लगो । वह तो मीठी छुरी है।

माथे पर बल न पड़ना ( ज़रा सा भी क्रोध न होना) – लोगों ने स्वामी जी को बहुत बुरा-भला कहा, पर स्वामी इतने शान्त रहे कि उनके माथे पर बल न पड़े।

मिट्टी का माधो (मूर्ख) – उससे कुछ उम्मीद न रखो, वह तो मिट्टी का माधो है।

मुंह की खाना ( बुरी तरह पराजित होना) – सन् 1977 के आम चुनाव में कांग्रेस ने मुंह की खाई।

मुंह ताकना (सहायता की आशा करना) – निर्धन एवं असहाय लोग धनवानों का मुंह ताकते हैं।

मुंह पर हवाइयां उड़ना ( डर जाना, घबरा जाना ) – पुलिस को देखकर चोर के मुंह पर हवाइयां उड़ने लगीं।

माथा ठनकना ( संदेह होना ) – उसकी बातें सुनकर मेरा माथा ठनकने लगा ।

मुंह में पानी भर आना ( ललचाना ) – ताज़ी मिठाई को देखकर उसके मुंह में पानी भर आया।

मुट्ठी गर्म करना ( रिश्वत देना) – लगता है तुमने उसकी मुट्ठी गर्म नहीं की, तभी तो तुम्हारा काम नहीं बना।

मुट्ठी में करना ( वश में करना) – रिश्वत के बल पर उन्होंने अधिकारी को अपनी मुट्ठी में कर लिया है।

रंग जमाना (आनन्द का अवसर बनाना ) – उसने अपने अभिनय द्वारा ऐसा रंग जमाया कि सभी वाह-वाह कर उठे।

राम बाण ( अचूक साधन ) – वैद्य जी की दवाई रोगी के लिए राम बाण सिद्ध हुई ।

रंगा स्यार (ढोंगी व्यक्ति ) – आजकल के महात्मा रंगे स्यार होते हैं ।

रंग में भंग पड़ना (किसी प्रसन्नता के अवसर पर विघ्न पैदा होना ) – उत्सव का बड़ा आनन्द आ रहा था । अचानक बिजली के चले जाने से रंग में भंग पड़ गया ।

राई का पहाड़ बनाना ( छोटी बात को बढ़ा-चढ़ा कर कहना ). – बात को कुछ भी नहीं थी पर उसने राई का पहाड़ बना दिया ।

लंगोटिया यार (बचपन का गहरा मित्र ) – राकेश तो मेरा लंगोटिया यार है ।

लम्बी तानकर सोना ( निश्चिन्त रहना) – परीक्षा दिन-प्रतिदिन निकट आ रही है और तुम लम्बी तान कर सो रहे हो ।

लहू के घूंट पीकर रह जाना (क्रोध को मन में दबा लेना) – द्रोपदी का अपने सामने अपमान होते देखकर पाण्डव लहू का घूंट पीकर रह गए ।

लहू पसीना एक करना ( अत्यधिक परिश्रम करना) – मज़दूर लोग अपनी जीविका कमाने के लिए लहू पसीना एक कर देते हैं ।

लाल-पीला होना (गुस्से में आना ) – अपने ऊपर झूठा आरोप लगते देखकर वह लाल-पीला हो गया ।

लोहा गर्म होना (अवसर अनुकूल होना) – मार्च, 1977 के चुनाव में लोहा गर्म देखकर जनता पार्टी ने चोट की और विजय प्राप्त की ।

लोहा मानना (अधीनता स्वीकार करना, शक्ति मानना ) – अकबर जैसा शक्तिशाली सम्राट् भी राणा प्रताप का लोहा मानता था ।

लोहा लेना (डटकर टक्कर लेना) – मार्च, 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने कांग्रेस से लोहा लिया और बहुमत से विजय प्राप्त की।

लकीर का फकीर होना ( पुरानी परिपाटी पर चलना ) – आधुनिक युग में भी कुछ लोग लकीर का फकीर बनकर रहते हैं ।

लुटिया डुबोना (काम बिगाड़ देना) – उसके सामने रहस्य की बात प्रकट करके तुमने मेरी लुटिया डुबो दी।

लोहे के चने चबाना (बहुत कठिन काम करना) – एम० ए० की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करना लोहे के चने चबाना है।

विष उगलना (कड़वी अथवा कठोर बात कहना ) – दूसरों के लिए विष उगलना अच्छी आदत नहीं।

शेर के दांत गिनना (साहस का काम करना ) – भरत बचपन में ही शेर के दांत गिनता था ।

शैतान के कान कतरना ( बहुत चालाक होना) – तुम उसे धोखा नहीं दे सकते, वह तो शैतान के कान कतरता है।

श्रीगणेश करना (कार्य आरम्भ करना) – दीपावली के शुभ दिन उन्होंने अपनी नई मिल का श्रीगणेश किया।

सठिया जाना (बुद्धि ठीक न करना, असन्तुलित होना) – अब तो मुंशी जी सठिया गए हैं अतः उनसे सलाह लेना उचित नहीं ।

सात घाट का पानी पीना (बहुत अनुभवी तथा चालाक होना) – आप सब मिल कर भी कर्मचन्द को धोखा नहीं दे सकते। उसने सात घाट का पानी पी रखा है।

सिर उठाना (विरोध में उठना ) – डाकू शेर सिंह ने अपने साथियों को चेतावनी देते हुए कहा- यदि किसी ने सिर उठाया तो उसे कुचल दूंगा।

सोने में सुगन्ध (गुण के साथ गुण मिलना ) – नाटक में गीत-संगीत की योजना सोने में सुगन्ध के समान है।

सात-पांच करना (चालाकी दिखाना) – सीधी तरह बात करो । सात-पांच करना ठीक नहीं ।

स्वाहा करना (नष्ट कर देना) – नालायक बेटे ने पिता की सारी सम्पत्ति स्वाहा कर दी ।

सूरज ( सूर्य ) को दीपक दिखाना (किसी महान् व्यक्ति का परिचय देना) – महात्मा गांधी का परिचय देना सूरज को दीपक दिखाना है ।

सिर पर सवार होना ( बुरी तरह पीछे पड़ना) – नौकर अपना वेतन बढ़वाने के लिए अपने मालिक के सिर पर सवार रहता है।

हथियार डाल देना ( पूरी तरह हार स्वीकार करना ) – लाचार होकर पाक सेना ने भारतीय सेना के आगे हथियार डाल दिए ।

हवाई किले बनाना (झूठे मनोरथ करना) – परिश्रम के बिना हवाई किले बनाने से कोई व्यक्ति महान् नहीं बन जाता।

हवा लगना ( बुरा प्रभाव पड़ना) – लगता है कि उसे भी ज़माने की हवा लग गई है । जब देखो फैशन की बातें करता है।

हवा से बातें करना ( बहुत तेज़ भागना ) – शीघ्र ही हमारी कार हवा से बातें करने लगी।

हाथ धोकर पीछे पड़ना ( बुरी तरह पीछे पड़ना) – बीमा कम्पनी के एजेण्ट हाथ धोकर पीछे पड़ जाते हैं।

हाथ मलना (पछताना ) – परिश्रम करते तो सफल हो जाते । अब हाथ मलना व्यर्थ है।

हाथ साफ़ करना ( बहुत खाना, जैसे तैसे धन प्राप्त करना, तलवार से काटना) -अच्छा पकवान देखकर रत्न ने खूब हाथ साफ किया। महंगाई में व्यापारियों ने ग्राहकों पर हाथ साफ़ किए । भारतीय सैनिकों ने शत्रुओं पर खूब हाथ साफ़ किए।

हाथों के तोते उड़ जाना (बहुत व्याकुल तथा शोकग्रस्त होना) – पिता की मृत्यु का समाचार सुनकर उसके हाथों के तोते उड़ गए ।

हुक्का पानी – बन्द करना ( सम्बन्ध तोड़ लेना) – यदि तुम सीधे रास्ते पर न आए तो तुम्हारा हुक्का-पानी बन्द कर दिया जाएगा।

हमीर हठ (दृढ़ निश्चयी, पक्का जिद्दी ) – तुम उसे अपने पथ से विमुख नहीं कर सकते । उसका हमीर हठ प्रसिद्ध है।

हाथ धो बैठना (किसी वस्तु से वंचित होना, गंवा बैठना) – जो लोग अपव्ययी होते हैं, वे शीघ्र ही धन से हाथ धो बैठते हैं ।

हाथ-पैर मारना (कोशिश करना ) – वह सफलता प्राप्त करने के लिए हाथ-पैर मार रहा है ।

हाथ रंगना (खूब धन कमाना) – महंगाई में जमाखोर व्यापारी खूब हाथ रंगते हैं।

हाथ खींचना (सहायता बन्द करना) – जहां तक हो सके निर्धनों की सहायता करो । उनसे हाथ खींचना अच्छी बात नहीं ।

हाथ तंग होना (पैसे का अभाव होना)-अपनी बेटी की शादी धूमधाम से करने के बाद उनका हाथ कुछ तंग हो गया है।

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