JKBOSE 9th Class Hindi Grammar Chapter 2 पत्र – लेखन

JKBOSE 9th Class Hindi Grammar Chapter 2 पत्र – लेखन

JKBOSE 9th Class Hindi Grammar Chapter 2 पत्र – लेखन

Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 9th Class Hindi Grammar

Jammu & Kashmir State Board class 9th Hindi Grammar

J&K State Board class 9 Hindi Grammar

आधुनिक जीवन में पत्र लेखन एक महत्त्वपूर्ण कला बन गई है। अपनी भावनाओं एवं विचारों को दूसरों तक पहुंचाने का तथा प्राप्त करने का पत्र एक श्रेष्ठ साधन है। “पत्र हमारे हृदय के विभिन्न पटलों को खोलने में सहायक होते हैं। ये हमारी भावनाओं एवं विचारों की पंखुड़ियों से निर्मित सुन्दर पुष्प हैं।”
व्यक्तिगत पत्रों का अत्यधिक महत्त्व है। ये दूरस्थ व्यक्तियों की भावना को एक संग भूमि पर लाने का सरलतम साधन हैं। पारिवारिक तथा सामाजिक सम्बन्धों को बनाए रखने के लिए पत्र एक सेतु का कार्य करते हैं।
प्राचीनकाल में भी पत्रों का बड़ा महत्त्व था । यातायात के साधनों के अभाव के कारण उस समय संदेश ले जाने तथा ले आने का कार्य हंस तथा कबूतर आदि पक्षी करते थे। वैज्ञानिक युग में रेल, टेलीफोन तथा तार आदि ने पत्रों के महत्त्व को विशेष बढ़ावा दिया हैं।
पत्रों में कलात्मकता का गुण होना चाहिए। इसी कारण पत्र-लेखन को एक-कला की संज्ञा दी गई है। पत्र के द्वारा पत्र लेखक के व्यक्तित्व का भी उद्घाटन हो जाता है। महान् व्यक्तियों तथा साहित्यकारों द्वारा लिखे गए पत्र एक अमूल्य निधि बन जाते हैं।
अच्छे पत्र के गुण— एक अच्छे पत्रों में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए—
1. भाषा-शैली में सरलता— पत्र – लेखक को अपनी विद्वत्ता की धाक् जमाने का प्रयत्न नहीं करना चाहिए। पत्र का पाठक सामान्य स्तर का भी हो सकता है। अतः पत्र की भाषा सरल एवं बोलचाल के निकट हो, शैली में रोचकता का गुण हो ।
2. विचारों में सुस्पष्टता— पत्र में वर्णित विचार पूरी तरह स्पष्ट हों। किसी भी बात को घुमा-फिरा कर लिखना पत्र की रोचकता को समाप्त कर देता है। कोई भी बात कौतूहल उत्पन्न करने वाली न हो।
3. संक्षेप— पत्र में प्रत्येक भाव एवं विचार को संक्षेप में लिखना चाहिए। व्यर्थ की भूमिका नहीं देनी चाहिए। कई पाठक तो लम्बे पत्र को एक ओर फेंक देते हैं। पत्र में केवल उन्हीं बातों का वर्णन हो जो आवश्यक हैं। यदि किसी पत्र का उत्तर लिखना हो तो प्रत्येक बात को एक क्रम से स्पष्ट करते हुए लिखना चाहिए। कोई भी आवश्यक बात छूटने न पाए। पत्र एक पूर्ण चित्र के समान हो।
4. प्रभाव की एकता— पत्र में पाठक को प्रभावित करने का भी गुण होना चाहिए। पाठक को ऐसा प्रतीत हो जैसे वह एक श्रोता के समान किसी पात्र के संवाद सुन रहा है जिसमें तन्मयता का गुण है और जिस पर टीका-टिप्पणी करने की कोई गुंजाइश नहीं।
उक्त गुणों के अतिरिक्त पत्र की लिखावटासुन्दर हो । विराम चिह्नों का प्रयोग यथा स्थान होना चाहिए। पत्र को एक ही पैरे में न लिखकर दो-तीन पैरों में लिखना चाहिए। पत्र के आरम्भ और अन्त दोनों की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
पत्रों का वर्गीकरण
पत्रों के क्षेत्र अत्यन्त व्यापक हैं। ये स्थूल रूप से तीन प्रकार के होते हैं—
1. सामाजिक पत्र
2. व्यापारिक पत्र
3. सरकारी पत्र
व्यापारिक एवं सरकारी क्षेत्रों में औपचारिकता रहती है।
सामाजिक पत्र— ये हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। सामाजिक पत्रों के विविध रूप हैं—
(क) सम्बन्धियों के पत्र
(ख) मित्रों के पत्र
पत्रों के विषय परिस्थिति और समय के अनुसार भिन्न-भिन्न होते हैं यथा—
(क) बधाई – पत्र
(ख) शोक-पत्र
(ग) निमन्त्रण-पत्र आदि
पारिवारिक एवं सामाजिक सम्बन्धों के अनुसार पत्र प्रायः चार प्रकार के होते हैं—
1. छोटे बड़ों को लिखते हैं।
2. बड़े छोटों को लिखते हैं ।
3. बराबर वाले बराबर वालों को लिखते हैं ।
4. व्यावहारिक पत्र— इन पत्रों का सम्बन्ध व्यवहार सम्बन्धी आवश्यकता से है। ऐसे पत्रों में किसी प्रकार के अपनत्व को प्रकट करने तथा हार्दिक अनुभूतियों को व्यक्त करने का अवसर नहीं होता।
हिन्दी के पत्र अंग्रेज़ी के पत्रों से भिन्न होते हैं। अंग्रेज़ी- पत्रों में प्रायः सब (छोटे-बड़े) के लिए आरम्भ में My Dear का प्रयोग होता है, लेकिन हिन्दी के पत्रों में अभिवादन सम्बन्धों के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है।
पत्र के अंग
(i) पत्र-प्रेषक का नाम एवं पता (दाहिनी ओर)
(ii) दिनांक
(iii) सम्बोधन
(iv) अभिवादन
(v) विषय
(vi) अभिनिवेदन
सम्बन्ध के अनुसार पत्रों में सम्बोधन, अभिवादन और अन्त में अभिनिवेदन—
(i) अपने से बड़ों को
(i) सम्बन्ध— माता, पिता, गुरु, बड़ा भाई, चाचा, मामा आदि ।
आरम्भ— पूज्य, आदरणीय, पूजनीय, श्रद्धेय, परम आदरणीय आदि।
अभिवादन— सादर प्रणाम, सादर नमस्कार आदि।
अभिनिवेदन ( समाप्ति पर)— आपका आज्ञाकारी, आपका कृपापात्र, कृपाभिलाषी, आप का सेवक ।
(ii) अपने से छोटों को
आरम्भ— प्रिय अनुज, प्रियवर आदि ।
अभिवादन— शुभाशीष, चिरंजीव रहो, प्रसन्न रहो आदि।
अभिनिवेदन— तुम्हारा हितैषी, तुम्हारा शुभ चिन्तक, शुभाकांक्षी ।
(iii) बराबर वालों को पत्र अथवा मित्रों को पत्र
आरम्भ— प्रिय जगजीत, प्रिय मित्र आदि ।
अभिवादन— सस्नेह नमस्कार, जयहिन्द
अभिनिवेदन—आपका अभिन्न हृदय, आपका अपना ।
(iv) व्यावहारिक पत्र
आरम्भ— प्रिय महोदय, प्रिय महाशय, श्रीमान् जी।
सम्बोधन— कोई आवश्यकता नहीं
अभिनिवेदन— भवदीय; निवेदक आदि ।
1. जन्म दिवस पर प्राप्त भेंट के लिए धन्यवाद-पत्र लिखें। 
712, जनता नगर
23 दिसम्बर, 20 ……
पूज्य चाचा जी,
                  सादर प्रणाम ।
आपने मेरे जन्म दिवस पर मुझे अपनी शुभ कामनाओं के साथ-साथ जो घड़ी भेजी है, उसके लिए मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूं। मेरी पहली घड़ी पुरानी हो जाने के कारण न तो ठीक तरह से चलती थी और न ही ठीक समय की सूचना देती थी। अतः मैं नई घड़ी की आवश्यकता का अनुभव भी कर रहा था। घड़ी देखने में भी अत्यन्त आकर्षक है। ठीक समय देने में तो इसका जवाब नहीं।
चाचा जी, मुझे तोहफे तो और भी मिले हैं पर आपकी घड़ी की बराबरी कोई नहीं कर सकता। आपकी यह प्रिय भेंट चिरस्मरणीय है।
इस भेंट के लिए मैं एक बार फिर आपका धन्यवाद करता हूं।
चाची जी को सादर प्रणाम । विमल और कमल को मेरी ओर से सस्नेह नमस्कार ।
आपका आज्ञाकारी,
विशाल मल्होत्रा ।
2. अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखते हुए उसे कुसंगति से बचने की चेतावनी दीजिए।
209 माडल टाऊन,
जम्मू।
11 अगस्त, 20.……..
प्रिय अनुज,
            चिरंजीव रहो ।
लगभग दो मास तुम्हारी ओर से कोई पत्र न आने का कारण आज मालूम हुआ। मैं सोच रहा था कि शायद तुम अपने अध्ययन में मग्न होंगे, लेकिन इस भ्रांति से परदा हट गया है। तुम्हारे अध्यापक महोदय ने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने अपने प्रथम पत्र में लिखा था कि अगर गौतम इसी तरह अध्ययन में लीन रहा तो निश्चय ही वह अपने स्कूल का नाम रोशन करेगा। आज उन्हीं को यह लिखना पड़ा है कि अगर गौतम इसी रास्ते पर चलता रहा तो खेद से कहना पड़ता है कि शायद वह परीक्षा में उत्तीर्ण भी न हो सके। कारण स्पष्ट करते हुए उन्होंने लिखा है कि तुम्हारी संगति अच्छी नहीं। तुम्हारा उठना-बैठना स्कूल के ऐसे छात्रों के साथ है जिनका लक्ष्य समय और मां-बाप की कमाई को नष्ट करना है।
प्रिय गौतम ! मैं अपने प्रत्येक पत्र में तुम से यही अनुरोध करता हूं कि कुसंगति से बच कर रहना। तुम्हें केवल चलचित्र देखने का ही व्यसन नहीं पड़ा बल्कि तुम धूम्रपान जैसी बुरी आदत का भी शिकार बन गए हो, जानते हो, पिता जी ने क्या-क्या उम्मीदें लगा रखी हैं। वे कहा करते हैं—
” सुपुत्र और सुगंधित वृक्ष की एक ही दशा होती है। जिस प्रकार सुगंधित वृक्ष अपनी गंध से सारे वन को सुवासित कर देता है उसी प्रकार सुपुत्र अपने शुभ कर्मों के फूलों की सुगंधि से सारे कुल को सुवासित बना देता है।” यदि उन्हें तुम्हारे आचरण का पता लग गया तो उन्हें कितना दुःख होगा।
बुरी संगति के प्रभाव का परिणाम बड़ा भयंकर होता है। मनुष्य कहीं का नहीं रहता। वह न परिवार का कल्याण कर सकता है और न देश और जाति के प्रति अपने कर्त्तव्य का निर्वाह कर सकता है। कुसंग नाशकारी है तो सुसंग कल्याणकारी सूर, तुलसी, कबीर आदि संत कवियों ने भी कुसंग से बचने की प्रेरणा दी है।
प्रिय अनुज ! अब भी कुछ नहीं बिगड़ा। बुरी आदतों का परित्याग करो और अपने आपको अध्ययन में केन्द्रित करो। अपने कर्त्तव्य को समझो और सदैव सत्संगति का ही आश्रय लो।
आशा है कि मेरे कथन का तुम पर प्रभाव पड़ेगा। परिश्रम के बल पर पिछली कमी को पूरा करो। मुझे विश्वास है कि तुम अपने खोए हुए स्थान को पुनः प्राप्त करोगे और पिता जी का सपना साकार कर दिखाओगे। घर पर सभी तुम्हें याद करते हैं। कुछ परीक्षोपयोगी पुस्तकें भी भेज रहा हूं। अपनी कुशलता का समाचार लिखते रहना। तुम्हारा शुभ चिन्तक,
सुरेश ।
3. आपकी छोटी बहन परीक्षा में असफल हो गई है। उसे सांत्वना देने के लिए पत्र लिखिए।
अथवा
परीक्षा में असफल रहने वाले अपने मित्र अथवा अपनी सखी को सांत्वना पत्र लिखिए।
207 शास्त्री नगर,
अखनूर ।
7 अक्तूबर, 20…..
प्रिय अनुराधा,
              शुभाशीष ।
आज ही माता जी का पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर दुःख हुआ कि तुम दशम् की परीक्षा में असफल रही हो। यह सब समय के अभाव के कारण हुआ है। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं। माता जी की लम्बी बीमारी के कारण तुम्हें घर का सारा काम-काज भी करना पड़ता था। हमें इस बात में संतोष है कि तुम्हारी सेवा से ही वे अब स्वस्थ हो गई हैं। प्रिय बहन, इसमें निराश होने की बात नहीं, तुमने अपने परीक्षा-पत्रों के विषय में पहले ही संकेत दे दिया था।
जो हो चुका है, उस पर खेद प्रकट करना व्यर्थ है। धैर्य का महामन्त्र है ‘निरन्तर प्रयत्न’ । अगले वर्ष की परीक्षा के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दो । सामान्य सफलता की अपेक्षा शानदार सफलता प्राप्त करना कहीं अच्छा है। यह याद रखो “दृढ़ संकल्प, निरन्तर प्रयत्न और साहस द्वारा सफलता अवश्य प्राप्त होती है। विफलता एक संकेत है पुनः तैयार होने का।” भविष्य उसी का है जिसमें धैर्य का बल है।
अपने हृदय में व्याप्त निराशा एवं उदासी का भाव दूर करो और पूर्ण आशा के साथ अध्ययन में जुट जाओ। मैंने तुम्हारे लिए कुछ परीक्षोपयोगी पुस्तकें भी मंगवाई हैं। प्राप्त होने पर शीघ्र ही भेज दूंगा।
माता जी को सादर प्रणाम । अंशु और रेणु को बहुत बहुत प्यार ।
तुम्हारा भाई,
मयंक ।
4. अपने छोटे भाई को एक पत्र लिखो जिसमें उसे व्यायाम का महत्त्व बताया गया हो।
अथवा
अपने छोटे भाई को पत्र लिख कर उसे स्वस्थ रहने के उपाय बताएं।
322, संगम रोड,
कश्मीर।
27 फरवरी, 20…..
प्रिय अनुज,
                  चिरंजीव रहो।
माता जी ने अपने पत्र में लिखा है कि तुम्हारा स्वास्थ्य निरन्तर गिर रहा है। इससे मुझे बड़ी चिन्ता हुई है। प्रिय अनुज ! स्वास्थ्य ही मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पत्ति है। इसके अभाव में जीवन का कोई भी कार्य सफल नहीं हो सकता। खाने-पीने का आनन्द भी स्वस्थ व्यक्ति ही ले सकता है। यह ठीक है कि तुम्हारा अध्ययन पूर्ववत् चल रहा है परन्तु शीघ्र ही इस गिरते हुए स्वास्थ्य का प्रभाव तुम्हारे अध्ययन पर भी पड़ेगा। मन एवं मस्तिष्क को बलवान् बनाने में स्वास्थ्य का बड़ा योगदान रहता है।
दुर्बलता एक प्रकार का अभिशाप है। शरीर को स्वस्थ एवं शक्ति-सम्पन्न बनाने के लिए व्यायाम की अत्यन्त आवश्यकता है। शरीर की दुर्बलता को दूर करने के लिए व्यायाम एक औषधि है। व्यायाम से शरीर सुन्दर तथा सहनशील बनता है। शरीर में स्वच्छ रक्त का संचार होता है तथा पाचन शक्ति बढ़ती है। अतः तुम नियमित रूप से व्यायाम करो। प्रातः भ्रमण की आदत डालो और किसी खुले स्थान पर वाटिका में जा कर व्यायाम करो। इससे शरीर में स्फूर्ति भी बढ़ेगी और कार्य करने की शक्ति भी।
आशा है कि तुम अपने स्वास्थ्य की उपेक्षा नहीं करोगे और व्यायाम के अभ्यास द्वारा अपने शरीर को पुष्ट बनाओगे।
माता जी को प्रणाम ।
तुम्हारा हितैषी,
रवीन्द्र वर्मा ।
5. छोटे भाई को पत्र लिखो और उसे समय का महत्त्व बताओ।
16 रूप नगर
अवन्तिपुर ।
25 मई, 20…..
प्रिय अनुज,
             चिरंजीव रहो !
कल ही पिता जी का पत्र प्राप्त हुआ है। उसमें उन्होंने तुम्हारे विषय में यह शिकायत की है कि तुम समय के महत्त्व को नहीं समझते। अपना अधिकांश समय खेल-कूद में तथा मित्रों से व्यर्थ के वार्तालाप में नष्ट कर देते हो। नरेश ! तुम्हारे लिए यह उचित नहीं। समय ईश्वर का दिया हुआ अमूल्य धन है। इसका ठीक ढंग से व्यय करना हमारा परम कर्त्तव्य है। समय की उपेक्षा करने वाला कभी महान् नहीं बन सकता ।
शीघ्र ही तुम्हारा कालेज ग्रीष्मावकाश के लिए बन्द हो रहा है। तुमने अपने भ्रमण के लिए जो योजना बनाई है, वह ठीक है। कुछ दिन शिमला में रहने से तुम्हारा मन तथा शरीर दोनों स्वस्थ बन जाएंगे। वहां भी तुम अध्ययन का क्रम जारी रखना। ज्ञान की वृद्धि के लिए पाठ्यक्रम के अतिरिक्त भी कुछ उपयोगी पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए लेकिन दृष्टि परीक्षा पर ही केन्द्रित रहे ।
प्रत्येक क्षण का सदुपयोग एक पीढ़ी के समान है जो हमें निरन्तर उत्थान तथा प्रगति की ओर ले जाता है। संसार इस बात का साक्षी है कि जितने भी महान् व्यक्ति हुए हैं, उन्होंने अपने जीवन के किसी भी क्षण को व्यर्थ नहीं जाने दिया। इसीलिए वे आज इतिहास के पृष्ठों में अमर हो गए हैं, पंत जी ने भी अपने जीवन को सुन्दर रूप में देखने के लिए भगवान् से कामना करते हुए कहा है—
यह पल-पल का लघु जीवन,
सुन्दर, सुखकर शुचितर हो ।
प्रिय अनुज ! याद रखो। समय संसार का सब से बड़ा शासक है। बड़े-बड़े नक्षत्र भी उसके संकेत पर चलते हैं। हमारी सफलता-असफलता समय के सदुपयोग अथवा दुरुपयोग पर ही निर्भर करती है। समय का मूल्य समझना, जीवन का मूल्य समझना है। हमारे देश में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो समय के दुरुपयोग में ही जीवन का आनन्द ढूंढ़ते हैं। ऐसे लोग प्रायः व्यर्थ की बातचीत में, ताश खेलने में, चल चित्र देखने में तथा आलस्यमय जीवन व्यतीत करने में ही अपना समय नष्ट करते रहते हैं। हमारे जीवन में मनोरंजन का भी महत्त्व है पर मेहनत का पसीना बहाने के बाद मनोरंजन के नाम पर समय नष्ट करना भूल ही नहीं बल्कि बहुत बड़ी मूर्खता है।
इस प्रकार समय के सदुपयोग में ही जीवन की सार्थकता है।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम समय का मूल्य समझोगे और उसके सदुपयोग द्वारा अपने जीवन को सफल बनाओगे।
मेरी ओर से माता-पिता को प्रणाम ।
तुम्हारा हितैषी,
सुरेन्द्र वर्मा ।
6. लड़की की शादी के लिए निमन्त्रण पत्र लिखें।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः ।
निर्विघ्नं कुरू में देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
श्रीमती एवं श्री मदन गोपाल खरू अपनी पुत्री
चन्द्रकान्ता
के
प्राणनाथ
( सुपुत्र श्रीमती एवं श्री चमन लाल भट्ट)
के साथ होने वाले शुभ विवाह के अवसर पर आपको सपरिवार निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार अपने निवास स्थान 512 – रघुनाथ बाजार जम्मू में सादर आमन्त्रित करते हैं।
कार्यक्रम
रविवार, 15 सितम्बर, 20…
स्वागत बारात                                                                                                                                  रात्रि 8.00 बजे
सोमवार 16 सितम्बर, 20…
डोली                                                                                                                                             प्रातः 5.00 बजे
दर्शनाभिलाषी
समस्त परिवार
7. लड़के के विवाह का निमन्त्रण-पत्र लिखें।
भेज रहे हैं स्नेह निमंत्रण, प्रियवर तुम्हे बुलाने को।
हे मानस के राजहंस, तुम भूल न जाना आने को ॥
श्रीमती एवं श्री अशोक कुमार सेंगर
सविनय निवेदन करते हैं कि उनके सुपुत्र
चि० सोहन लाल
का शुभ विवाह
सौ० सुधा
( सुपुत्री श्रीमती एवं श्री सुरेन्द्र कुमार अग्निहोत्री, पहलगाँव निवासी के साथ निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार हो रहा है। इस शुभ अवसर पर आप सपरिवार  पधार कर नवयुगल को आशीर्वाद देकर अनुगृहीत करें।
कार्यक्रम
रविवार, 15 जुलाई, 20…
सेहरा बन्दी                                                                                                                                    सायं 5.00 बजे
बारात प्रस्थान                                                                                                                                 सायं 7.00 बजे
(विवाह स्थल – बारात घर, घण्टाघर चौक, श्रीनगर)
आवास :
480 – पार्क लेन,                                                                                                                              दर्शनालिभाषी,
श्रीनगर ।                                                                                                                                सम्बन्धी एवं मित्रगण दूरभाष: 510250
8. गृह प्रवेश का निमंत्रण पत्र लिखें।
परमपिता परमात्मा की असीम कृपा से
श्रीमती एवं श्री हरिकृष्ण गोसाईं
गृहप्रवेश
के शुभ अवसर पर आपको सपरिवार अपने नवनिर्मित मकान नम्बर 720, देवी सोसायटी, कटड़ा में सादर आमन्त्रित करते हैं।
कार्यक्रम
रविवार 26 फरवरी, 20…
हवन                                                                                                                                           प्रातः 10-00 बजे
प्रीतिभोज                                                                                                                              दोपहर बाद 1.00 बजे
                                                                                                                                                        स्वागतकर्त्ता
                                                                                                                                             सम्बन्धी एवं मित्रगण
9. नामकरण सम्बन्धी निमन्त्रण-पत्र लिखें।
श्रीमती एवं डॉ० लक्ष्मीनारायण भट्ट
अपने पौत्र
( सुपुत्र श्रीमती सविता एवं श्री प्रशान्त भट्ट)
के नामकरण संस्कार के
शुभ-अवसर
पर आपको सपरिवार
रविवार, दिनांक 24 अक्तूबर, 20… को
राम दरबार हाल
माल रोड, जम्मू में सादर आमन्त्रित करते हैं ।
कार्यक्रम
यज्ञ प्रातः 10.00 बजे
प्रीतिभोज दोपहर बाद 1.00 बजे
सम्पर्क सूत्र :                                                                                                                                    दर्शनाभिलाषी
12- माल रोड,                                                                                                                          समस्त परिवार जन
जम्मू।
दूरभाष : 741252
10. निमन्त्रण पत्र बड़ी बहन की शादी के उपलक्ष्य में।
अनीस अनसारी,
माल रोड, श्रीनगर ।
10 मार्च, 20…
         प्रिय साहिल,
                  जय हिन्द ।
आपको यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता होगी कि मेरी बड़ी बहन मुमताज का शुभ विवाह जालन्धर के लोकप्रिय व्यापारी श्री अकबर सद्दीकी के सुपुत्र युनुस के साथ 21 मार्च, 20… को सम्पन्न होना निश्चित हुआ है। आपसे प्रार्थना है कि आप इस शुभावसर पर अवश्य सम्मिलित हों। अगर आप शादी से एक सप्ताह पूर्व आ जाएं तो अच्छा रहेगा।
कार्यक्रम
20 मार्च, 20… महिला – संगीत – रात्रि 7-30 बजे
स्वागत बारात 21 मार्च, 20… (प्रात: 9 बजे)
विदाई 21 मार्च, 20… (सायं 5 बजे)
आपका मित्र,
अनीस अनसारी ।
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