JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 14 भिक्षुक

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 14 भिक्षुक

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 14 भिक्षुक (सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’)

Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 10th Class Hindi Solutions

कवि-परिचय

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ आधुनिक युग के क्रांतिकारी कवि माने जाते हैं। उनका उपनाम ‘निराला’ उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व दोनों का परिचायक है। उनका जन्म सन् 1896 ई० में महिषादल राज्य मेदनीपुर, बंगाल में हुआ था। उनके पिता महिषादल राज्य में एक प्रतिष्ठित पद पर कार्य करते थे । अतः निराला का बचपन वहीं व्यतीत हुआ। उन्होंने का । साहित्य M में भी रुचि थी। सन् 1918 ई० में इनकी पत्नी मनोहरा देवी की मृत्यु हुई । पुत्री सरोज की मृत्यु ने इन्हें बहुत आहत कर दिया था। स्वामी रामकृष्ण परमहंस तथा स्वामी विवेकानंद की विचारधारा ने भी उनको प्रभावित किया। सन् 1961 ई० में निराला जी की जीवन लीला समाप्त हो गई ।
रचनाएं – निराला जी बहुमुखी प्रतिभा के कलाकार थे । कहानी, उपन्यास, निबंध, आलोचना और संस्मरण आदि सब में उनकी गति थी । पत्र – संपादक के रूप में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। उन्होंने ‘समन्वय’, ‘मतवाला’ एवं ‘सुधा’ मक पत्रिकाओं का सफल संपादन किया। निराला जी की उल्लेखनीय रचनाएं निम्नलिखित हैं
काव्य-कृतियां – परिमल, अनामिका, गीतिका, नए पत्ते, तुलसीदास राम की शक्ति पूजा आदि ।
उपन्यास – अप्सरा, अलका, निरुपमा, चोटी की पकड़ आदि ।
निबंध – प्रबंध पद्य, प्रबंध प्रतिभा ।
आलोचना – रवींद्र – कविता – कानन, पंत और पल्लव |
काव्यगत विशेषताएं – निराला जी सरस्वती के अद्भुत उपासक थे। उन्होंने संघर्षमय जीवन व्यतीत करते हुए भी हिंदी-साहित्य को अमूल्य ग्रंथ रत्न प्रदान किए। निराला जी के काव्य में एक ओर छायावाद का सफल चित्रण है तो दूसरी ओर रहस्यवाद की भी सफल अभिव्यक्ति है। उनके काव्य में मानवतावादी दृष्टिकोण और राष्ट्रीय भावों का भी सहज चित्रण है। निराला के काव्य में दुःखद, करुण एवं निराशाजनक अनुभूतियों की भी व्यंजना मिलती है। उन्होंने अपनी प्रगतिवादी कविताओं में दीन-दुःखियों की मार्मिक दशा पर प्रकाश डालते हुए उनके प्रति सहानुभूति का परिचय दिया है।
भाषा-शैली – निराला जी रूढ़ियों के विरोधी थे । कविता के क्षेत्र में उन्होंने स्वच्छंदतावाद से काम लेते हुए मुक्तक छंद को ही अपनाया। भाषा में भावानुरूप कोमलता तथा पौरुषता दोनों का सुंदर समन्वय है। एक तरफ समास-प्रधान संस्कृत के शब्दों की प्रचुरता है तो दूसरी ओर सरल एव व्यावहारिक भाषा का रूप मिलता है । अलंकारों का प्रयोग स्वाभाविक एवं भावानुकूल है। कविता में स्वर, लय एवं तुक का विशेष ध्यान रहा है।

कविता का सार

प्रस्तुत कविता में ‘निराला’ जी ने एक दीन-हीन भिखारी का बड़ा मार्मिक चित्र अंकित किया है। पेट भर खाना न मिलने के कारण वह अत्यंत दुर्बल दिखाई दे रहा है। पूरी कविता करुण रस से भरपूर है । भिखारी मन ही मन पछताता हुआ सभी लोगों के दिलों में करुणा उपजाता हुआ रास्ते में आता दिखाई पड़ता है। भिखारी दीनता की मूर्ति है। उसका पेट पिचका है और पीठ से जा लगा है। वह अपनी पुरानी, फटी हुई झोली का मुंह खोलकर भीख मांगता है। उस भिखारी के साथ दो बच्चे भी भीख मांगने आते हैं। वे बाएं हाथ से पेट मलते हैं और दायां हाथ भीख मांगने के लिए फैलाए हुए चलते हैं। उन्हें अपने भाग्य विधाताओं, सेठों से घृणा के सिवा कुछ नहीं मिलता। उनके होंठ भूख से सूखे हैं। वे अपने आँसू पीकर गुज़ारा करते हैं। ये बच्चे सड़क पर पड़ी पत्तलें चाटकर गुज़ारा करते हैं और कुत्ते भी उन पतलों को छीनने के लिए संघर्ष करते दिखाई पड़ते हैं। कुत्ते पत्तलों पर अलग अधिकार मानते हैं । ‘भिक्षुक’ कविता यथार्थपरक, प्रगतिशील और करुण रस की कविता है।

पढ्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. वह आता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता ।
पेट-पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक,
मुट्ठी भर दाने को – भूख मिटाने को,
मुंह फटी – पुरानी झोली को फैलाता-
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता ।
शब्दार्थ – टूक = टुकड़े। लकुटिया = लाठी |
संदर्भ – प्रस्तुत अवतरण ‘निराला’ जी की कविता  ‘भिक्षुक’ से अवतरित किया गया है । इस कविता में कवि ने एक दीन-हीन भिखारी की दशा का मार्मिक चित्रण किया है।
व्याख्या – कवि का कथन है कि उस भिखारी की दयनीय दशा को देखकर हृदय के दो टुकड़े हो जाते हैं हृदय करुणा से भर जाता है । वह भिखारी अपनी दशा पर पश्चात्ताप – सा करता हुआ आ रहा है। भूख और दुर्बलता कारण उसका पेट तथा पीठ दोनों मिलकर एक हो गए हैं। वह लाठी का सहारा लेकर चल रहा है। मुट्ठी भर प्राप्त करने के लिए वह मुँह फटी झोली को फैलाए हुए है।
विशेष – ( 1 ) यहां दीन-हीन भिखारी का यथार्थ तथा कारुणिक चित्र अंकित है।
(2) भाषा सरल तथा मुहावरेदार है।
(3) अनुप्रास अलंकार है ।
2. साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए
बाएँ से वे मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दया दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।
भूख से सूख ओंठ जब जाते,
दाता -भाग्य-विधाता से क्या पाते ?
घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
चाट रहे झूठी पत्तल वे कभी सड़क पर खड़े हुए,
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए।
शब्दार्थ – दाता – भाग्य-विधाता = दानी, भाग्य का निर्माण करने वाला ।
संदर्भ – प्रस्तुत पद्यांश निराला द्वारा रचित कविता ‘भिक्षुक’ से उद्धृत किया गया है । इस कविता में कवि ने एक भिखारी की दयनीय दशा का मार्मिक चित्र अंकित किया है ।
व्याख्या – उस भिखारी के साथ दो बच्चे भी हैं, जो भीख के लिए सदा हाथ फैलाये रहते हैं। अपनी भूख का परिचय देने के लिए उन्होंने बायें हाथ से पेट को दबा रखा है। उन्होंने दायां हाथ आगे बढ़ा रखा है ताकि वे दूसरों की दया उपजा कर कुछ प्राप्त कर सकें लेकिन उन्हें दानी और भाग्य-विधाता कहे जाने वालों से कुछ प्राप्त नहीं होता। ऐसी स्थिति में वे विवशता के कारण आंसुओं के घूंट पी कर रह जाते हैं। भिखारी के बच्चे सड़क पर खड़े होकर जूठी पत्तल चाट रहे हैं जिसे झपट लेने के लिए वहाँ कुत्ते भी डट कर खड़े हुए हैं।
विशेष – ( 1 ) यहां भिखारी की कारुणिक दशा का यथार्थ चित्रण हुआ है।
(2) मुहावरों का सहज प्रयोग तथा अनुप्रास अलंकार विद्यमान है।
(3) भाषा सरल तथा मुक्त छंद हैं ।

J&K class 10th Hindi भिक्षुक Textbook Questions and Answers

भाव-सौंदर्य

प्रश्न 1. “पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक” कहने से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर – इस कथन से कवि का अभिप्राय यह है कि भिखारी को कभी भरपेट भोजन प्राप्त नहीं होता। भूख के कारण उसका पेट चिपक गया है। उनके पेट और पीठ दोनों मिलकर एक हो गए हैं।
प्रश्न 2. भिक्षुक के बच्चों को पेट मलते हुए क्यों दिखाया गया है ?
उत्तर – भिक्षुक के बच्चों को पेट मलते हुए इसलिए दिखाया गया है ताकि देखने वाले यह जान सकें कि वे अत्यंत भूखे हैं। पेट को मलते हुए देखकर लोगों के हृदय में दया भी उत्पन्न हो सकती है और उन्हें भूख मिटाने के लिए अन्न आदि प्राप्त हो सकता है।
प्रश्न 3. “दाता भाग्य-विधाता से क्या पाते ?”
(क) इस पंक्ति में भाग्य-विधाता किसे कहा जाता है ?
(ख) ‘भाग्य-विधाता’ में क्या व्यंग्य छिपा है ?
उत्तर – (क) भाग्य-विधाता उन लोगों को कहा गया है, जो दानी और दयालु तो कहलाते हैं पर किसी दीन-हीन की मदद नहीं करते। इसमें व्यंग्य का भाव भी है। भाग्य-विधाता ईश्वर को भी कहते हैं । ईश्वर से भी उन्हें कुछ प्राप्त नहीं होता।
(ख) इस कथन में यह व्यंग्य छिपा है कि लोग भाग्य-विधाता जैसा बड़ा नाम पाकर भी असहायों की सहायता नहीं करते । वे नाम के ही भाग्य-विधाता हैं ।
प्रश्न 4. “झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए।” इस पंक्ति में कवि के कहने का क्या अभिप्राय हैं ?
उत्तर – जूठी पत्तल को लेकर भिखारी तथा कुत्ते के बीच संघर्ष दिखाकर कवि ने भिखारी की शोचनीय दशा की ओर संकेत किया है। मनुष्य की इससे अधिक दीन-हीन दशा हो ही नहीं सकती।
प्रश्न 5. सही कथन पर √ लगाएं –
भिक्षुक को इस बात का पछतावा है कि –
(क) उसके पास पहनने को अच्छे कपड़े नहीं
(ख) उसका शरीर बहुत ही कमज़ोर है ।
(ग) वह भीख मांगने के लिए विवश है।
(घ) भीख से उसे कम पैसे मिलते हैं।
उत्तर – (ग) वह भीख मांगने के लिए विवश है। है
प्रश्न 6. ‘भिक्षुक’ का केंद्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – ‘भिक्षुक’ कविता में ‘निराला’ जी ने एक भिखारी तथा उसके दो बच्चों की दीन-हीन दशा का चित्रण किया है। विवशता तथा भूख ने भिखारी को इतना दयनीय बना दिया है कि झूठी पत्तल के लिए भी उसे कुत्ते से संघर्ष करना पड़ता है। ऐसा दृश्य देखकर पाठक का हृदय सामाजिक विषमता के प्रति विद्रोह की भावना से भर उठता है।

शिल्प-सौंदर्य

यह कविता किसी बंधे बंधाए छंद में नहीं लिखी गई है बल्कि कवि ने पँक्तियों को अपनी इच्छा से तथा विषय की आवश्यकता के अनुसार छोटा बड़ा किया है। इसलिए यह एक ‘स्वछंद’ कविता है। कविता ‘छंदोंबद्ध’ हो या उस में लय अर्थात् संगीतात्मकता अवश्य होती है।

विस्तार योग्यता

(क) ‘भिक्षुक’ समाज के उपेक्षित वर्ग से संबंधित रचना है। निराला जी ने समाज के उपेक्षित वर्गों से संबंधित कई मर्मस्पर्शी कविताएं लिखी हैं जैसे “वह तोड़ती पत्थर”, “विधवा” आदि । कवि की ऐसी एक या दो कविताओं को ढूँढ़ कर उनका पाठ करें ।
(ख) ‘भिक्षुक’ कविता के आधार पर भिखारी का एक रेखाचित्र बनाएँ ।
उत्तर – अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं कीजिए।

J&K class 10th Hindi भिक्षुक Important Questions and Answers

प्रश्न 1. ‘भिक्षुक’ कविता में भिक्षुक की दीन-हीन अवस्था का वर्णन क्यों किया गया है ? उपयुक्त उत्तर छांटिए-
(क) भिक्षुओं के जीवन से पाठकों का परिचय कराने के लिए।
(ख) भिक्षुओं के प्रति लोगों की सहानुभूति जगाने के लिए।
(ग) भिक्षुओं के प्रति घृणा पैदा करने के लिए।
उत्तर – (ख) भिक्षुओं के प्रति सहानुभूति जगाने के लिए।
प्रश्न 2. ‘अभिमन्यु जैसे हो सकोगे तुम’–’भिक्षुक’ कविता में ‘अभिमन्यु’ शब्द का प्रयोग किसके लिए और क्यों हुआ है ?
उत्तर – ‘भिक्षुक’ कविता में अभिमन्यु शब्द का प्रयोग भिक्षुक के लिए किया गया है। कवि चाहता है कि दीनहीन लोग अभिमन्यु के समान वीर और साहसी बन कर अत्याचार और अनाचार का सामना करने में समर्थ हो जाएं।
प्रश्न 3. ‘भिक्षुक’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर –‘भिक्षुक’ में एक दीन-हीन भिखारी का एक छोटा-सा किंतु प्रभावपूर्ण चित्र है। कवि ने बड़े चित्रात्मक ढंग से भिखारी का प्रवेश कराया है।
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।
मुट्ठी भर दाना प्राप्त करने के लिए वह भिखारी अपनी फटी – पुरानी झोली का मुंह फैलाता है। इसके साथ दो बच्चे भी हैं जिनका हाथ कुछ प्राप्त करने के लिए हमेशा फैला रहता है। लेकिन उन्हें भाग्य-विधाता कहे जाने वालों से कुछ भी प्राप्त नहीं होता। आगे कवि ने जूठी पत्तल के लिए होने वाले मनुष्य और कुत्ते के बीच संघर्ष का वर्णन किया है। जूठन के लिए आदमी को कुत्ते से लड़ना पड़े इससे लज्जा – जनक बात और क्या हो सकती है ? अंत में कवि भावावेश में आकर कह उठता है कि मेरे मन में प्रेम तथा सहानुभूति का अमृत है। इससे तुम्हारे दिलों को सींचकर उत्साह से भर दूंगा। तुम्हें अभिमन्यु जैसा बना दूंगा ताकि तुम अनाचार और अत्याचार से टक्कर ले सको।
प्रश्न 4. कवि ने ‘भिक्षुक’ कविता में एक भिक्षुक का शब्द – चित्र प्रस्तुत किया है । इसके आधार पर भिक्षुक की आत्म-कथा को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – मैं एक भिक्षुक हूं। मुझे अपना पेट भरने के लिए जन-जन के आगे हाथ फैलाना पड़ता है। बहुत कम लोग हैं जो मेरे प्रति सहानुभूति दिखाते हैं। अधिकांश तो मुझे घृणा की दृष्टि से देखते हैं। दयालु के प्रति मैं बड़ा कृतज्ञ हूं। मेरा जीवन हमेशा ऐसा नहीं था । मेरा भी अतीत है जिस पर मैं गर्व कर सकता हूं ।
मेरा जन्म उत्तर भारत के एक गांव में हुआ था। मेरे पिता एक किसान थे। खेती ही हमारे जीवन का आधार थी। मैं अपने माँ-बाप की अकेली संतान था। लाड़ प्यार ने मुझे निठल्ला बना दिया। फिर भी मेरे मन में सपनों की एक सुनहरी दुनिया बसती थी। मैं महत्त्वाकांक्षा के झूले में झूलता रहता। आज वह सब याद करके मन बैठ-सा जाता है।
मेरा जीवन कितना रंगीन और हंसी-मज़ाक से भरा रहता, उसका स्मरण कर कलेजा मुंह को आता है। हमारे खेत एक नदी के तट को छूते थे । नदी की ही कृपा थी कि हमारे खेत लहलहाते थे पर एक साल भयंकर वर्षा हुई । वह नदी हमारे विपरीत हो गई। उसमें अगले ही वर्ष ऐसी बाढ़ आई कि उसने हमारा सब कुछ निगल लिया। बाढ़ के टल जाने के बाद हमने पूरी कोशिश की । पुनः अपने पांव पर खड़े हो जाएं पर सब व्यर्थ । इसी बीच मेरे माता-पिता चल बसे । मैं अनाथ हो गया। एक दुर्घटना में मैं अपना एक हाथ खो बैठा। तब से अपाहिज बनकर भीख मांगता फिरता हूं। मुझे इस प्रकार के जीवन से घृणा है पर और कोई चारा भी तो दिखाई नहीं देता। सर्दी-गर्मी दोनों का मुझे दुःख सहन करना पड़ता है। मेरे जीवन में कोई रस नहीं। मैं तो नरक का जीवन जी रहा हूँ। पर कुछ लोग यही समझते हैं कि मैं बड़े आराम से हूँ, निश्चिंत हूँ, सांसारिक जिम्मेदारी से मुक्त हूँ। पर मैं ही जानता हूँ कि मेरा जीवन एक अभिशाप है। पता नहीं कि इस अभिशापित जीवन से कब मुक्त हो पाऊँगा ?

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘भिक्षुक’ कविता के रचयिता …………. हैं।
उत्तर – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ।
प्रश्न 2. पेट-पीठ दोनों मिलकर एक क्यों हो गये हैं ?
उत्तर – भूख के कारण ।
प्रश्न 3. ‘दाता भाग्य-विधाता’ किसे कहा गया है ?
उत्तर – भिक्षा देने वाले अथवा ईश्वर को ।
प्रश्न 4. भिक्षुक को किस बात का पश्चात्ताप है ?
उत्तर – क्योंकि वह भीख मांगने के लिए विवश है।
प्रश्न 5. निराला का जन्म ……….. ई० में बंगाल के…………. जिले में हुआ था ।
अथवा
निराला जी का जन्म कब और कहाँ हुआ था ?
उत्तर – निराला का जन्म सन् 1896 ई० में बंगाल के मेदिनीपुर जिले में हुआ था।
प्रश्न 6. निराला की साहित्यिक यात्रा कहाँ से शुरू हुई ?
उत्तर – बंगाल से ।
प्रश्न 7. निराला की पुत्री का नाम बताइए।
उत्तर – सरोज ।
प्रश्न 8. निराला ने अपनी पुत्री की स्मृति में कौन-सा ग्रंथ लिखा ? 
उत्तर – सरोज स्मृति ।
प्रश्न 9. निराला की पत्नी का नाम बताएं।
उत्तर – मनोहरा देवी ।
प्रश्न 10. ‘अनामिका’ रचना के कवि का नाम लिखिए ।
अथवा
‘अनामिका’ किस कवि की रचना है ?
उत्तर – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ।
प्रश्न 11. ‘मतवाला’ पत्र के संपादक कवि का नाम लिखिए।
उत्तर – निराला ।
प्रश्न 12. निराला जी की दो रचनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर – परिमल, अनामिका, गीतिका, राम की शक्ति पूजा ।
प्रश्न 13. निराला जी किस युग के कवि थे ?
उत्तर – आधुनिक युग के ।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

1. ‘भिक्षुक’ नामक कविता में कवि ने किस वर्ग को प्रस्तुत किया है ?
(क) संपन्न
(ख) उपेक्षित
(ग) सभ्य
(घ) असभ्य ।
उत्तर – (क) संपन्न |
2. भिक्षुक का क्या मिल कर एक हो गया था ?
(क) पेट-पीठ
(ख) हाथ-पैर
(ग) सिर-पैर
(घ) घुटने टखने ।
उत्तर – (क) पेट-पीठ ।
3. भिक्षुक की झोली कैसी थी ?
(क) नई
(ख) माँगी हुई
(ग) उधार की
(घ) फटी – पुरानी ।
उत्तर – (घ) फटी- पुरानी ।
4. भिक्षुक के साथ कितने बच्चे भीख मांग रहे थे ?
(क) एक
(ख) दो
(ग) तीन
(घ) चार ।
उत्तर – (ख) दो ।
5. जूठी पत्तल पर कौन झपट रहे थे ?
(क) कुत्ते
(ख) लोग
(ग) कौवे
(घ) बाज
उत्तर – (ख) लोग।
6. निराला को कैसा कवि माना जाता है ?
(क) शांत
(ख) क्रांतिकारी
(ग) निराश
(घ) शृंगारिक ।
उत्तर – (ख) क्रांतिकारी ।
7. भिक्षुक में कैसे शोषण के प्रति विद्रोह है ?
(क) सामाजिक
(ख) धार्मिक
(ग) आर्थिक
(घ) राजनीतिक ।
उत्तर – (क) सामाजिक ।
8. कवि के स्वर में क्या भरा हुआ प्रतीत होता है ?
(क) कोमल भाव
(ख) विद्रोह
(ग) क्रोध
(घ) व्यंग्य |
उत्तर – (ख) विद्रोह ।
9. भिक्षुक क्या करता हुआ चला आ रहा था ?
(क) पछताता
(ख) हर्षाता
(ग) बिलबिलाता
(घ) चिल्लाता।
उत्तर – (क) पछताता। –
10. ओंठ किस कारण सूख रहे थे ?
(क) प्यास
(ख) गर्मी
(ग) भूख
(घ) दर्द |
उत्तर – (ग) भूख ।

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