JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 3 जम्मू-कश्मीर में हिंदी

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 3 जम्मू-कश्मीर में हिंदी

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 3 जम्मू-कश्मीर में हिंदी (विभागीय)

Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 10th Class Hindi Solutions

कवि-परिचय

प्रस्तुत पाठ में जम्मू-कश्मीर में हिंदी भाषा की स्थिति को प्रस्तुत किया गया है। जम्मू-कश्मीर भारत के उत्तर में स्थित एक अहिंदीतर प्रदेश है। इसके जम्मू कश्मीर और लद्दाख तीन मुख्य क्षेत्र हैं। डोगरी जम्मू क्षेत्र की प्रमुख भाषा है। कश्मीर में कश्मीरी तथा लद्दाख में लद्दाखी मुख्यतः व्यवहार में लाई जाती है। इनके साथ-साथ राज्य में कई बोलियां बोली जाती हैं। जम्मू-कश्मीर में हिंदी भाषा बोलने वालों की पर्याप्त संख्या है। इसके प्राचीनकाल से ही हिंदी-क्षेत्र और इस राज्य के बीच सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। कश्मीर एक पर्यटक स्थल के अतिरिक्त विश्व प्रसिद्ध संस्कृत भाषा का केंद्र रहा है। यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों में हिंदी भाषी क्षेत्रों से भी आते हैं। इस प्रदेश में जहां एक ओर साधुओं, पर्यटकों आदि के द्वारा इसका प्रचार-प्रसार हुआ वहीं दूसरी तरफ सूर, तुलसी, मीरा, कबीर आदि के दोहों तथा पदों ने इस की समृद्धि में बहुत योगदान दिया। आज भी इनके दोहे पद यहां साधु-संतों तथा सज्जनों के मुख से सुने जाते हैं। यहां से हज़ारों लोग अपनी रोजी-रोटी कमाने हेतु शीतकाल में राज्य से बाहर जाते हैं और वहां ये आम व्यवहार में हिंदी भाषा का प्रयोग करते रहे हैं। हिंदी जम्मू-कश्मीर में कई शताब्दियों से प्रयोग में लाई जाती रही है। मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का जम्मू-कश्मीर पर भी प्रभाव था। इसी कारण यहां के कई कवियों ने हिंदी में भक्तिपूरक रचनाएं रचीं। इनमें संत कवयित्री रूपभवानी, परमानंद, लक्ष्मण जू. ‘बुलबुल’ आदि प्रमुख हैं।
19वीं शती में लालजी जाडू ने हिंदी से परिपूर्ण महाकाव्य लिखा । महाराजा रणवीर सिंह के समय में हिंदी को सरकारी संरक्षण मिला। इनके दरबारी लेखक नीलकंठ ने ‘रणवीर प्रकाश’ नामक हिंदी पद्य – ग्रंथ लिखा। रणवीर रत्नमाला भी लिखा गया। हिंदी कविता का प्रवाह बीसवी शताब्दी के चौथे दशक तक कश्मीर में चलता रहा। सन् 1941 ई० में संत कवि पंडित जिंदा कौल मास्टर जी की ‘पत्रपुष्प’ नामक पुस्तक में पांच हिंदी कविताएं प्रकाशित करवाई। महाराजा हरि सिंह के समय में भी हिंदी को फैलने का अवसर मिला। इतना ही नहीं जम्मू-कश्मीर में हिंदी को प्रचारप्रसार के लिए कई स्वतंत्र संगठनों ने भी महत्त्वपूर्ण कार्य किए। स्वतंत्रता से पूर्व कश्मीर में आर्य समाज, समातन धर्म सभा, महावीर दल, हिंदी परिषद् हिंदी साहित्य सम्मेलन आदि सामाजिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक संगठनों ने हिंदी की विभिन्न परीक्षाओं के लिए छात्र-छात्राओं को तैयार कराया। इसी तरह हिंदी साहित्य मंडल’ नामक एक संस्थान ने हिंदी का प्रचार-प्रसार में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। साप्ताहिक महावीर एवं चंद्रोदय जैसे हिंदी की प्रारंभिक पत्रिकाओं में हिंदी का प्रचार-प्रसार किया। तत्पश्चात् ‘कश्यप नामक पत्रिका ने इस भाषा के प्रचार में बड़ा योगदान दिया।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् राज्य में हिंदी का विकास तेजी से हुआ। आज हिंदी यहां के विद्यालयों विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है। विगत कुछ वर्षों से अधिक पत्र-पत्रिकाएं एवं शोधपत्र प्रकाशित हो रहे हैं। इतना ही नहीं जम्मूकश्मीर में अनेक साहित्यिकार हिंदी में अपनी रचनाएं लिख रहे हैं। इसके फलस्वरूप राज्य में हिंदी कविता, कहानी, उपन्यास, आलोचना, नाटक जैसी अनेक विधाएं प्रचलित हैं। सिनेमा, दूरदर्शन, रेडियो आदि के द्वारा राज्य में हिंदी का प्रचार-प्रसार निरंतर हो रहा है। शीराजा, योजना, वितस्ता, नीलजा, हिमानी जैसी पत्रिकाएं हिंदी में प्रकाशित हो रही हैं। निश्चित रूप से जम्मू-कश्मीर में हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है।

 गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. जम्मू-कश्मीर राज्य और हिंदी क्षेत्र के बीच प्राचीन काल से ही सामाजिक, आर्थिक तथा सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। कश्मीर अपने पर्यटन महत्व के अतिरिक्त विश्व प्रसिद्ध संस्कृत भाषा का शिक्षा केंद्र रहा है। प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के अतिरिक्त बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए भी लोगों का प्रवाह यहां आता रहा है। इस्लाम के आगमन से पूर्व बोली जाने वाली कश्मीरी में वैदिक तथा संस्कृत के तत्सम तथा तद्भव दोनों प्रकार के शब्द पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। आजकल भी ये दोनों प्रकार के शब्द कश्मीरी भाषा में पाए जाते हैं। यहां यह कहना असंगत न होगा कि हिंदी में भी संस्कृत के ऐसे शब्दों की बहुत बड़ी संख्या पाई जाती है।
शब्दार्थ – पर्यटन – भ्रमण। आगमन – आना।
प्रसंग – यह गद्द्यावतरण हिंदी की पाठ्य पुस्तक नवभारती’ में संकलित ‘जम्मू-कश्मीर में हिंदी’ शीर्षक से अवतरित किया गया है। इसमें जम्मू-कश्मीर तथा हिंदी क्षेत्र के मध्य संबंध का चित्रांकन किया गया है।
व्याख्या – लेखक का कथन है कि जम्मू-कश्मीर राज्य तथा हिंदी क्षेत्र के बीच में प्राचीन काल से ही सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक संबंध रहे हैं। इनका परस्पर अनूठा संबंध रहा है। कश्मीर भारत का विश्व प्रसिद्ध पर्यटन क्षेत्र है। पर्यटन की दृष्टि से इसका अनुपम महत्त्व है। इसके अतिरिक्त भी कश्मीर विश्वप्रसिद्ध संस्कृत भाषा का शिक्षा का केंद्र बना हुआ है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य अद्वितीय एवं अनूठा है जिसका आनंद लेने के अलावा बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान हेतु भी लोग यहां आते रहे हैं। यहां आने वाले पर्यटकों के मध्य प्राकृतिक सौंदर्य के साथसाथ बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी होता रहा है। जब भारत में इस्लाम का आगमन हुआ तो उससे पहले यहां कश्मीरी भाषा बोली जाती थी जिसमें वैदिक तथा संस्कृत भाषा के तत्सम एवं तद्भव दोनों प्रकार के शब्दों का खूब मेल था। इतना ही नहीं तब से लेकर आज तक भी ये दोनों प्रकार के शब्द कश्मीरी भाषा में पाए जाते हैं। यहां इस बात का उद्घाटन करना उचित जान पड़ता है कि हिंदी में भी संस्कृत भाषा के ऐसे ही अर्थात् तत्सम एवं तद्भव शब्दों की – संख्या बहुत मात्रा में पाई जाती है। कहने का भाव है कि हिंदी में भी संस्कृत की तत्सम एवं तद्भव शब्दावली की पर्याप्त संख्या मौजूद है।
विशेष– (1) जम्मू कश्मीर में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ-साथ लोगों में परस्पर बौद्धिक एवं सांस्कृतिक आदानप्रदान का भावपूर्ण चित्रांकन हुआ है।
(2) खड़ी बोली सरल एवं सरस है । जिस में तत्सम एवं तद्भव शब्दावली का प्रयोग है।
2. जम्मू-कश्मीर में हिंदी भाषा का प्रचार जहां एक ओर साधुओं, पर्यटकों आदि के द्वारा हुआ, वहीं दूसरी ओर भक्त-कवियों जैसे सूर, तुलसी, मीरा, कबीर आदि के दोहों तथा पदों ने इसमें योगदान दिया। इन कवियों के कई दोहे और पद सुगम तथा गेय होने के कारण धीरे-धीरे लोकप्रिय हुए तथा हिंदी का संस्कार जड़ पकड़ता गया। आजकल भी ये दोहे तथा पद साधु-संतों तथा सज्जनों की जबानी सुने-सुनाए जाते हैं। 
शब्दार्थ – भाशा – भाषा। एक ओर एक तरफ। पर्यटक – घूमने-फिरने वाले, भ्रमण करने वाले लोग। सुगमसरल। गेय – गाए जाने योग्य । जड़ पकड़ना – मज़बूत होना ।
प्रसंग — प्रस्तुत गद्यांश हिंदी की पाठ्य पुस्तक ‘नवभारती’ में संकलित ‘जम्मू-कश्मीर में हिंदी’ शीर्षक से लिया गया है। जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार-प्रसार भक्त कवियों की वाणी के माध्यम से हुआ है। इसका उल्लेख हुआ है।
व्याख्या – जम्मू-कश्मीर में हिंदी भाषा का प्रचार-प्रसार जहां एक तरफ साधुओं पर्यटकों आदि के द्वारा हुआ
है वहीं दूसरी तरफ भक्त कवियों जैसे तुलसीदास, मीराबाई, संत कबीरदास, सूरदास आदि के दोहों तथा पदों ने भी इसमें महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। संत कबीर, तुलसी, सूर, मीराबाई जैसे भक्त कवियों की अनूठी राज्य में हिंदी का प्रचार-प्रसार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन कवियों के अनेक दोहे तथा पद सुगम एवं गेयात्मक होने के कारण धीरे-धीरे यहां लोकप्रिय हुए जिससे हिंदी का संस्कार मजबूत बनता चला गया। इतना ही नहीं आजकल भी दोहे और पद साधु-संतों तथा सज्जनों के मुख से सुने-सुनाए जाते हैं।
विशेष – (1) जम्मू-कश्मीर में हिंदी के प्रचार-प्रसार में भक्त कवियों कबीरदास, तुलसी, सूर, मीराबाई जैसे कवियों का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
(2) भाषा खड़ी बोली सरल एवं सहज है।
3. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद राज्य में प्रचार-प्रसार तथा विकास द्रुतगति से होने लगा। भारतीय संविधान के अनुसार हिंदी हमारी राजकीय भाषा है तथा इसे सरकारी संरक्षण प्राप्त है। अपनी लोकप्रियता के कारण यह हमारी राष्ट्रभाषा बन गई है। यह सही है कि जम्मू-कश्मीर की सरकारी भाषा उर्दू है फिर भी स्कूलों के पाठ्यक्रम में हिंदी एक विषय के रूप में पढ़ाई जाती है। राज्य के विद्यालयों में हिंदी पढ़ाने की व्यवस्था है। महाविद्यालयों में भी हिंदी पढ़ाई जाती है। 
शब्दार्थ — विकास – उन्नति । द्रुतगति- तेज़ गति । राजकीय – राजकाज की । लोकप्रियता – प्रसिद्धि ।
प्रसंग – यह गद्य-खंड जम्मू-कश्मीर में हिंदी शीर्षक खंड से संग्रहित हैं। इस गद्यांश में स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् जम्मू- कश्मीर में हिंदी के प्रचार-प्रसार का विवरण है।
व्याख्या – स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार-प्रसार तथा विकास बहुत तेज़ गति से होने लगा। भारतीय संविधान के अनुसार हिंदी राजकीय भाषा है। देश के सभी सरकारी काम-काज इसी भाषा में होते हैं। इसे सरकारी संरक्षण भी प्राप्त है। यहां हिंदी भाषा की लोकप्रियता सर्वसिद्ध है और इसी लोकप्रियता के कारण यह हमारी राष्ट्रभाषा बन गई है। यह बात सच है कि जम्मू-कश्मीर की सरकारी भाषा उर्दू है अर्थात् यहां के सरकारी काम काज उर्दू भाषा में होते हैं। किंतु फिर भी यहां के स्कूलों के पाठ्यक्रम में हिंदी एक विषय के रूप पढ़ाई जाती है। यहां महाविद्यालयों में भी इसे पढ़ाया जाता है ।
विशेष – (1) हिंदी भारतीय संविधान के अनुसार भारत की राजकीय भाषा है।
(2) भाषा सरल सरस खड़ी बोली है । जिस में तत्सम एवं तद्भव शब्दों का प्रयोग है। शैली विवरणात्मक है।
4. “यहाँ यह कहना असंगत न होगा कि सिनेमा, दूरदर्शन, रेडियो आदि के द्वारा राज्य में हिन्दी का प्रचारप्रसार तेज गति से हुआ । हिन्दी चलचित्र लोग चाव से देखते हैं।” 
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ विभागीय आलेख ‘जम्मू-कश्मीर में हिंदी’ से ली गई हैं, जिसमें जम्मू कश्मीर में हिंदी की स्थिति का वर्णन किया गया है।
व्याख्या – इन पंक्तियों में हिंदी के प्रचार-प्रसार मे इलैक्ट्रानिक माध्यमों के योगदान को सराहा गया है। यहाँ यह मानना पड़ेगा कि सिनेमा, दूरदर्शन, रेडियो आदि के द्वारा हिंदी का प्रचार-प्रसार बहुत तेज़ी से हुआ है। यहाँ के लोग हिंदी फ़िल्में बहुत ही शौक से देखते हैं ।
विशेष – (1) सिनेमा, दूरदर्शन, रेडियो के हिंदी के प्रचार-प्रसार में योगदान पर प्रकाश डाला गया है।
(2) भाषा सहज, सरल है।
5. “संसार की भाषाओं को हम कई परिवारों में बाँटते हैं, जैसे भारोपीय परिवार, कन्नड़ परिवार, चीनी परिवार आदि। जम्मू-कश्मीर में बोली जाने वाली भाषाओं तथा बोलियों का संबंध मुख्य रूप से भारोपीय परिवार की एक शाखा से है । “
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ विभागीय लेख ‘जम्मू-कश्मीर में हिंदी’ से ली गई हैं, जिसमें जम्मू-कश्मीर में हिंदी की स्थिति स्पष्ट की गई है।
व्याख्या – इन पंक्तियों में लेखक भाषायी परिवारों के संबंध में स्पष्ट करता है कि संसार की भाषाओं को अनेक परिवारों में विभाजित किया गया है; जैसे- भारोपीय परिवार, कन्नड़ परिवार, चीनी परिवार आदि। जम्मूकश्मीर में बोली जाने वाली भाषाओं तथा बोलियों का संबंध मुख्य रूप से भारोपीय परिवार की एक शाखा से माना जाता है।
विशेष – (1) जम्मू-कश्मीर में बोली जाने वाली भाषाएँ तथा बोलियाँ भारोपीय भाषा परिवार से संबंधित हैं।
(2) भाषा सरल तथा सहज है।

J&K class 10th Hindi जम्मू-कश्मीर में हिंदी Textbook Questions and Answers

बोध और विचार

प्रश्न 1. जम्मू-कश्मीर में बोली जाने वाली भाषाओं के नाम लिखें। 
उत्तर – जम्मू-कश्मीर में बोली जाने वाली भाषाओं के नाम इस प्रकार से हैं
(1) उर्दू, (2) डोगरी, (3) कश्मीरी, (4) हिंदी |
प्रश्न 2. प्राचीन काल में जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार किसके द्वारा हुआ ?
उत्तर – प्राचीनकाल में जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार जहां एक ओर साधुओं, पर्यटकों आदि के द्वारा हुआ वहीं दूसरी ओर भक्त कवियों जैसे संत कबीरदास, तुलसीदास, सूरदास, मीराबाई आदि के दोहों तथा पदों के द्वारा हुआ। इन भक्त कवियों की वाणी सुगम एवं गेय होने के कारण धीरे-धीरे लोकप्रिय हुई जिससे हिंदी का भी प्रचार होने लगा।
प्रश्न 3. हिंदी भाषा का संबंध संसार के कौन-से भाषा परिवार से है ?
उत्तर – हिंदी भाषा का संबंध संसार के भारत-यूरोपीय (भारोपीय) भाषा परिवार से है।
प्रश्न 4. कश्मीर के भक्त कवि हिंदी में क्यों कविता करना चाहते थे ?
उत्तर – कश्मीर के भक्त कवि अपने भक्ति से संबंधित उद्गारों को वाणी देने हेतु हिंदी में कविता करना चाहते थे।
प्रश्न 5. जम्मू के प्रथम हिंदी कवि का पूरा नाम क्या था ? वे किस नाम से प्रसिद्ध हुए ?
उत्तर – जम्मू के प्रथम हिंदी कवि का पूरा नाम लक्ष्मण जू बुलबुल था। वे जम्मू में दत्तू नाम से प्रसिद्ध हुए। प्रश्न 6. ‘वीरविलास’ नामक ग्रंथ के कवि का नाम लिखें। उत्तर – वीरविलास नामक ग्रंथ के कवि का नाम दत्तू है ।
प्रश्न 7. हिंदी को जम्मू-कश्मीर में कब सरकारी संरक्षण मिला ?
उत्तर – हिंदी को जम्मू-कश्मीर में सन् 1857-1865 ई० के समय सरकारी संरक्षण मिला।
प्रश्न 8. जम्मू-कश्मीर की सरकारी भाषा का नाम लिखें।
उत्तर – जम्मू-कश्मीर की सरकारी भाषा उर्दू है।
प्रश्न 9. हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा क्यों बन गई ?
उत्तर – हिंदी हमारे देश में विचारों के आदान-प्रदान की सबसे महत्त्वपूर्ण भाषा है। इसको बोलने-समझने वालों की संख्या सर्वाधिक है। यह भारत की एकता, अखंडता एवं संप्रभुता का प्रतीक है। यह संपूर्ण देश में लोकप्रिय है। इसी कारण हिंदी हमारे देश की राष्ट्रभाषा बन गई।
प्रश्न 10. आजकल जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार तथा प्रसार किन माध्यमों से हो रहा है ? 
उत्तर – आजकल जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार-प्रसार अनेक माध्यमों से हो रहा है जो इस प्रकार हैं
  1. हिंदी स्कूलों, महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही है।
  2. हिंदी में अनेक शोध प्रबंध लिखे जा रहे हैं।
  3. साहित्यकार विभिन्न रचनाएं लिख रहे हैं।
  4. सिनेमा, दूरदर्शन, रेडियो आदि के द्वारा हिंदी का प्रचार प्रसार हो रहा है।
  5. शीराज़ा, योजना, वितस्ता, नीलजा, हिमानी जैसी विशिष्ट पत्रिकाएं प्रकाशित की जा रही हैं।
  6. कश्मीर – टाइम्स, जम्मू समाचार, इवनिंग न्यूज आदि समाचार पत्रों के माध्यम से हिंदी का प्रचार-प्रसार हो रहा है।

भाषा अध्ययन –

‘सामाजिक’ शब्द का अर्थ है समाज से संबंधित यह विशेषण है। प्रस्तुत पाठ में ऐसे कई और शब्द प्रयुक्त हुए हैं। ऐसे शब्दों को छांटकर लिखें तथा उनके वाक्य बनाएं।
उत्तर – व्यावहारिक-मानव को मानवीय जीवन में व्यावहारिक होना अनिवार्य है।
साहित्यिक- हिंदी की साहित्यिक मात्रा अनूठी है।
आर्थिक – भारत का आर्थिक विकास श्रेष्ठ है।
सांस्कृतिक भारत की संस्कृतिक धरोहर अनुपम है।
प्राकृतिक- कश्मीर की प्राकृतिक छटा अनूठी है।
राजनैतिक-गांधी जी राजनैतिक विचारधारा के व्यक्ति थे।
व्यावसायिक- जम्मू-कश्मीर व्यावसायिक दृष्टि से पीछे है।
साप्ताहिक – कश्मीर में अनेक साप्ताहिक पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं।
योग्यता विस्तार – जम्मू एवं कश्मीर में बोली जाने वाली विभिन्न उपभाषाओं (बोलियों) के नाम ज्ञात कर उनकी सूची बनाएं।
उत्तर – जम्मू-कश्मीर में बोली जाने वाली विभिन्न उपभाषाओं (बोलियों) की सूची-
(1) डोगरी (2) कश्मीरी, (3) शीना, (4) कोहिस्तानी, (5) दरद – पैशाची

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. जम्मू-कश्मीर कहां स्थित है ?
उत्तर – भारत के उत्तर में। ।
प्रश्न 2. जम्मू-कश्मीर मूलत: कैसा प्रदेश है ?
उत्तर – अहिंदीतर ।
प्रश्न 3. जम्मू-कश्मीर राज्य के दो मुख्य क्षेत्र कौन-कौन से हैं ?
उत्तर – जम्मू और कश्मीर ।
प्रश्न 4. जम्मू क्षेत्र की प्रमुख भाषा कौन-सी है ? 
उत्तर – डोगरी ।
प्रश्न 5. जम्मू-कश्मीर किनके लिए आकर्षण का केंद्र है ?
उत्तर – देश – विदेश के तीर्थ यात्रियों के लिए।
प्रश्न 6. महाराजा रणवीर सिंह के उत्तराधिकारी कौन थे ?
उत्तर – महाराजा प्रताप सिंह ।
प्रश्न 7. जम्मू की राजभाषा कौन-सी है ?
अथवा
जम्मू-कश्मीर की सरकारी भाषा क्या है ?
उत्तर – उर्दू ।
प्रश्न 8. जम्मू-कश्मीर से प्रकाशित होने वाली दो प्रमुख पत्रिकाओं के नाम लिखिए। 
उत्तर – शीराजा, हिमानी।

बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर

1. जम्मू क्षेत्र की प्रमुख भाषा है
(क) कश्मीरी
(ख) डोगरी
(ग) हिंदी
(घ) शीना।
उत्तर – (ख) डोगरी ।
2. इस्लाम के आगमन से पूर्व कश्मीरी भाषा में शब्दों का समन्वय था।
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) तत्सम एवं तद्भव
(घ) कोई अन्य
उत्तर – (ग) तत्सम एवं तद्भव ।
3. जम्मू-कश्मीर में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में हिंदी साहित्य के कवियों का महान् योगदान है-
(क) आदिकालीन कवियों का
(ख) भक्त कवियों का
(ग) रीतिकालीन कवियों का
(घ) आधुनिक कवियों का ।
उत्तर – (ख) भक्त कवियों का ।
4. हिंदी भाषा जम्मू-कश्मीर में है –
(क) एक शताब्दी से
(ख) दो शताब्दी से
(ग) सौ वर्षों से
(घ) अनेक शताब्दियों से।
उत्तर – (घ) अनेक शताब्दियों से।
5. जम्मू-कश्मीर की सरकारी भाषा है –
(क) हिंदी
(ख) उर्दू
(ग) फ़ारसी
(घ) डोगरी ।
उत्तर – (ख) उर्दू ।
6. स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् जम्मू-कश्मीर में हिंदी का प्रचार-प्रसार होने लगा-
(क) द्रुतगति से
(ख) मध्यम गति से
(ग) धीमी गति से
(घ) नहीं हुआ।
उत्तर – (क) द्रुत गति से ।
7. हिंदी भाषा जम्मू-कश्मीर के संस्थानों में पढ़ाई जाती है –
(क) विद्यालयों में
(ख) महाविद्यालयों में
(ग) विश्वविद्यालयों में
(घ) उपर्युक्त सभी में ।
उत्तर – (घ) उपर्युक्त सभी में।
8. जम्मू-कश्मीर में हिंदी में रचनाएं करने वालों का एक बड़ा वर्ग था-
(क) साहित्यकारों का
(ख) फ़िल्मकारों का
(ग) नौटंकी वालों का
(घ) चित्रकारों का।
उत्तर – (क) साहित्यकारों का ।
9. जम्मू-कश्मीर में हिंदी का भविष्य है –
(क) निर्मल
(ख) कोमल
(ग) उज्ज्वल
(घ) प्रज्वल |
उत्तर – (ग) उज्ज्वल ।
10. ‘इवनिंग न्यूज’ एक है –
(क) समाचार
(ख) समाचार पत्र
(ग) समाचार अंक
(घ) समाचार पत्रिका |
उत्तर – (ख) समाचार पत्र ।

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