JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 5 नारी- शृंगार

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 5 नारी- शृंगार

JKBOSE 10th Class Hindi Solutions chapter – 5 नारी- शृंगार (डॉ० बंसी लाल शर्मा)

Jammu & Kashmir State Board JKBOSE 10th Class Hindi Solutions

कविता का सार/प्रतिपादय/भावार्थ

‘नारी- शृंगार’ नामक कविता डॉ० बंसी लाल शर्मा द्वारा रचित है जिसमें कवि ने नारी के वास्तविक एवं आदर्श शृंगार का उल्लेख किया है। कवि ने नारी को संतुष्टि का सूट सिलवाने तथा ज्ञान रूपी चादर ओढ़ने की प्रेरणा दी है। नारी को मीठी वाणी से सबका आदर करना चाहिए। उसे धर्म, शर्म एवं लोक-लाज के आभूषण पहनने चाहिएं और मानवता रूपी लाली लगानी चाहिए। हरिनाम का काजल, रामनाम रूपी बिंदी, पश्चिमी सभ्यता को त्याग कर हिंदी का सम्मान करना चाहिए। यम-नियम रूपी मंगलसूत्र तथा पूजा-पाठ का चूड़ा ग्रहण करना चाहिए। नारी को कभी भी अपशब्द नहीं बोलने चाहिएं। सदैव सत्य रूपी कंघी से अपने बाल संवारने चाहिएं। यह सत्य है कि नेकी की पतवार से ही जीवन रूपी नौका संसार रूपी सागर से पार उतर सकती है।

पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. संतुष्टि का सूट सिला ले ज्ञान की ओढ़ तू चादर,
बोल-बोल कर मीठी वाणी सब का कर तू आदर ।
शब्दार्थसंतुष्टि = संतोष । वाणी = भाषा । आदर = सम्मान |
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यावतरण ‘नवभारती’ पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘नारी- शृंगार’ शीर्षक से अवतरित किया गया है। यह ‘डॉ० बंसी लाल शर्मा द्वारा रचित है। इस पद्यांश में कवि ने नारी को वास्तविक शृंगार की प्रेरणा दी है।
व्याख्या – कवि नारी को संबोधित कर कहता है कि तुझे अपने जीवन में संतुष्टि रूपी-सूट सिलवा लेना चाहिए तथा उसे ज्ञान रूपी चादर को ओढ़ना चाहिए। मीठी वाणी को बोल बोल कर सभी का आदर सम्मान करना चाहिए। कहने का भाव है कि नारी को अपने जीवन में सदैव संतोषपूर्वक रहना चाहिए । बुद्धि का प्रयोग करना चाहिए तथा मधुर वाणी बोलनी चाहिए। सबका आदर-सम्मान करना चाहिए ।
विशेष – (1) नारी को संतोषजनक जीवन जीना चाहिए तथा मीठी वाणी बोल कर सबका आदर करना चाहिए तथा उसे कृत्रिम शृंगार की उपेक्षा कर गुण रूपी वास्तविक शृंगार अपनाने की प्रेरणा दी है ।
(2) तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है ।
(3) रूपक, पुनरुक्ति प्रकाश, अनुप्रास, पदमैत्री अलंकारों की छटा है।
2. धर्म, शर्म व लोक-लाज के आभूषण तुम पहनो,
मानवता की रंगत बन जाए लाली आपकी बहनो।
शब्दार्थ – लोक-लाज = समाज की मर्यादा। आभूषण = गहने। रंगत = शान, सौंदर्य |
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यांश ‘डॉ० बंसी लाल शर्मा’ विरचित ‘नारी- शृंगार’ नामक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने कृत्रिम आभूषणों की अपेक्षा मान-मर्यादा रूपी वास्तविक आभूषणों को पहनने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या – कवि नारी को संबोधित कर कह रहा है कि हे नारी ! तुम्हें सदा धर्म, शर्म और सामाजिक मर्यादा के आभूषण पहनने चाहिएं। तुम्हें मानवता रूपी होठों पर लाली सजानी चाहिए। कहने का भाव है कि नारी को जीवन में कृत्रिम शृंगार को छोड़कर धर्म का पालन करना चाहिए। शर्मशील रहना चाहिए तथा लोक-लाज का अनुपालन करना चाहिए। मानवता का पालन करना चाहिए।
विशेष – (1) नारी को कृत्रिम आभूषणों की अपेक्षा धर्म, शर्म एवं लोक-लाज के आभूषण पहनने की प्रेरणा प्रदान की गई है।
(2) तत्सम तद्भव शब्दों का प्रयोग है।
(3) छेकानुप्रास, पदमैत्री, स्वरमैत्री की शोभा है।
3. हरिनाम हो काजल तेरा, रामनाम की बिंदी,
सभ्यता पश्चिमी परित्याग कर बोल सदा ही हिंदी।
शब्दार्थ – हरिनाम = प्रभु का नाम स्मरण। परित्याग = छोड़कर।
प्रसंग – यह काव्यांश डॉ० बंसी लाल शर्मा द्वारा लिखित ‘नारी-शृंगार’ शीर्षक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने नारी को वास्तविक आभूषण एवं शृंगार करने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या — हे नारी ! प्रभु का नाम स्मरण ही तेरा काजल है। तुझे राम नाम रूपी बिंदी लगानी चाहिए। तुझे पश्चिमी सभ्यता को त्याग करके सदैव हिंदी भाषा को ही बोलना चाहिए। अर्थात् तुझे पश्चिमी रहन-सहन और पहनावे को छोड़कर भारतीयता को अपनाना चाहिए ।
विशेष – (1) पश्चिमी सभ्यता के स्थान पर भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति को अपनाने की प्रेरणा दी है।
(2) तत्सम एवं तद्भव शब्दावली है ।
(3) रूपक की अद्भुत छटा है।
4. यम नियम हो मंगल सूतर पूजा-पाठ का चूड़ा,
महल वासनाओं का जिससे हो जाए चूरा-चूरा ।
शब्दार्थ – मंगल सूतर = मंगलसूत्र । वासना = इच्छा। चूरा-चूरा = चकनाचूर, नष्ट ।
प्रसंग – प्रस्तुत काव्यांश नव भारती में संकलित ‘नारी- शृंगार’ शीर्षक कविता से अवतरित है। डॉ० बंसी लाल शर्मा ने नारी को वास्तविक शृंगार अपनाने की शिक्षा दी है।
व्याख्या—कवि नारी को प्रेरणा देते हुए कहता है कि नारी को यम-नियम का मंगलसूत्र सदा ही धारण करना चाहिए। उसे निरंतर पूजा-पाठ रूपी चूड़ा हाथों में पहनना चाहिए । इच्छा रूपी ऐसा महल जिससे सभी बुरी इच्छाओं का महल नष्ट हो जाए। कहने का भाव है नारी को अपना जीवन नियमपूर्वक निर्वाह करना चाहिए। पूजा-पाठ करना चाहिए।
विशेष – (1) नारी को वास्तविक शृंगार अपनाने की प्रेरणा दी है।
(2) भाषा सरस एवं भावपूर्ण है।
(3) छेकानुप्रास की छटा है।
5. अपशब्द न जिसके मुँह पर मन में द्वेष न आए,
चेहरा चम चम चमके क्योंकर पौडर भला लगाए । 
शब्दार्थ – अपशब्द = बुरे शब्द । द्वेष = ईर्ष्या-द्वेष ।
प्रसंग – प्रस्तुत पद्यावतरण ‘नवभारती’ पाठ्य पुस्तक में संकलित ‘नारी- शृंगार’ शीर्षक कविता से अवतरित है। इसमें कवि ने नारी को अपशब्द छोड़कर वास्तविक शृंगार करने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या – कवि नारी को प्रेरणा देते हुए कहता है कि नारी को अपने मुख से जीवन में कभी भी बुरे शब्दों का उच्चारण नहीं करना चाहिए। उसके मन में कभी भी किसी के प्रति ईर्ष्या-द्वेष की भावना पैदा नहीं होनी चाहिए। नारी को अपने मुख पर अच्छाई का पाऊडर लगाना चाहिए जिससे उसका चेहरा चम चम चमक उठेगा।
विशेष – (1) मन में ईर्ष्या द्वेष की भावना छोड़कर, सदाचार अपनाने की प्रेरणा दी है।
(2) तत्सम एवं तद्भव शब्दावली का सहज प्रयोग है।
(3) ‘चम-चम’ में पुनरुक्ति प्रकाश तथा अनुप्रास अलंकार की छटा है ।
6. सत्य संग की कंघी से तू अपने बाल संवार ले,
नेकी को पतवार बनाकर जीवन नौका तार ले ।
शब्दार्थ- सत्य = सच | संग = साथ। नेकी = अच्छाई।
प्रसंग – यह काव्यावतरण डॉ० बंसी लाल शर्मा द्वारा रचित ‘नारी-शृंगार’ शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें कवि ने नारी को सत्य अपनाने की प्रेरणा दी है।
व्याख्या – कवि नारी को प्रेरणा देते हुए कहता है कि तुझे सत्य रूपी कंघी से अपने बाल संवारने चाहिएं तथा अच्छाई को अपना जीवन रूपी पतवार बनाकर उसे संसार रूपी सागर से पार लगा लेना चाहिए। कहने का तात्पर्य है। कि नारी को सदा सत्य का पालन करना चाहिए तथा जीवन में अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए।
विशेष – (1) नारी को सत्य एवं अच्छाई अपनाने की प्रेरणा दी है। उसे कृत्रिम शृंगार को परित्याग कर वास्तविक शृंगार की प्रेरणा दी गई है।
(2) शुद्ध साहित्यिक खड़ी बोली है ।
(3) छेकानुप्रास और पदमैत्री अलंकारों की शोभा विद्यमान है।

J&K class 10th Hindi नारी- शृंगार  Textbook Questions and Answers

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए

(क) प्रस्तुत कविता में नारी- शृंगार का अभिप्राय स्पष्ट करें।
उत्तर – प्रस्तुत कविता में नारी – शृंगार से अभिप्राय नारी को कृत्रिम शृंगार की अपेक्षा वास्तविक शृंगार करने की प्रेरणा दी गई है। नारी को संतुष्टि रूपी सूट पहनना चाहिए तथा ज्ञान रूपी चादर ओढ़नी चाहिए। मीठी वाणी बोल कर सब का आदर करना चाहिए । धर्म, शर्म तथा लोक-लाज के आभूषण पहनने चाहिएं। मानवता रूपी लाली होठों पर लगानी चाहिए। हरिनाम का काजल आंखों में लगाना चाहिए। राम नाम रूपी बिंदी अपने मस्तक पर लगानी चाहिए। पश्चिमी सभ्यता को छोड़कर हिंदी को अपनाना चाहिए। यम-नियम का मंगलसूत्र गले में धारण करना चाहिए। हाथों में पूजा-पाठ की चूड़ामणि पहननी चाहिए। मन में किसी के प्रति ईर्ष्या-द्वेष धारण नहीं करना चाहिए। कभी किसी के प्रति अपशब्द नहीं कहने चाहिएं। भलाई का पाऊडर गालों पर लगाना चाहिए। सत्य रूपी कंघी से अपने बालों को संवारना चाहिए। नेकी रूपी पतवार से जीवन रूपी नौका को संसार रूपी सागर से पार लगाना चाहिए।
(ख) शृंगार में चित्रित आभूषण किस-किस वस्तु के प्रतीक हैं ?
उत्तर – शृंगार में चित्रित आभूषण निम्नांकित वस्तुओं के प्रतीक हैं
1. सूट–संतुष्टि, 2. चादर – ज्ञान, 3. लाली – मानवता, 4. काजल – हरिनाम, 5. बिंदी – रामनाम, 6. मंगलसूत्रयम-नियम, 7. चूड़ा – पूजा-पाठ, 8. पाऊडर – भलाई, 9. कंघी – सत्य ।
(ग) कविता में कौन-सा संदेश छिपा हुआ है ?
उत्तर – कविता में यह संदेश छिपा हुआ है कि नारी को कृत्रिम शृंगार का परित्याग कर जीवन में वास्तविक श्रृंगार एवं आभूषण को अपनाने का संदेश दिया हुआ है। नारी को संतुष्टि रूपी सूट सिलवाकर ज्ञान रूपी चादर ओढ़नी चाहिए। मधुर वाणी बोलनी चाहिए । धर्म, शर्म एवं लोक-लाज के आभूषण पहनने चाहिएं। मानवता रूपी होठों पर लाली लगानी चाहिए। आंखों में हरिनाम का काजल तथा माथे पर राम नाम की बिंदी लगानी चाहिए। पश्चिमी सभ्यता को छोड़कर हिंदी बोलनी चाहिए। यम नियम का मंगलसूत्र पहनना चाहिए तथा हाथों में पूजा-पाठ का चूड़ा पहनना चाहिए। मन में ईर्ष्या-द्वेष नहीं होना चाहिए तथा मुख पर कभी भी अपशब्द नहीं आने चाहिएं। गालों पर भलाई का पाऊडर लगाना चाहिए। सत्य की कंघी से बाल संवारने चाहिएं तथा नेकी रूपी पतवार से जीवन रूपी नौका से संसार रूपी सागर को पार करना चाहिए।
(घ) यम-नियम के अंतर्गत आने वाले गुणों की चर्चा कीजिए।
उत्तर – प्राचीन साहित्य में ‘यम नियमों का उल्लेख बार-बार प्राप्त होता है। ‘योगसूत्र’ में पांच यम-नियम बताए गए हैं। वे हैं-
1. अहिंसा, 2. सत्य, 3. अस्तेय, 4. अपरिग्रह, 5. ब्रह्मचर्य ।
ये पाँचों नियम मानव-जीवन की श्रेष्ठता और समाज के कल्याण के लिए अति महत्त्वपूर्ण हैं। इनका पालन करते हुए जीवन जीने का प्रयास मानवतावादी विचारधारा को सुदृढ़ता प्रदान करता है।
(ङ) प्रस्तुत कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर – कविता का सार देखिए।

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) संतुष्टि का …………. सिला ले।
उत्तर – सूट |
(ख) मानवता की रंगत बन जाए ……….. आपकी बहनो।
उत्तर – लाली ।
(ग) हरिनाम हो …………… तेरा राम नाम की …………. 
उत्तर – काजल, बिंदी।
(घ) यम-नियम हो …………. पूजा-पाठ का चूड़ा।
उत्तर – मंगलसूत्र |
(ङ) नेकी को ………….. बनाकर जीवन नौका तार ले।
उत्तर – पतवार।

3. कविता में निम्नलिखित कौन-सा आभूषण किस चीज का प्रतीक है ?

सूट, चादर, लाली, बिंदी, मंगलसूत्र 
उत्तर – सूट संतुष्टि
चादर – ज्ञान
लाली– मानवता
बिंदी – रामनाम
मंगलसूत्र – यम-नियम

वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. ‘नारी शृंगार’ नामक कविता किसके द्वारा रचित है ?
उत्तर – डॉ० बंसी लाल शर्मा ।
प्रश्न 2. कवि ने नारी को कौन-सा सूट सिलाने का उपदेश दिया है ?
उत्तर – संतुष्टि का ।
प्रश्न 3. कवि ने नारी को कैसी वाणी बोलने को कहा है ?
उत्तर – मीठी वाणी।
प्रश्न 4. नारी को कैसी कंघी से बाल संवारने चाहिएं ?
उत्तर – सत्य रूपी कंघी से।
प्रश्न 5. नारी को मन में क्या नहीं रखना चाहिए ?
उत्तर – द्वेष ।

परीक्षोपयोगी अन्य प्रश्नोत्तर

1. ‘नारी शृंगार’ कविता में कवि ने चादर ओढ़ने का उपदेश दिया है।
(क) लाज की
(ख) शर्म की
(ग) ज्ञान की
(घ) अन्य।
उत्तर – (ग) ज्ञान की ।
2. नारी को सबका करना चाहिए-
(क) आदर
(ख) अपमान
(ग) अनादर
(घ) प्यार
उत्तर – (क) आदर।
3. नारी को आभूषण पहनने चाहिएं-
(क) धर्म के
(ख) शर्म के
(ग) लोक-लाज के
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर – (घ) उपर्युक्त सभी
4. नारी को आँखों में काजल लगाना चाहिए –
(क) हरि का
(ख) हरिनाम का
(ग) हरि कंपनी का
(घ) किसी का नहीं।
उत्तर –(ख) हरिनाम का।
5. नारी को मस्तक पर बिंदी लगानी चाहिए।
(क) रामा कंपनी की
(ख) राम मंदिर की
(ग) राम नाम की
(घ) राम-श्याम की।
उत्तर – (ग) राम नाम की।
6. नारी की लाली बन जाए-
(क) मानवता की रंगत
(ख) मानवता की मूर्ति
(ग) मानवता का सूत्र
(घ) कोई अन्य।
उत्तर – (क) मानवता की रंगत।
7. जीवन रूपी नौका संसार रूपी सागर से पार किसके सहारे उतर सकती है-
(क) सत्य के
(ख) नेकी के
(ग) भलाई के
(घ) नेकी की पतवार के।
उत्तर – (क) नेकी की पतवार के
8. नारी को मंगलसूत्र धारण करना चाहिए।
(क) यम का
(ख) नियम का
(ग) यम-नियम का
(घ) अन्य।
उत्तर – (ग) यम-नियम का।
9. नारी को हाथों में चूड़ा धारण करना चाहिए।
(क) पूजा कंपनी का
(ख) पाठक कंपनी का
(ग) पूजा का
(घ) पूजा-पाठ का।
उत्तर – (घ) पूजा-पाठ का।

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